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स्वास्थ्य संचालनालय में कुर्की करने पहुंची टीम को महिला अधिकारी ने भगाया

मध्यप्रदेश            Nov 08, 2024


मल्हार मीडिया भोपाल।

मध्यप्रदेाश की राजधानी भोपाल स्थित स्वास्थ्य संचालनालय में जब हाई कोर्ट के वकील और कर्मचारी 11 साल पुराने मामले में कुर्की करने पहुंचे तो वहां मौजूद महिला अधिकारी ने उन्हें धक्के देकर हर निकाल दिया।

 दरअसल कोलकाता हाईकोर्ट ने एक मामले में मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य संचालक से 19 करोड़ 34 लाख रुपए की कुर्की करने का आदेश दिया था। इसी का पालन कराने के लिए कर्मचारी यहां पहुंचे थे। स्वास्थ्य संचालनालय के दफ्तर में आज शुक्रवार 8 नवंबर की दोपहर कोर्ट के कर्मचारियों ने वहां पहुंचकर दफ्तर का सामान बाहर निकालना शुरू किया था।

इस दौरान वहां पदस्थ एक महिला अधिकारी ने कार्रवाई का विरोध किया। उन पर हाईकोर्ट के वकील, कर्मचारियों और मीडियाकर्मियों के साथ धक्का-मुक्की करने का आरोप लगा है।

कोलकाता हाईकोर्ट के वकील शुक्रवार को भोपाल कोर्ट के अधिकारियों के साथ भोपाल के जेपी हॉस्पिटल कैंपस में स्थित स्वास्थ्य संचालनालय पहुंचे। कोर्ट के कर्मचारियों ने स्वास्थ्य संचालनालय में रखा सामान निकालना शुरू कर दिया। इस बीच स्वास्थ्य संचालक मल्लिका निगम नागर की ओर से कहा गया कि यहां स्वास्थ्य निदेशक का कोई पद नहीं है।

ऐसे में आप इस दफ्तर में कुर्की नहीं कर सकते हैं।कंपनी के वकील के साथ स्वास्थ्य संचालनालय की स्वास्थ्य संचालनालय में एडिशनल डायरेक्टर वंदना खरे ने कुर्की करने पहुंची टीम को बाहर कर दिया। वकील ने भोपाल कोर्ट में इस बर्ताव की शिकायत करने और अतिरिक्त पुलिस बल मांगने की बात कही है।

 प्राप्त जानकारी के अनुसार कोलकाता की एक कंपनी से मध्यप्रदेश के हेल्थ डिपार्टमेंट ने साल 2013 में कीटनाशक दवाएं खरीदी थी, जिसका पेमेंट नहीं किया गया। इसके खिलाफ कंपनी ने कोलकाता हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। इस पर हाईकोर्ट ने कंपनी को ब्याज समेत राशि भुगतान करने का आदेश दिया था। कोलकाता हाईकोर्ट के आदेश का पालन कराने के लिए कंपनी ने भोपाल जिला कोर्ट में एक्जीक्युशन याचिका लगाई।

इस पर भोपाल कोर्ट ने स्वास्थ्य निदेशक से 19 करोड़ 34 लाख रुपए की कुर्की करने का आदेश दिया। इस दौरान कोलकाता हाईकोर्ट के एडवोकेट पूर्णाशीष भुइया ने बताया कि हेल्थ डायरेक्टर एमपी को नीटापोल इंडस्ट्री ने 2013 में इन्सेक्टिसाइट सप्लाई किया था। मेसर्स नेटापोल इंडस्ट्री इन्सेक्टिसाइट की मैन्युफेक्चरिंग और सप्लाई का काम करती है। विभाग ने 50 लाख 70 हजार रुपए कीटनाशक दवाएं ले ली और उपयोग करने के बाद अब तक भुगतान नहीं किया।

इसको लेकर हम लोगों ने पश्चिम बंगाल फेसिलेशन काउंसिल में रेफरेंस एप्लीकेशन लगाई थी। काउंसिल ने आरबीआई के अनुसार ब्याज सहित राशि अदा करने का आदेश दिया था।

उसमें ये लोग (स्वास्थ्य विभाग) हार चुके हैं। उसके बाद कोलकाता हाईकोर्ट में उन लोगों ने केस दायर किया। वहां भी ये लोग हार चुके हैं। उसके बाद ये लोग सुप्रीम कोर्ट गए। वहां भी डायरेक्टर हेल्थ हार गए। एडवोकेट पूर्णाशीष भुइया ने बताया कि मप्र स्वास्थ्य विभाग अधिकारी ने मिसबिहेव किया और ऑफिस से निकाल दिया।

 


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