मल्हार मीडिया ब्यूरो।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों को लाभ के पद पर होने के कारण अयोग्य ठहराने के मामले में चुनाव आयोग से कहा कि वह सोमवार को मामले की अगली सुनवाई तक उप चुनावों की घोषणा ना करे। इन विधायकों को संसदीय सचिव का पद धारण करने की वजह से अयोग्य घोषित कर दिया गया था।
न्यायमूर्ति विभु बाखरु ने कहा, "ऐसे जल्दबाजी भरे कदम न उठाएं, जोकि स्थिति को बिगाड़ दे।" न्यायमूर्ति ने साथ ही कहा कि न्यायालय 29 जनवरी को इस मामले की विस्तृत सुनवाई करेगा।
अदालत ने हालांकि विधायकों को अयोग्य ठहराने की अधिसूचना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और मामले की अगली सुनवाई सोमवार को सूचीबद्ध कर दी।
न्यायमूर्ति विभु बाखरु ने चुनाव आयोग, केंद्र, दिल्ली सरकार और शिकायतकर्ता-वकील प्रशांत पटेल से भी आप विधायकों द्वारा उन्हें अयोग्य ठहराने के खिलाफ दायर याचिका पर जवाब दाखिल करने को भी कहा।
अदालत ने चुनाव आयोग की इस दलील को भी ठुकरा दिया जिसमें न्यायालय से समय बचाने के लिए मामले की सुनवाई एकल पीठ के बदले खंडपीठ से कराने की मांग की थी।
अयोग्य घोषित किए गए 20 आप विधायकों में से 8 ने मंगलवार को विधायकों को अयोग्य ठहराने के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से इन विधायकों को अयोग्य ठहराने की सिफारिश की थी। इसके बाद कानून एवं न्याय मंत्रालय ने शनिवार को अधिसूचना जारी कर कहा था कि राष्ट्रपति ने 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने की मंजूरी दे दी है।
जिन विधायकों को अयोग्य करार दिया गया है, उनमें अलका लांबा, आदर्श शास्त्री, संजीव झा, राजेश गुप्ता, कैलाश गहलोत, विजेंद्र गर्ग, प्रवीण कुमार, शरद कुमार, मदन लाल खुफिया, शिवचरण गोयल, सरिता सिंह, नरेश यादव, राजेश ऋषि, अनिल कुमार, सोमदत्त, अवतार सिंह, सुखवीर सिंह डाला, मनोज कुमार, नितिन त्यागी और जरनैल सिंह शामिल हैं।
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