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नेता प्रतिपक्ष ने की विधानसभा मानसून सत्र की अवधि बढ़ाने की मांग

मध्यप्रदेश            Jun 20, 2022


मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के लिए 25 से 28 जुलाई तक की अधिसूचना जारी की गई है।

मप्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के इस निर्णय का विरोध करते हुए कहा है कि विधानसभा का मानसून सत्र कम से कम तीन सप्ताह का रखा जाये, ताकि मानसून सत्र में जनहित के मुद्दों पर चर्चा की जा सके।

उन्होंने विधानसभा का मानसून सत्र महज पांच दिन रखे जाने पर आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा कि शिवराजसिंह चौहान ने तानाशाही रवैया अपनाते हुए विपक्ष और जनता की आवाज को दबाने का काम किया है। लोकतंत्र का गला घोटने का काम किया है।

डॉ. सिंह ने स्मरण कराते हुए कहा कि पूर्व में भी शिवराजसिंह चौहान को एक पत्र भेजकर मध्यप्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र 2022 की तिथि पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव प्रक्रिया संपन्न होने के बाद निर्धारित किये जाने एवं सत्र की बैठक कम से कम 20 दिवस रखे जाने की मांग की गई थी। जिससे प्रदेश की जन-समस्यायें एवं ज्वलंत मुद्दों पर विस्तृत चर्चा सदन में हो सकें।

उन्होंने शिवराजसिंह चौहान को लिखे पत्र में लिखा था कि विधानसभा प्रजातंत्र का पवित्र मंदिर है एवं राज्य की संपूर्ण जनता का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें राज्य की जनता के हितों के ज्वलंत मुद्दे व सरकार की नाकामियों को उजागर करने, प्रदेश में जनहितैषी योजनाओं का क्रियान्वयन करने व भ्रष्ट्राचार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे उठाने के अवसर प्राप्त होते हैं, लेकिन प्रदेश में जबसे भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है तब से सदन की बैठकों में निरन्तर कमी होती जा रही है, जबकि संविधान में निहित भावनाओं के अनुरूप संविधान विशेषज्ञों ने समय पर वर्ष में कम से कम 60 से 75 बैठकें प्रतिवर्ष आहूत करने की सिफारिशें की गई है।

उन्होंने कहा कि विधानसभा के सदस्य अपने क्षेत्र की जनसमस्याओं एवं प्रदेश के ज्वलंत मुद्दों पर सदन में चर्चा न कराये जाने से उनके क्षेत्र की जन समस्याओं का निराकरण नहीं हो पाता है। मैं यहां यह भी उल्लेख करना चाहता हूं कि राज्य सरकार की यह मानसिकता हो गई है कि विधानसभा का सत्र केवल सरकारी कामकाज निपटाने के लिए सीमित बैठके बुलाई जाए।

डॉ. सिंह ने पत्र में कहा था कि विधानसभा के पटल पर जांच आयोग के प्रतिवेदन, लोकायुक्त के प्रतिवेदन, विश्वविद्यालय के प्रतिवेदन एवं अन्य प्रतिवेदनों पर विगत कई वर्षाे से चर्चा नहीं कराई गई है। इसके अलावा विभिन्न घटनाओं की जांच हेतु गठित किए गए 07 न्यायिक जांच आयोगों की रिपोर्ट अभी तक विधानसभा के पटल पर नहीं आई है। कुछ आयोगों द्वारा जांच प्रतिवेदन सौंपे जाने के बाबजूद भी उन प्रतिवेदनों को विधानसभा के पटल पर जानबूझकर नहीं रखा गया।

डॉ. सिंह ने कहा कि विगत माहों में प्रदेश में लगातार अनेक घटनायें घटित हुई है एवं सरकार की असफलतायें भी सामने आई है। प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो चुकी है। चारो ओर अशांति एवं अराजकता का वातावरण बना हुआ है, आये दिन चोरी, लूट, डकैती, अपरहण, हत्या, महिलाओं एवं अबोध बालिकाओं के साथ बलात्कार/ सामूहिक बलात्कार एवं अपहरण तथा खरीद फरोख्त की घटनायें लगातार बढ़ती जा रही है। प्रदेश में बेरोजगारों की स्थिति विकराल हो रही है। विभिन्न शासकीय विभागों में बड़ी संख्या में अधिकारियों/ कर्मचारियों के पद रिक्त है परंतु सरकार द्वारा रिक्त पदों की पूर्ति नहीं की जा रही है। प्रदेश में वन माफिया हावी है जो धड़ल्ले से वनों की अवैध कटाई में संलग्न है, जिससे वन क्षेत्र का रकबा घट रहा है, प्रदेश में विद्युत संकट गहरा गया है, नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्र में विद्युत कटौती की जा रही है। विद्युत उपभोक्ताओं को बिजली के भारी भरकम बिल देकर अवैध वसूली की जा रही है। प्रदेश में भू-माफिया के नाम पर वैध मकानों पर बुलडोजर चलाकर तोड़ा जा रहा है।

प्रदेश के किसान आत्महत्या कर रहे है एवं खाद-बीज के लिए भटक रहे तथा महंगे व नकली अमानक खाद खरीदने को मजबूर है। प्रदेश में खनिज माफिया द्वारा रेत व अन्य खनिजों का राज्य सरकार के संरक्षण में अवैध उत्खनन किया जा रहा है, जिससे शासन को करोड़ों रूपयों की हानि हो रही है। पेट्रोल, डीजल एवं रसोई गैसों की अत्यधिक कीमतें बढ़ायें जाने के बाद नाम मात्र की कीमत घटाने से आम जनता को विशेष राहत नहीं मिल रही है, जिससे महंगाई चरम सीमा पर है। प्रदेश में मध्यान्ह भोजन एवं पोषण आहार वितरण पर बड़े स्तर पर आर्थिक अनियमिताएं हो रही है एवं प्रदेश के आंगनबाड़ी केन्द्र बदहाल स्थिति में पहुंच गये है, वहीं लॉकडाउन अवधि मे बंद स्कूलों में छात्र-छात्राओं को स्कूल ड्रेस, साइकिल, छात्रवृति वितरण में भी घोटाला सामने आया है। राज्य सरकार विकास के नाम पर कर्ज पर कर्ज लेती जा रही है, इस कर्ज की राशि से विकास करने के बजाय अपने प्रचार प्रसार में व्यय कर आम जनता को कर्ज के बोझ तले दबा रही है।

प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थायें पूरी तरह ध्वस्त है। आम जनता को मजबूर होकर निजी अस्पतालों में इलाज के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। आयुष्मान योजना भी घोटाले की भेंट चढ़ चुकी है। प्रदेश में ओला-पाला से किसानों की फसलें चौपट हो गई है। प्रदेश में लगभग 800 करोड़ रूपये का अनियमितता एवं भ्रष्टाचार का मामला उजागर हुआ है। माननीय मुख्यमंत्री जी लगातार घोषणा पर घोषणा करते आ रहे है। कोरोनाकाल में की गई घोषणाओं का आज तक क्रियान्वयन नहीं हुआ है। जनजाति मद की राशि इस वर्ग के विकास पर ही व्यय किये जाने जैसे महत्वपूर्ण ज्वलंत मुद्दे है, जिस पर विधानसभा में चर्चा किया जाना आवश्यक है।

डॉ. गोविंद सिंह ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि सत्र की अवधि बढ़ायी जाये। यदि अवधि नहीं बढ़ायी जाती है तो कांग्रेस मुख्यमंत्री के इस तानाशाही रवैये का पुरजोर विरोध करेगी।

 



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