बस में रेप की घटना के बाद क्यों बदले सीएम के तेवर...?

मीडिया, वामा            Sep 19, 2015


मल्हार मीडिया "राजधानी में चलती बस में महिला के साथ रेप हो गया इससे ज्यादा शर्मनाक क्या हो सकता है। इससे साफ जाहिर होता है कि गुंडे—बदमाशों में पुलिस का खौफ खत्म हो गया है।" यह शब्द हैं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के,जो उन्होंने कल अफसरों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में कहे। मुख्यमंत्री का लहजा देख सारे अफसर सन्नाटे मे आ गये। दरअसल मुख्यमंत्री का यह गुस्सा बेवजह भी नहीं था इसकी दो खास वजहें थीं एक तो पेटलावद हादसा और दूसरा भोपाल में चलती बस में महिला के साथ रेप। मुख्यमंत्री का यह गुस्सा इसलिये भी फूटा है क्योंकि मंगलवार की रात को रेप हादसा हुआ था,आरोपी महिला को लेकर भोपाल की सड़कों में घूमते रहे और मुख्यमंत्री को इस घटना की भनक तक नहीं लगने दी गई। मुख्यमंत्री तो छोड़िये मीडिया से भी यह खबर नदारद थी,मगर क्यों? मुख्यमंत्री को इस बात का पता उस समय चला जब वे गणेश चतुर्थी के दिन गणेश मूर्ति खरीदने गये और वहां एक रिर्पोटर ने उनसे बाईट लेने से पहले उन्हें यह जानकारी दी। यह घटना मीडिया में आई घटना के करीब 18 घंटे बाद। ऐसे में सवाल यह उठा कि मामला आखिर बाहर क्यों नहीं आया? जवाब बड़े चौंकाने वाले सामने आये हैं। किसने दिये ये अलग बात है जरा गौर फरमाईये,पत्रकार की मानें तो पुलिस इस मामले को दबाना चाह रही थी। वहीं कुछ मीडिया वालों का कहना है कि मामला दरअसल कुछ और था महिला को वेश्यावृत्ति से जुड़ा बताया गया। इस पूरी घटना से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सीएम तक सूचनायें पहुंचाने में कितनी और किस तरह की सजगता व संवेदनशीलता प्रशासनिक हलके द्वारा अपनाई जा रही है। पत्रकार का यहां तक कहना है कि महिला उस रात काफी देत तक एमपी नगर थाने में थी लेकिन राजधानी के ही एक पत्रकार ने उस महिला से कुछ ऐसा क​हा कि वो थाने से उठकर चली गई। यहां एक सवाल यह कि अगर महिला वेश्यावृत्ति से भी जुड़ी है तो क्या उसके साथ बलात्कार करने का अधिकार या लायसेंस पुरूषों को मिल जाता है। बहरहाल इस पूरे मामले को दबाने की कोशिश की गई ये तो जाहिर है जब घटना का खुलासा ही इतनीे देर बाद ये हुआ। लेकिन यहां एक सीधा सवाल यह है कि क्या कारण है पुलिस और प्रशासन इन घटनाओं पर सतही कार्रवाई करने की कोशिश करता है? मीडिया को गरियाना सब अपना जन्मसिद्ध् अधिकार समझते हैं लेकिन यहां ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि एक पत्रकार की सजगता का ही परिणाम था कि यह मामला प्रदेश के मुखिया तक पहुंचा और उन्होंने न सिर्फ नौकरशाहों की क्लास लगाई बल्कि कड़े निर्देश भी दिये । मुख्यमंत्री ने साफ—साफ शब्दों में अधिकारियों से पूछा आप लोग एक्शन क्यों नहीं लेते? क्यों अपराधियों में पुलिस का खौफ नहीं है?किसने रोका अगर नहीं हो रहा तो बताओ वैसी व्यवस्था हो। उम्मीद की जा सकती है मुख्यमंत्री की यह सजगता और यह तेवर प्रदेश में कानून व्यवस्था का सुव्यवस्थित करने,अपराधियों में खौफ पैदा करने और पुलिस व प्रशासन को दुरुस्त रखेंगे।


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