रंगभरी एकादशी पर बाबा विश्वनाथ की मसान होली,मणिकर्णिका पर उमड़ा भक्तों का हुजूम

राष्ट्रीय            Mar 04, 2023


 मल्हार मीडिया ब्यूरो।

बनारस में आज रंगभरी एकादशी पर जहां काशी विश्वनाथ धाम में बाबा और मां गौरा के साथ भक्त होली खेल रहे थे तो वहीं हरिश्चंद्र घाट पर मसान की होली में बाबा के गण और उनके भक्तों का हुजूम उमड़ा था।

भूत-प्रेत संग बाबा के गणों ने हरिश्चंद्र घाट पर चिता भस्म की होली खेली। देश-विदेश से इस होली को देखने घाट पर लोग पहुंचे थे। अबीर-गुलाल और भस्म उड़ाते हुए होली गीतों की धुन पर सभी के पांव थिरकते रहे।

काशी मोक्षदायिनी सेवा समिति की ओर से हरिश्चंद्र घाट पर संस्था के अध्यक्ष पवन कुमार चौधरी ने सुबह बाबा मशाननाथ का रुद्राभिषेक व पूजन किया।

 दोपहर में रवींद्रपुरी स्थित बाबा कीनाराम मंदिर में पूजन के बाद भव्य शोभायात्रा निकाली गई। भूत-प्रेत, देवों की झांकी देखते बन रही थी। भूत-प्रेत के स्वरूप करतब दिखाते चल रहे थे।

कहीं, शहनाई की धुन तो कहीं बैंडबाजे व ढोल-नगाड़े पर युवा थिरक रहे थे। डीजे पर होली गीत बज रहे थे। किन्नरों का दल भी लोकनृत्य कर रहा था। शोभायात्रा भेलूपुर, सोनारपुरा होते हुए करीब दो घंटे में हरिश्चंद्र घाट पहुंची, जहां बाबा की आरती उतारी गई।

वहीं, घाट का कोना-कोना होलियाना माहौल में डूबा था। हर ओर खासकर युवाओं की टोलियां झूमती रहीं। भूत-प्रेत, महादेव और काली आदि देवों के स्वरूपों संग लोग भी चिता भस्म से होली खेलते रहे। शोभायात्रा में समिति के उपाध्यक्ष गोपाल प्रसाद, बहादुर चौधरी, विकास रावत, राजश्री शुक्ला, आशीष चौधरी आदि शामिल रहे।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब भोलेनाथ माता पार्वती को गौना करा कर वापस ले जा रहे थे। तब भगवान शिव के गण और देवता फूल और रंगों से होली खेल रहे थे। लेकिन शमशान में बाबा के परम भक्त अर्थात भूत-प्रेत और अघोरी इस खुशी से वंचित रह गए।

जब यह बात भगवान शिव को पता चली तो वह अगले दिन गाजे-बाजे के साथ उनका दुख दूर करने के लिए शमशान पहुंच गए और जलती चिताओं के बीच राख से होली खेली। आज भी उस परंपरा उसी हर्षोल्लास के साथ पूरी की जाती है।

आमतौर पर मणिकर्णिका घाट पर लोग अपने परिजन को अंतिम विदाई देते हुए नजर आते हैं। लेकिन आज के दिन इस घाट का अलग ही नजारा देखने को मिलता है। यहां भगवान शिव के भक्त चिताओं के बीच झूमते हुए और नाचते-गाते चिता की भस्म से होली खेलते हैं।

हिंदू धर्म में काशी को मोक्ष की नगरी के रूप में जाना जाता है। वहीं आज के दिन शमशान घाट में खेली गई इस होली का महत्त्व भी बहुत अधिक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां चिता की राख से खेली गई होली से मृत्यु का भय दूर हो जाता है। साथ ही मसाने की होली खेलने से बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद अपने भक्तों पर सदैव बना रहता है और सभी प्रकार की तांत्रिक बाधाएं दूर हो जाती है।

 



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