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पत्रकार सुरक्षा को लेकर पीसीआई चिंतित,सरकार से की नये कानून बनाने की मांग

मीडिया            Jul 10, 2015


मल्हार मीडिया डेस्क प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) ने मीडियाकर्मियों पर बढ़ते हमलों को देखते हुए सरकार से एक नए कानून बनाने की मांग की है। दरअसल प्रेस काउंसिल एक ऐसा कानून चाहता है जो पत्रकारों के खिलाफ हिंसा (चाहे वह शारीरिक हो या मौखिक) को सख्त सजा के प्रावधान के साथ संज्ञेय अपराध बनाए। पीसीआई ने सरकार से यह सुनिश्चित करने की भी मांग की है कि पत्रकारों पर हमले के सभी मामले विशेष अदालतों को सौंपे जाए और आरोपपत्र दाखिल होने के एक साल के अंदर मुकदमों की सुनवाई पूरी हो। पीसीआई अध्यक्ष न्यायामूर्ति (सेवानिवृत) चंद्रमौली कुमार प्रसाद ने बताया कि पत्रकारों की सुरक्षा पर पीसीआई उप समिति द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट में ये सिफारिशें की गई हैं। रिपोर्ट को काउंसिल ने स्वीकार कर लिया है। प्रसाद ने कहा कि यह फैसला किया गया है कि पीसीआई अब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों पर हमले से जुड़े मामलों को भी उठाएगा, न कि पहले की तरह सिर्फ प्रिंट मीडिया से जुड़े मामलों को। उत्तर प्रदेश में जगेन्द्र सिंह पर हुआ नृशंस हमला सहित पत्रकारों के खिलाफ हाल के हिंसा के मामलों पर चिंता के मद्देनजर पीसीआई ने यह फैसला किया है। पत्रकारों पर हुए हमले के सभी मामलों की जांच पीसीआई या अदालत की निगरानी में विशेष कार्य बल (एसटीएफ) द्वारा किया जाना और तीन महीने के अंदर जांच पूरी किया जाना आदि पीसीआई उप समिति की अन्य सिफारिशों में शामिल है। समिति ने सुझाव दिया है कि जब कभी पत्रकार की हत्या हो, मामले को ‘सीबीआई’ या राष्ट्रीय स्तर की किसी एजेंसी को सौंपी जाए और जांच तीन महीने के अंदर पूरी हो। इसने कहा है कि किसी पत्रकार या संपादक के खिलाफ कोई मामला पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की इजाजत मिलने के बाद ही दर्ज किया जाना चाहिए, जैसा कि मध्य प्रदेश में चलन में है। साभार एस4एम


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