मल्हार मीडिया ब्यूरो।
जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित के बयान पर भारत ने आज कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि उनकी टिप्पणियां ‘राजनयिक गरिमा के अनुरूप नहीं हैं और यह देश के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप के बराबर’ है।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान को सलाह दी जाती है कि वह अपनी धरती से उठने वाले आतंकवाद के खतरे का समाधान करे जिस कारण अन्य देशों के साथ उसके संबंध खराब हुए हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने कहा, ‘हमने भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य के बारे में पाकस्तिानी उच्चायुक्त के बयान को मीडिया में देखा। ये राजनयिक गरिमा के अनुरूप नहीं हैं और हमारे अंदरूनी मामलों में दखल देने के समान है।’
उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान को सलाह दी जाती है कि उस देश की धरती से चल रहे आतंकवाद की चुनौती का प्रभावी समाधान करें जिससे पूरे पड़ोसी इलाके की शांति और स्थिरता पर बुरा असर पड़ा है साथ ही दूसरे देशों के साथ पाकिस्तान के संबंध खराब हुए हैं।’ पाकिस्तान के राष्ट्रीय दिवस पर यहां आयोजित एक कार्यक्रम में बासित ने कहा कि जम्मू-कश्मीर मुद्दे का समाधान ‘कश्मीरियों की आकांक्षाओं’ के मुताबिक होना चाहिए और कहा कि कश्मीरियों को दबाया जा सकता है लेकिन कुचला नहीं जा सकता है।
भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने पाकिस्तान दिवस पर यहां उच्चायोग में अपने संबोधन में कहा कि इस्लामाबाद नई दिल्ली के साथ अच्छे और शांतिपूर्ण ताल्लुकात चाहता है और उसकी इच्छा तमाम मुद्दों को हल करने की है। उन्होंने कहा, ‘हमारी नीति शांति को बढ़ावा देने की है खासतौर पर एशिया में, जहां हमने अपने सभी पड़ोसियों के साथ बेहतर ताल्लुकात बनाने की कोशिश की है। ये रिश्ते समान अधिकारों तथा शर्तों पर और ईमानदारी पर आधारित होने चाहिए तथा हमारी कोशिश उसी दिशा में रही है।’ बासित ने कहा, ‘जहां तक जम्मू कश्मीर के मुद्दे का ताल्लुक है, यह कश्मीरियों की आकांक्षाओं के मुताबिक हल होना चाहिए और उम्मीद है कि यह होगा।’ उन्होंने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि हम मुद्दे को हल करेंगे लेकिन कश्मीरियों की आकांक्षाओं (उनकी उमंगों) के मुताबिक।’ कश्मीर दोनों देशों के बीच एक ऐसा विवाद है जो लंबे अरसे से सुलझ नहीं पाया है और यह दोनों पक्षों के बीच कड़वाहट की वजह है।
बासित ने कहा, ‘इतिहास गवाह है कि आज़ादी की तहरीक (आंदोलन) हुए हैं, उन्हें वक्ती तौर पर दबाया जा सकता है लेकिन खत्म नहीं किया जा सकता है।’ उच्चायुक्त ने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि जो जद्दो जेहद कश्मीरी कर रहे हैं वो इंशाल्लाह (अल्लाह ने चाहा तो) कामयाब हो।’ लेकिन उन्होंने इसको विस्तार से नहीं कहा। जब बाद में उनसे पूछा गया कि ‘आकांक्षा’ से उनका क्या मतलब था तो बासित ने सिर्फ इतना कहा, ‘जो घाटी के लोग चाहते हैं हमें उसे मानना चाहिए।’ पाकिस्तान दिवस या पाकिस्तान संकल्प दिवस पर पाकिस्तान में सार्वजनिक अवकाश होता है। यह 23 मार्च 1940 को पारित हुए लाहौर संकल्प की याद में मनाया जाता है।
इस मौके पर उच्चायोग परिसर में आयोजित समारोह में बासित ने उर्दू में अपना संबोधन दिया. 1956 में इस्लामिक गणतंत्र बनने के क्रम में संयोग से इसी दिन इस देश का संविधान आत्मसात किया गया था। बासित ने कहा कि पाकिस्तान ने अपनी स्थापना के वक्त से ही आंतरिक और बाहरी दोनों ओर से बहुत परेशानियों का सामना किया है लेकिन एक राष्ट्र के तौर पर वह साथ बढ़ने को संकल्पित हैं। बासित के भाषण से पहले, पाकिस्तानी राष्ट्रपति ममनून हुसैन और प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का पैगाम उप उच्चायुक्त सैयद हैदर शाह ने पढ़ा।
इस मौके पर आमंत्रित किए गए मेहमानों में पाकिस्तान के महालेखा परीक्षक राणा असद अमीन शामिल थे। निजामुद्दीन दरगाह के दो मौलानाओं के पाकिस्तान में रहस्मय परिस्थितियों में लापता होने के बाबत जब उनसे सवाल किया गया तो वह खामोश रहे। बासित ने कहा, ‘हमने (पाकिस्तान ने) कार्रवाई की और उनकी मदद की और वे वापस आए। अगर वे (घटना के बाबत) जानकारी को सामने नहीं रखना चाहते हैं तो मैं कैसे उनकी तरफ से बात कर सकता हूं।’ बासित ने अपने भाषण में ‘कायद-ए-आज़म’ मोहम्मद अली जिन्ना की तारीफ करते हुए कहा कि यह हमारा कर्तव्य है कि उनके द्वारा स्थापित किए गए देश की सुरक्षा के लिए काम करें।
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