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मृत डॉक्टर को न्याय दिलाने पश्चिम बंगाल में नाबन्ना प्रदर्शन

राष्ट्रीय            Aug 27, 2024


मल्हार मीडिया ब्यूरो।

पश्चिम बंगाल में महिला डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी का मामला शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। अब छात्र संगठन इस घटना का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतर आए हैं। छात्रों ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ दरिंदगी और हत्या के विरोध में छात्रों ने मंगलवार को 'नबन्ना अभियान' प्रदर्शन किया। आंदोलनकारियों ने हाबड़ा में प्रदर्शन किया जहां पुलिस का भारी जमावड़ा रहा। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प भी देखने को मिली।

इस विरोध मार्च पर राजनीति भी खूब हो रही है। भाजपा ने कहा है कि सच से साथ खड़े लोगों के साथ कार्रवाई हो रही है। इसने बंगाल सरकार को 'तानाशाह' करार दिया है। वहीं तृणमूल कांग्रेस ने नबन्ना मार्च को विपक्ष की राजनीति बताया है।

बंगाल से चर्चा में आया नबन्ना क्या है?

पश्चिम बंगाल में जिस 'नबन्ना' तक मार्च किया गया है वह एक प्रशासनिक भवन है। नीली और सफेद रंग की बहुमंजिला इमारत हावड़ा जिले के हावड़ा शहर में एक इमारत है। ममता बनर्जी ने अक्तूबर 2013 में हुगली नदी के पश्चिमी तट पर स्थित 14 मंजिला हुगली रिवर ब्रिज कमिश्नरेट (एचआरबीसी) भवन का नाम नबन्ना रखा था। इसी भवन में पश्चिम बंगाल सरकार का अस्थायी राज्य सचिवालय है। इसका उद्घाटन अक्टूबर 2013 में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किया था। बांग्ला भाषा के शब्द 'नबन्ना' का मतलब धान की नई फसल होता है।

छात्रों द्वारा बुलाया गया 'नबन्ना मार्च' क्या है?

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार-हत्या के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इसी कड़ी में बंगाल के कुछ छात्र संघों ने मंगलवार को नबन्ना अभियान कार्यक्रम बुलाया। दोपहर 2 बजे नबन्ना भवन के सामने इकट्ठा होने का आह्वान किया गया। 

आयोजकों ने योजना बनाई थी कि मार्च से कुछ घंटे पहले आंदोलनकारी मुख्य रूप से दो रास्तों से नबन्ना की ओर बढ़ना शुरू कर देंगे। तय किया गया कि एक जुलूस कॉलेज स्क्वायर से ईडन गार्डन, हेस्टिंग्स होते हुए नबन्ना तक जाएगा। दूसरा जुलूस हावड़ा के संतरागाछी से कोना एक्सप्रेसवे होते हुए नबन्ना तक जाएगा। ये सभी इलाके हावड़ा और कोलकाता में ही स्थित हैं।

पश्चिमबंग छात्र समाज नामक एक छात्र संगठन 'नबन्ना अभियान' रैली का नेतृत्व कर रहा है। इसमें अपंजीकृत संगठन 'संग्रामी जौथा मंच' के सदस्यों का भी साथ मिला हुआ है। राज्य के सरकारी कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाला मंच अपने महंगाई भत्ते (डीए) को केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बराबर करने की मांग उठाता रहा है।

'पश्चिमबंग छात्र समाज' एक अपंजीकृत छात्र समूह है जो खुद को एक गैर-राजनीतिक संगठन बताता है। रवींद्र भारती विश्वविद्यालय के परास्नातक छात्र प्रबीर दास, कल्याणी विश्वविद्यालय के शुभंकर हलदर और रवींद्र मुक्ता विश्वविद्यालय के सायन लाहिड़ी मंगलवार को बुलाए गए मार्च के प्रमुख चेहरे हैं।

प्रदर्शनकारियों की मांग क्या है?

