मल्हार मीडिया डेस्क।
भाग गए न सारे आरोपी ! एक बार फिर से उन आरोपों को बल मिल रहा है, जिसमें कहा जाता रहा है कि मोदी सरकार में सारे बड़े घोटालेबाजों को सेफ पैसेज देकर देश से रवाना कर दिया जाता है। देश का सबसे बड़ा बैंकिंग लोन स्कैम के आरोपी FIR दर्ज होने से पहले ही देश छोड़कर फरार हो गए हैं। सूत्रों के अनुसार ऋषि अग्रवाल सिंगापुर भाग गया है।
सांप निकल गया, लकीर पीटते रहे” वाली कहावत चरितार्थ करते हुए CBI ने एबीजी शिपयार्ड के मुख्य आरोपियों के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया है। लुकआउट सर्कुलर किसी आरोपी को एयरपोर्ट और अन्य तरीकों से देश की सीमा से बाहर जाने से रोकने के लिए जारी किया जाता है। लेकिन भारतीय स्टेट बैंक ने तो 2019 में ही ऋषि अग्रवाल के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी करवा चुकी थी।
दैनिक भास्कर ने पत्रकारिता के मूल्यों का निर्वाहन करते हुए फ्रंट पेज पर जो इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट छापी है, वह मोदी सरकार की तरफ से इस केस में की गई हीला – हवाली की सारी पोल खोल देती है। इस लेख में बताया गया है कि यह मामला तो 2018 में ही डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल, अहमदाबाद के सामने आ गया था। तब देना बैंक, ICICI बैंक और SBI की 3 अलग-अलग शिकायतों पर 3 अलग-अलग फैसले दिए गए थे।
देना बैंक के पहले फैसले में ट्रिब्यूनल ने 27 दिसंबर 2018 को ब्याज (सालाना 12.7% की दर से) सहित 35 हजार करोड़ रुपये की रिकवरी का आदेश दिया था। दूसरे फैसले में ICICI बैंक द्वारा दर्ज कराए गए मामले पर ट्रिब्यूनल ने 2 अक्टूबर 2018 को आदेश दिया था कि जिम्मेदारों से क्रमश: 4503.94 करोड़ रुपये और 174.7 करोड़ रुपये दो महीने के अंदर वसूले जाएं। 12 अप्रैल 2018 को SBI ने भी ट्रिब्यूनल में केस कराया था। इस पर आदेश दिया गया था कि ऋषि अग्रवाल से 2510 करोड़ रुपये वसूले जाएं।
इन तीनों फैसलों में यह भी कहा गया था कि रिकवरी न हो सके तो बैंक कंपनी की चल-अचल संपत्ति बेचकर वसूली करे। अगर इतने स्पष्ट आदेश थे तो कार्यवाही क्यों नहीं की गई ? 2018 से 2022 केसे हो गया।
यह भी एक झूठ है कि 2014 के बाद ऋषि अग्रवाल को नया लोन नहीं दिया गया। 31 मार्च 2016 को ऋषि अग्रवाल ने 2.66 लाख करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति बताकर 1935 करोड़ का लोन लिया था और बैंकों से लिए लोन को करार के अनुसार चुकाने के समझौते भी किए थे।
इन सारे कर्ज को 2017 में एनपीए घोषित कर दिया गया. सबसे बड़ा सवाल यही है कि देश के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले में सरकार 4 साल तक मुंह में दही जमाकर बैठी क्यों रही?
Comments