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किसान आत्महत्या मुद्दा नहीं रह गया है सेठाश्रयी पत्रकारिता के जमाने में: पी साईंनाथ

मीडिया            Aug 18, 2015


मल्हार मीडिया डेस्क भारतीय पत्रकारि‍ता में बड़ा कद रखने वाले पी साईंनाथ ने पिछले हफ्ते कुरुक्षेत्र वि‍श्ववि‍द़यालय और चि‍तकारा यूनि‍वर्सि‍टी मे पत्रकारि‍ता के वि‍द्यार्थि‍यों और शि‍क्षावि‍दों के बीच अपनी बात रखी। अपनी सधी मुम्बइया हिंदी में साइनाथ ने मीडि‍या की मर्यादा, कि‍सानों की समस्याओं व सेठाश्रयी मीडि‍या द्वारा दोहन जैसे गंभीर मुद्दों पर अपने बेबाक विचार रखे। उन्होंने कहा कि‍ मीडि‍या को फ़ोर्थ स्टेट कहते हुए ध्यान रखें कि‍ अब यह रि‍यल स्टे‍ट ज्यादा है। साईंनाथ ने चुटकी लेते हुए कहा कि टीवी-18 सबसे बड़ा मीडि‍या ग्रुप बन गया है पर इससे क्या फर्क पडता है। हकीकत में तो यह अम्बानी सेठ के रि‍लायंस का छोटा सा वि‍भाग ही है। सेठ लोग मीडि‍या में बस वही दि‍खाना चाहते हैं, जि‍ससे उनके अपने व्यापारि‍क हि‍तों की पूर्ति‍ होती है। उन्होंने कहा कि‍ कि‍सानों की आत्महत्याएं तो मीडि‍या में मुद्दा ही नहीं रह गईं हैं । कि‍सान आत्महत्या व गरीबी पर उनकी रिपोर्ट कोई अखबार छापने को तैयार नहीं होता था, यह तर्क देकर कि पाठक को यह नहीं भाएगा..! टाइम्स आफ इंडि‍या जैसे तैसे छापने को राजी हुआ तो पाठकों की प्रति‍क्रि‍याओं के अंबार लग गए। उन्होंने कहा कि‍ भारत मे पाठक को समझने के लिए बड़े सर्वे तो होते नहीं। यहां पाठक क्या‍ चाहता है, इसका खाका कुछ सेठ लोग और उनके चमचे अपनी जरूरत के अनुसार तय कर लेते हैं। समाचार चैनलों की बहस पर चुटकी लेते हुए बोले कि‍ इन चर्चाओं में बैठे कार्टूनों को जमीनी हकीकत का तो पता नहीं होता, बस जो मुंह में आता है, बोलते रहते हैं। उन्होंने कहा कि‍ मुख्य धारा की पत्रकारि‍ता से सच समाने आने की उम्मीेद बेमायने है क्यों कि‍ इसमें पत्रकार स्टेनोग्राफर होकर रह गए हैं। उन्‍होंने कहा कि‍ पि‍छले कुछ समय में जो हंगामे संसार भर में खोजी रि‍पोर्ट के नाम पर हुए, वो लोग पेशेवर पत्रकार नहीं थे। चाहे जूलि‍यन असांज हो या कई दूसरे। मुख्‍यधारा की पत्रकारि‍ता से सच समाने आने की उम्‍मीद बे-मायने है क्‍योंकि‍ इसमें पत्रकार स्‍टेनोग्राफर है, वो बेचारा क्‍या कर सकता है। उन्‍होंने सोशल मीडि‍या के पीछे की ठगी को भी जमकर उजागर कि‍या। कहा कि‍ कैसे कोई सोशल मीडि‍या यूजर को यूज कर रहा है। युवाओं के लि‍ए ये जानकारी बड़ी महत्‍वपूर्ण थी। दूसरा पक्ष ये था कि‍ पी साईंनाथ का धमाका करने वाला भाषण उन स्‍थानीय मठाधीश स्‍ट्रिंर्स को नागवार गुजरा, जि‍नकी पत्रकारि‍ता के मायने कुछ अलग ही हैं। कई स्‍थानीय पत्रकारि‍ता मठाधीश पी साईंनाथ को उलझाने के लि‍ए उनके आसपास जमा हो गए। सवाल बड़े दागे, बेचारों ने टूटी फूटी अंग्रेजी भी झाड़ी, लेकि‍न साईंनाथ तो फि‍र कुछ अलग मि‍ट्टी के बने हैं, उन्‍होंने ऐसे प्रश्‍नकर्ताओं को बहुत सधे हुए जवाब दि‍ए। फि‍र वो बेचारे बोले - चलो सर आप हमारे साथ एक फोटो ही खिंचवा लो। भडास4मीडिया


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