मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश विधानसभा में हंगामे की भेंट चढ़े बजट सत्र की आठवें दिन की कार्यवाही के दिन कांग्रेस ने अपने विधायक जीतू पटवारी को विधानसभा अध्यक्ष के नोटिस पर हंगामा किया।
इस हंगामे के बीच जब सत्ता पक्ष ने अनुदान मांगों को पारित करने का सिलसिला शुरू किया तो फिर विपक्ष ने भाजपा पक्ष के इस तरह बजट पारित कराने के रवैये का विरोध किया। कांग्रेस ने आसंदी पर भी सवाल उठाए।
आखिरकार सत्ता पक्ष ने सरकार के सभी काम निपटाने के बाद कार्यवाही को पांच बैठक पहले अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करा लिया।
मध्य प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र अपनी निर्धारित पांच बैठक के पहले ही आज सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया है। सत्र 25 मार्च तक चलना था लेकिन नौ दिन पहले ही इसे स्थगित कर दिया गया है। नौ दिन में सदन की पांच और बैठकें होना थीं।
आज बुधवार को जब कार्यवाही शुरू हुई तो प्रश्नकाल खत्म होने के बाद शून्यकाल में कांग्रेस विधायकों ने विधायक जीतू पटवारी को विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के नोटिस पर हंगामा शुरू कर दिया।
कांग्रेस विधायकों की ओर से वरिष्ठ विधायक डॉ. गोविंद सिंह ने यह मुद्दा उठाया। विपक्षी दल कांग्रेस विधायकों ने कहा कि पटवारी ने सदन के बाहर टिप्पणी की थी तो उन्हें नोटिस दिया जाना अनुचित है। वहीं, सत्ता पक्ष ने नोटिस को सही करार दिया। कांग्रेस विधायकों का हंगामा जारी रहा।
सत्ता पक्ष ने विपक्षी दल कांग्रेस के विधायकों के हंगामे के बीच बजट अनुदान मांगों पर चर्चा के बिना ही पारित कराना शुरू कर दिया। इस पर कांग्रेस विधायकों ने फिर हंगामा किया और आसंदी से संरक्षण का आग्रह किया। इसके बाद भी अनुदान मांगों को पारित कराए जाने का सिलसिला जारी रहा तो कांग्रेस विधायकों ने आसंदी पर ही सवाल खड़े करना शुरू कर दिया।
अनुदान मांगों को सत्ता पक्ष की ओरे से पारित कराने के बाद संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने का प्रस्ताव पेश किया। उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष की सहमति है और इसलिए सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया जाए। मगर कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने सदन के बाहर कहा कि संसदीय कार्यमंत्री मिश्रा गलत बयानी कर रहे हैं।
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