मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर को आज सप्रे संग्रहालय के सभागार में पुण्य स्मरण सभा आयोजित कर श्रद्धांजलि दी गई।
सभा में शहर के पत्रकार, साहित्यकार, कलाकारों सहित समाज के विभिन्न क्षेत्र के लोगों ने उनका स्मरण किया। सभी ने एक मत से माना कि श्री गौर आमजन से जुड़े राजनेता थे। आज भोपाल जिस रूप में है इसमें उनका बड़ा योगदान रहा है। सही मायनों में वे आधुनिक भोपाल के शिल्पी थे।
सांस्कृतिक संस्था अभिनव कला परिषद के निदेशक तथा संस्कृतिकर्मी सुरेश तांतेड़ ने गौर साहब से अपने व्यक्तिगत संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि वे बहुत विनम्र व्यक्ति थे। उनकी कला-संगीत में भी खासी दिलचस्पी थी। तमाम व्यस्तताओं के बाद भी शायद ही ऐसा कोई वर्ष रहा हो जब वे संस्था के कार्यक्रमों में नहीं आए हों।
साहित्यकार डा. रामवल्लभ आचार्य ने कहा कि वे सहज व्यक्ति थे। भोपाल के विकास और सौन्दर्य के प्रति वे हमेशा समर्पित रहे। समाजसेवी प्रकाश गावंदे ने भी एक पत्रकार के तौर पर उनके साथ बिताये क्षणों को याद करते हुए कहा कि पत्रकार बिरादरी से मधुर संबंध रहे। भोपाल के लिए जो उन्होंने किया वह याद किया जाता रहेगा।
भूपेश गुप्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए भी उन्हें अहंकार छू नहीं पाया और वे सहज भाव से स्वीकारते थे कि मैंने अपना जीवन एक मिल मजदूर के रूप में शुरु किया था। गौर साहब ने सार्वजनिक जीवन में भी यह स्वीकारने में कभी गुरेज नहीं किया कि उनकी तरक्की में श्रीधर जी का योगदान है। यह उनकी सहजता का प्रमाण था। श्री गुप्ता ने उन्हें आधुनिक भोपाल का शिल्पी बताया।
लोककला मर्मज्ञ वसंत निरगुणे ने कहा कि गौर साहब के बैलोस ठहाके हमेशा याद किए जाते रहेंगे। उन्होंने अपने व्यक्तित्व पर कभी पद को हावी होने नहीं दिया। अरविंद जैन ने भी उनके सहज व्यक्तित्व की प्रशंसा की।
सप्रे संग्रहालय के संस्थापक - संयोजक विजयदत्त श्रीधर ने कहा कि गौर जी संग्रहालय के स्थापना काल से ही जुड़े रहे। यहाँ की गतिविधियों में वे रुचि रखते थे। देश-विदेश में जहाँ भी गए यह बताने से नहीं चूके कि भोपाल में बौद्धिक धरोहर को संरक्षित करने वाल यह अनूठा संस्थान है। श्रीधर जी का कहना था कि जिस तरह भोपाल के विकास में राजा भोज, भोपाल के नवाब, पूर्व राष्ट्रपति डा. शंकरदयाल शर्मा का नाम याद किया जाता रहा है वैसे ही भोपाल को निखारने में गौर साहब का नाम भी इतिहास में दर्ज होगा। उनके व्यक्तित्व का जिक्र करते हुए श्रीधर जी ने कहा कि सहजत, विनम्रता तथा परिश्रम के बल पर ही वे एक मिल मजदूर से मुख्यमंत्री तक पहुँचे। उनकी यह यात्रा भारतीय लोकतंत्र की खूबी का प्रमाण भी है।
निर्मल नारद का भी किया स्मरण
श्रद्धांजलि सभा में महाकोशल क्षेत्र के वयोवृद्ध पत्रकार निर्मल नारद का स्मरण भी किया गया। गत 12 अगस्त को लंबी बीमारी के बाद 88 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। उनका स्मरण करते हुए संग्रहालय की निदेशक डा. मंगला अनुजा ने बताया कि निर्मल नारद प्रदेश के पहले श्रमजीवी पत्रकार रहे। उन्होंने अपने पिता की छत्रछाया में पत्रकारिता सीखी। वर्ष 1953 में पिता की असमय मृत्यु के बाद पढ़ाई छोड़कर वे पत्रकारिता को समर्पित हो गए। उन्होंने जबलपुर समाचार, सार समाचार, युगधर्म, नवभारत टाइम्स, आचरण, इंदौर नईदुनिया जैसे समाचार पत्रों के लिए कार्य किया। उनकी दीर्घकालीन सेवाओं के लिए माधवराव सप्रे स्मृति समाचार पत्र संग्रहालय ने वर्ष 2001 में ‘लाल बलदेव सिंह सम्मान’ से सम्मानित किया। अंत में सभी उपस्थित प्रबुद्धजनों ने दो मिनट का मौन रखकर दोनों दिवंगत विभूतियों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
Comments