मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि आने वाली पीढ़ियों के लिए धरती को जीने योग्य बनाए रखने के लिए वनों और वन्य-जीवों का संरक्षण जरूरी है।
विकास और प्रकृति के बीच द्वंद न हो, समन्वय बना रहे, वन में रहने वालों के लिए वन, आजीविका का सतत रूप से स्रोत बना रहे, इसका ध्यान रखना आवश्यक है।
इनके प्रबंधन का दायित्व भारतीय वन सेवा के अधिकारियों पर है। इस दृष्टि से मानव जीवन के सुगम और सतत संचालन के लिए अखिल भारतीय वन सेवा के अधिकारियों की जिम्मेदारी बहुत महत्वपूर्ण है। अधिकारी अपने दायित्वों का निर्वहन संपूर्ण प्रतिबद्धता और संवेदनशीलता से करें।
श्री चौहान भारतीय वन सेवा संघ के दो दिवसीय वानिकी सम्मेलन का शुभारंभ कर रहे थे। प्रशासन अकादमी में हुए कार्यक्रम में वन मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह, राज्य वन विकास निगम के अध्यक्ष माधव सिंह डाबर, अपर मुख्य सचिव वन जे.एन. कंसोटिया, प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख रमेश कुमार गुप्ता, अध्यक्ष अखिल भारतीय वन सेवा संघ के अतुल श्रीवास्तव विशेष रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम में प्रदेश में पदस्थ भारतीय वन सेवा के अधिकारी शामिल हुए।
मुख्यमंत्री ने "वन विभाग- सफलता के नए आयाम" पुस्तिका और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व वेबसाइट, कूनो नेशनल पार्क में चीता पुनर्स्थापन पर बनाई गई फिल्म "कूनो : रिटर्न ऑफ चीता" के टीजर तथा सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के प्राकृतिक सौन्दर्य, अद्भुत जैव-विविधता और ईको पर्यटन को दर्शाती फिल्म "एक्सप्लोरिंग सतपुड़ा" का विमोचन किया।
उन्होंने कहा कि वन सेवा के अधिकारियों ने वनों को बचाने के साथ उन्हें बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
मध्यप्रदेश ने बाघ, तेंदुआ, गिद्द, घड़ियाल आदि के संरक्षण में उल्लेखनीय उपलब्धि अर्जित की है। अब हम देश के इकलौते चीता प्रदेश भी बन गए हैं। पन्ना में बाघों का पुनर्स्थापन भी महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इसके लिए वन सेवा के अधिकारी बधाई के पात्र हैं। प्रदेश के पार्कों के प्रबंधन,वन और टाइगर सुरक्षा में भी उदाहरण प्रस्तुत किया गया है।
वनों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले फारेस्ट गार्ड, महावत, वाचर तथा घास कटर सहित जमीनी स्तर पर कार्य कर रहे कर्मचारियों के कल्याण के लिए विशेष नीति बनाई जाना आवश्यक है।
मुख्यमंत्री ने वन विभाग की सकारात्मक गतिविधियों, वन क्षेत्र तथा वन्य-जीवों के संरक्षण जैसी उपलब्धियों पर लघु फिल्में बना कर सोशल मीडिया पर उनका प्रचार-प्रसार किये जाने की जरूरत रेखांकित की।
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