मल्हार मीडिया ब्यूरो। दिवाला एवं दिवालियापन संहिता 2016 में संशोधन के लिए एक विधेयक लोकसभा में सोमवार को पेश किया गया। इस संशोधन के जरिए यह स्पष्ट किया जाएगा कि क्या किसी रियल एस्टेट परियोजना के तहत आवंटितों को ऋणदाता माना जाना चाहिए। दिवाला एवं दिवालियापन संहिता (दूसरा संशोधन) 2018 कार्यवाहक वित्तमंत्री पीयूष गोयल ने पेश किया और सरकार द्वारा इससे पहले लाए गए अध्यादेश के स्थान पर इसे मान्यता देने की मांग की।
विधेयक धारा 5 के तहत एक स्पष्टीकरण शामिल करने की व्यवस्था देता है जिसके अनुसार, किसी रियल एस्टेट परियोजना के तहत किसी आवंटी से ली गई किसी भी राशि को एक व्यावसायिक ऋण माना जाएगा।
यह संशोधन पैसा देने वालों की समिति के 90 प्रतिशत सदस्यों की स्वीकृति वाले आवेदक के एक आवेदन पर राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीली न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) को (दिवाला एवं दिवालियापन) संहिता के तहत सौंपे गए एक समाधान आवेदन को वापस लेने की अनुमति भी देता है।
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