मल्हार मीडिया ब्यूरो।
देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल 'सीआरपीएफ' के महानिदेशक अनीश दयाल सिंह 31 दिसंबर को रिटायर हो गए हैं। उन्होंने अपनी सेवानिवृत्ति के मौके पर एक अहम घोषणा कर दी है। उसे लेकर जवान और अधिकारी, कई तरह की प्रतिक्रिया दे रहे हैं। इस घोषणा में कहा गया है कि सीआरपीएफ में सिपाही से लेकर सब इंस्पेक्टर तक अपनी रिटायरमेंट से तीस दिन पहले अपने कंधे पर अगला रैंक लगा सकते हैं।
यानी कोई सिपाही है तो वह हवलदार का रैंक लगा सकता है। हवलदार, एएसआई का रैंक लगाएंगे और एसआई, इंस्पेक्टर का रैंक लगाएंगे। यह योजना सीआरपीएफ और आईटीबीपी के अलावा दूसरे केंद्रीय अर्धसैनिक बलों पर भी लागू होगी। इस योजना का मकसद, उन जवानों का हौसला बढ़ाना है, जो किन्हीं कारणों से पदोन्नति नहीं ले पाए हैं। हालांकि इस योजना में एक शर्त भी है। तीस दिन पहले रैंक लेने वाले कार्मिक, मॉडिफाइड एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन (एमएसीपी) योजना के तहत आने चाहिएं। यानी उन्हें एमएसीपी मिल रहा हो, लेकिन किन्हीं वजह से उस रैंक की पदोन्नति नहीं मिल सकी।
पूर्व डीजी अनीश दयाल सिंह ने अपने एक वीडियो संदेश में कहा, यह पहल जवानों का मनोबल बढ़ाने के लिए है। जब वे रिटायरमेंट पर अपने घर जाएं तो उनके परिजनों, दोस्तों और रिश्तेदारों को यह खुशी हो कि उनका अपना इस रैंक से रिटायर हुआ है। रिटायरमेंट होने वाले व्यक्ति को भी यह अहसास हो कि उसके साथ न्याय हुआ है। डीजी ने कहा, पहले इस योजना का प्रारूप आईटीबीपी के लिए भेजा गया था। बता दें कि सीआरपीएफ में आने से पहले अनीश दयाल सिंह, आईटीबीपी के डीजी थे। अनीश दयाल सिंह के मुताबिक, रिटायरमेंट से तीस दिन पहले अगला रैंक केवल उन्हीं को मिलेगा, जिन्हें मॉडिफाइड एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन स्कीम का फायदा मिल रहा है।
इस योजना के तहत, किसी भी कर्मचारी को नियमित सेवा में 10, 20, या 30 साल पूरे होने पर अगले उच्च ग्रेड वेतन और ग्रेड वेतन में वित्तीय उन्नयन मिलता है। फोर्स में वैकेंसी बेस्ड पदोन्नति मिलती है, ऐसे में बहुत से कार्मिक ऐसे होते हैं, जिन्हें 10, 20, या 30 वर्ष के बाद अगला रैंक नहीं मिल पाता, लेकिन आर्थिक फायदा मिल जाता है। ऐसे ही कार्मिकों को अब उनकी रिटायरमेंट से तीस दिन पहले अगला रैंक मिल जाएगा। इस बाबत कार्मिकों और अधिकारियों अलग अलग राय है।
कार्मिकों का कहना है कि तीस दिन पहले रैंक देना एक मजाक सा दिखाई पड़ रहा है। सीआरपीएफ में कई रैंक ऐसे हैं, जहां डेढ़ दशक बाद भी पदोन्नति नहीं मिल पा रही। बीएसएफ और सीआरपीएफ में इंस्पेक्टर को 13 से 15 साल बाद भी पदोन्नति नहीं मिल सकी है। इसी तरह इन बलों में सहायक कमांडेंट को 15 वें साल में भी डिप्टी कमांडेंट की पदोन्नति नहीं मिल सकी है। इन रैंकों के लिए कोई घोषणा नहीं हो सकी है।
कई बलों में सिपाही और हवलदार को भी पहली पदोन्नति के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। कुछ कार्मिकों का कहना था कि एक माह पहले अगला रैंक लगाकर वे अपने घर जाएंगे, ये भी ठीक है। नहीं से अच्छा तो हां है। भले ही तीस दिन पहले ही सही, वे अगला रैंक लगा सकेंगे। डीजी ने अपने संदेश में कहा है कि अभी इस योजना को लेकर गृह मंत्रालय का रूख सकारात्मक है। केंद्रीय गृह मंत्री ने भी इस बाबत अपनी सहमति दे दी है। हालांकि अभी तक इस बारे में कोई लिखित आदेश जारी नहीं हुए हैं। डीजी ने उम्मीद जताई कि जल्द ही यह आदेश जारी हो जाएगा। अनीश दयाल सिंह ने कहा, यह योजना सभी सीएपीएफ में लागू हो सकती है।
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