मल्हार मीडिया भोपाल।
जोर-जोर फुलवा सजाई रास
उड़ गए फुलवा रह गई बास
स्मृति शेष पुष्पेन्द्र बड्डे का जीवट सदा जीवन पथ को आलोकित करता रहेगा.
उन्ही के आदेश पर मैंने यह 1992 बैच नाम से व्हाटसएप ग्रुप सृजित किया था.
वे तमाम शारीरिक व्याधियों, सीमाओं के बावजूद मानसिक धरातल पर जिंदगी के आखिरी समय तक पूरी मज़बूती से डटे
रहे,जिंदगी के पक्ष में खड़े रहे.
पुष्पेन्द्र बड्डे का जीवित होना,जीवन का हिस्सा होना पीड़ा के समुद्र में आशा के द्वीप की तरह था.
न कभी हिम्मत तोडी,न हौसला खोया,सदा अपडेट रहते...
कभी मैं उनका फोन न उठा सका तो उनका उलाहना देना कि जब नहीं रहूँगा तब तुम्हें मेरी बहुत याद आएगी....
ईश्वर बड्डे की आत्मा को शांति प्रदान करें,उन्हें अगले जन्म हेतु संसार में भेजे तो स्वस्थ शरीर के साथ भेजे .....
यही प्रार्थना....
पुष्पेन्द्र सदा स्मृतियों में सुगंध की तरह बसे रहेंगे....
रजनीश जैन वरिष्ठ पत्रकार सागर।
जिंदगी को सीमा और क्षमता समझाना हर एक के बस की बात नहीं होती है. पुष्पेंद्रभाई ने जीवन की जटिलताओं के बीच एक ऐसी कहानी लिखी है, जो हम सब के लिए हमेशा ही प्रेरणादायी है. गलत को गलत, सही को सही कहना उनकी सहज प्रवृत्ति थी. उनके मन में सब के प्रति आत्मीयता, संवेदनशीलता और भाईचारा कूट-कूट के भरा था. डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग और अपने सहपाठियों पर अभिमान करने की दबंगाई कोई भूल नहीं सकता. पुष्पेंद्रभाई जैसा जिंदादिल और जिगरबाज इंसान चाहे किसी भी जहां में रहे, मगर वह हमारे दिलों में हमेशा बसा रहेगा. विनम्र और भावभीनी श्रद्धांजलि.
अमिताभ श्रीवास्तव,संपादक-लोकमत,औरंगाबाद
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