मल्हार मीडिया ब्यूरो।
देश के विकास की रफ्तार में आई गिरावट के लिए केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने दुनिया भर में जारी आर्थिक मंदी को जिम्मेदार ठहाराया है। अरुण जेटली ने कहा है कि देश की जीडीपी ग्रोथ पर वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों का असर पड़ा है और वैश्विक परिदृश्य के मद्देनजर देश की जीडीपी वृद्धि दर बहुत अच्छी है। वित्त वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही जनवरी से मार्च के दौरान जीडीपी ग्रोथ महज 6.1 फीसदी पर अटक गई।
अरुण जेटली ने एक संवाददाता सम्मेलन में नरेंद्र मोदी सरकार के तीन साल के कामकाज का लेखा-जोखा पेश करते हुए कहा, हमें विरासत में खराब अर्थव्यस्था मिली, जहां भ्रष्टाचार व्याप्त था। तीन साल पहले तक देश की अर्थव्यवस्था पर निवेशकों को भरोसा नहीं था, लेकिन एनडीए सरकार ने तीन सालों में अर्थव्यवस्था की विश्वसनीयता दोबारा बहाल करने में सफलता हासिल की। अब विदेशी निवेशक दोबारा भारत की ओर रुख कर रहे हैं'
उन्होंने कहा, इन तीन वर्षों में हमने सख्त निर्णय लिए, भ्रष्टाचार रोकने के प्रयास किए और इसमें नोटबंदी एक बड़ा कदम था। हमने विदेशी निवेश बढ़ाने का काम किया और देश की छवि बदलने से इसमें फायदा मिला।
वित्त मंत्री ने नोटबंदी का जिक्र करते हुए कहा कि इससे तीन फायदे हुए हैं। जेटली ने कहा, 'नोटबंदी की वजह से लोग कैश ट्रांजैक्शन से परहेज करने लगे हैं और डिजिटाइजेशन में इजाफा हुआ है। दूसरा, टैक्स देने वालों की तादाद लगातार बढ़ रही है और तीसरा, काले धन की सामानांतर अर्थव्यवस्था खत्म हुई है।'
वहीं जीएसटी लागू किए जाने को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में जेटली ने कहा कि जीएसटी से टैक्स कम होंगे और खपत बढ़ेगी। इससे जीएसटी से अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की किसी तरह की आशंका निराधार है।
गौरतलब है कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की रफ्तार पिछले वित्त वर्ष में 7.1 फीसदी रही थी। वहीं, पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में यह 6.1 फीसदी रही और इस वजह से भारत का सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था का तमगा भी छिन गया है। चौथी तिमाही मेंग्रोथ का आंकड़ा इतना कम रहने की बड़ी वजह नोटबंदी को माना जा रहा है।
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