छात्र संगठनों की तीन मुख्य मांगें हैं। इनमें पीड़िता को न्याय, अपराधी को मृत्युदंड और ममता बनर्जी के इस्तीफा की मांग की गई है। मीडिया से बात करते हुए मार्च के एक आयोजक सायन लाहिड़ी ने कहा, 'हमारा उद्देश्य शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगें उठाना है। हम गैर-हिंसक तरीके से मुख्यमंत्री से इस्तीफा मांगने की कोशिश कर रहे हैं कि क्योंकि वह आरजी कर मामले जैसी घटनाओं को रोकने में विफल रही हैं जिसने देश को झकझोर दिया है।'

नबन्ना मार्च पर पुलिस ने क्या प्रतिक्रिया दी है?

कोलकाता पुलिस ने 'नबन्ना अभियान' रैली को अनुमति देने से इनकार कर दिया था। पुलिस ने ट्रैफिक एडवाइजरी भी जारी की और शहर को विभिन्न क्षेत्रों से जोड़ने वाले कई मार्गों के लिए डायवर्जन भी किया। इस विरोध के मद्देनजर शहर में 6,000 से ज्यादा जवानों को तैनात किया। नबन्ना और उसके आसपास के इलाकों को सुरक्षा घेरा लगा दिया गया। पुलिस ने पूरे शहर में कड़ी सुरक्षा लगा दी। मंगलवार सुबह से ही नबन्ना चौराहे पर कड़ा सुरक्षा घेरा था। शहर के विभिन्न हिस्सों में वेल्डेड रेलिंग और कंटेनर स्थापित किए गए।

तमाम प्रतिबंधों की बावजूद आंदोलनकारी नबन्ना मार्च के लिए इकट्ठा हुए। प्रदर्शनकारी हावड़ा ब्रिज पर एकत्र हुए, पुलिस बैरिकेड्स पर चढ़ गए और 'नबन्ना अभिजन' विरोध मार्च के दौरान पुलिस कर्मियों के साथ भिड़ गए। वे सचिवालय तक जाने वाले रास्ते में संतरागाछी इलाके में लगाए गए बैरिकेड्स को हटते हुए देखे गए। प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले दागे गए और पानी की बौछारें की गईं। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़प में दोनों पक्ष से कई लोग घायल भी हुए हैं। हावड़ा ब्रिज युद्ध का अखाड़ा सा नजर आया।

मार्च पर राजनीति क्या हो रही है?

पूरे विरोध के बीच राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू है। मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भाजपा ने बंगाल सरकार और पुलिस पर आरोप लगाए। भाजपा प्रवक्ता नेता गौरव भाटिया ने कहा, 'अगर देश में कोई तानाशाह है तो वो तानाशाह ममता बनर्जी हैं...सच सामने आना चाहिए, जांच एजेंसी सीबीआई को ममता बनर्जी और पुलिस कमिश्नर का पॉलीग्राफ टेस्ट करना चाहिए सच को दबाया नहीं जा सकता और सबसे बड़ी बात ये है कि जब तक ये लोग अपने पदों पर हैं और छात्रों को कुचल रहे हैं, संविधान की धज्जियां उड़ा रहे हैं, ये बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, इस मुद्दे को मजबूती से उठाया जाएगा जैसा कि आज उठाया गया है।' इसके अलावा बंगाल भाजपा ने 'छात्रों के शांतिपूर्ण मार्च पर पुलिस के दमन' के विरोध में बुधवार को 12 घंटे के राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया है।

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने विभिन्न स्थानों पर प्रतिबंध लगाए जाने पर सवाल खड़े किए हैं। अधीर ने कहा, 'मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं कि विरोध को रोकने के लिए अत्यधिक व्यवस्था क्यों की गई है? विपक्ष और सत्तारूढ़ दल को यह सुनिश्चित करने के लिए एक साथ बैठना चाहिए कि विरोध शांतिपूर्ण तरीके से हो।'

इसके अलावा वामपंथी दलों ने इस विरोध मार्च से खुद को अलग कर लिया है। दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस ने विरोध को राजनीतिक करार दिया है। टीएमसी ने कहा कि नबान्न तक ‘छात्र समाज’ का मार्च अवैध है और कोलकाता में व्यापक अशांति भड़काने का प्रयास है

 


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