मल्हार मीडिया भोपाल।
21 हजार रुपए न्यूनतम वेतन देने समेत 7 मांगों को लेकर मध्यप्रदेश के आउटसोर्स कर्मचारी बुधवार 2 अक्टूबर को भोपाल में जल सत्याग्रह करने वाले थे, लेकिन इससे पहले पुलिस 5-6 कर्मचारियों को गाड़ी में बैठाकर ले गई।
इनका कहना था कि सीएम हाउस में मांगों का ज्ञापन देने जा रहे हैं। दरअसल पुलिस ने कर्मचारियों को शीतलदास की बगिया में प्रदर्शन करने की परमिशन नहीं दी। इसलिए नीलम पार्क में चंद कर्मचारी ही जुटे थे। इस प्रदर्शन में एमपी के 12 हजार से अधिक कर्मचारी शामिल होने वाले थे।
एनएचएम संविदा आउटसोर्स स्वास्थ्य कर्मचारी संघ नेतृत्व में यह प्रदर्शन किया जाना प्रस्तावित था। सुबह 11 बजे से नीलम पार्क में कर्मचारी जुटने भी शुरू हो गए थे। संघ के प्रदेश अध्यक्ष कोमल सिंह ने बताया, प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में आउटसोर्स कर्मचारी कई साल से सेवा दे रहे हैं, लेकिन 12 हजार से अधिक आउटसोर्स कर्मचारी सरकार की दोहरी नीति और शोषण प्रथा के शिकार हो गए हैं। इसलिए बुधवार को भोपाल में प्रदर्शन किया जाएगा।
बुधवार सुबह पुलिस का मैसेज कर्मचारियों तक पहुंचा कि आपकी अनुमतियां निरस्त कर दी गई हैं। आपको यदि नीलम पार्क पर कार्यक्रम करना हो तो मैसेज करें।
शीतलदास की बगिया पर जाने पर आपके विरुद्ध वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद कर्मचारी नीलम पार्क में ही जुटने लगे। प्रदेश अध्यक्ष सिंह ने बताया, हमने 15 दिन पहले ही प्रमुख मांगों को लेकर गांधीवादी तरीके से जल सत्याग्रह करने के लिए परमिशन मांगी थी, जो कल देर रात निरस्त कर दी गई। यह कर्मचारियों के अधिकारों का हनन है। आउटसोर्स कर्मचारी लंबे समय से मांगों को लेकर सरकार से गुहार लगा रहे हैं। हमें दबाया जा रहा है। हमारी जायज मांगें हैं।
अध्यक्ष सिंह ने बताया, हमें पुलिस के साथ कुछ साथी सीएम हाउस पहुंचे थे। ज्ञापन देने के बाद वहां से निकल गए हैं। अब आगे की रणनीति बनाएंगे।
इन मांगों को लेकर प्रदर्शन
1- सभी कर्मचारियों को विभाग में समक्ष रिक्त पदों पर नियमित किया जाए।
2 - सपोर्ट स्टॉफ डाटा ,एंट्री ऑपरेटर, वार्ड बॉय, आया, सफाईकर्मी, सिक्योरिटी गार्ड, ऑक्सीजन टेक्नीशियन अन्य सभी आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नीति बने और उन्हें न्यूनतम 21 हजार रुपए वेतन दिया जाए।
3- उटसोर्स कर्मचारी के लिए शासन द्वारा 16 हजार 132 रुपए प्रतिमाह अनुसार बजट दिया जाता है, लेकिन अधिकारियों एवं आउटसोर्स कंपनियों की कमीशनखोरी की वजह से सिर्फ साढ़े 5 से 9 हजार रुपए तक ही दिए जा रहे हैं। इस पर कार्रवाई हो।
4- प्रदेश के कई जिलों में 3-4 माह से वेतन भुगतान नहीं किया गया है। इस कारण कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति बिगड़ती जा रही है। यह वेतन जल्द दिया जाए।
5- अधिकारियों एवं आउटसोर्स एजेंसियों द्वारा करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार किया जा रहा है, उस पर रोक लगाई जाए।
6- विभाग में विगत कई वर्ष से चतुर्थ श्रेणी के हजारों पद रिक्त हैं। जिनमें वार्ड बॉय, चौकीदार, वायरमैन, माली, कुली, आया, दाई, भत्य एवं डाटा एंट्री ऑपरेटर/निम्न श्रेणी लिपिक के हजारों पद रिक्त पदों पर आउटसोर्स कर्मचारियों को नियमित किया जाए।
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