डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी।
जिंदगी लॉजिक का नहीं,मैजिक का खेल है ! यही सार है आर. बाल्की की नई फिल्म घूमर का। आर. बाल्की इसके पहले भी लीक से हटकर जबरदस्त फिल्में बना चुके हैं जैसे 'पा' और 'चीनी कम' और यह फिल्म भी एकदम नए विषय पर बनी है। इस फिल्म में अभिषेक बच्चन और शबाना आजमी ने तो जबरदस्त अभिनय किया ही है, नए कलाकारों में भी जी जान लगा दी है। अगर आप जिंदगी में जुनून और जुझारूपन की मिसाल देखना चाहते हैं तो यह फिल्म आपको आगे बढ़ने की प्रेरणा देती रहेगी और बताती रहेगी कि हार कभी भी नहीं माननी चाहिए। फिल्म के जबरदस्त डायलॉग इसकी खूबी है।
'घूमर' एक स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म है। फिल्म ऐसी खिलाड़ी पर केंद्रित है जो क्रिकेट की दुनिया में नाम कमाना चाहती है लेकिन हालात एकदम विपरीत हैं। एक महिला क्रिकेटर हैं, जो इंटरनेशनल क्रिकेट में शामिल होने के पहले ही एक्सीडेंट में अपना दाहिना हाथ को देती है। वह दाहिना हाथ जिसके बिना क्रिकेट में बैटिंग की की ही नहीं जा सकती। ऐसे हालत में भी वह क्रिकेट खेलना चाहती है और इंटरनेशनल महिला क्रिकेट में नाम कमाना चाहती है। लोग उसको हतोत्साहित करते हैं, फिकरे कसते हैं, मज़ाक भी बनाते हैं, घरवाले भी सहयोग नहीं करते, क्रिकेट की अंदरूनी राजनीति भी उसे अक्षम साबित करनेपर तुली होती है। ऐसे में उसकी मदद करते हैं पदम सिंह सोढ़ी यानी पैड़ी सर। पैडी एक पुराने क्रिकेट खिलाड़ी और कोच हैं और वे महिला क्रिकेटर को न केवल उसका खोया हुआ आत्मविश्वास वापस दिलाते हैं, बल्कि उसके सपने को भी पूरा करने में मदद करते है । इस फिल्म में विश्वास, भरोसा, कड़ी मेहनत और क्रिकेट के प्रति बेपनाह प्रेम दिखाया गया है।
इस फिल्म में नयापन है। शबाना आज़मी ने महिला क्रिकेटर दादी की भूमिका की है। वे एक स्वतंत्र महिला के रूप में इस फिल्म में हैं, जो अपनी पोती को बढ़ावा देती रहती हैं। खिलाड़ी के पिता को भी सहयोगी के रूप में दिखाया गया है, लेकिन हालात ऐसे होते हैं कि परिवार में ही उसे सहयोग नहीं मिलता। क्रिकेट के मैदान से शुरू हुई फिल्म अंत में जाकर एक सुखांत मोड़ पर पहुंचती है। फिल्म का संगीत मधुर है और चुभता नहीं है। फिल्म का यह डायलॉग सुनकर दर्शक तालियां पीटते हैं कि जिंदगी अगर आपके मुंह पर दरवाजा मारे ना, तो दरवाजा खोलते नहीं हैं, तोड़ते हैं।
इस फिल्म में अभिषेक बच्चन ने जबरदस्त काम किया है। यह उनके अभिनय कैरियर की सबसे अच्छी फिल्म है। सैयामी खेर ने क्रिकेटर के रूप में बहुत साकार अभिनय किया है, वह खुद भी क्रिकेट के खिलाड़ी रही है इसलिए उन्हें यह भूमिका मिली होगी। इस फिल्म के वन लाइनर जोरदार हैं। फिल्म बार बार आपको हंसाती है या भावुक कर देती है। आम फिल्मों से अलग हटकर है यह फिल्म। इसको देखने के लिए अलग तरह का मूड होना चाहिए।
फिल्म घूमर फ्लॉप हो गई, पर है देखने लायक !
''जब कोई दारूकुट्टा मरता है तो उसे जलाने में कम लकड़ियां खर्च होती है क्योंकि उसके पेट में ज्वलनशील अल्कोहल होता है। माचिस की तीली लगाने से ही जल जाता है। इससे लकड़ियां बचती हैं। पर्यावरण की सुरक्षा होती है। नो ग्लोबल वार्मिंग !!!
"जिंदगी जब मुंह पर दरवाजा बंद कर देती है तब उसे खोलना नहीं, तोड़ना पड़ता है!"
“लूजर क्या महसूस करता है I know, I also want to know विनर्स क्या महसूस करते हैं..”
जिंदगी लॉजिक का नहीं, मैजिक का खेल है ! यही सार है आर. बाल्की की नई फिल्म घूमर का।
ये वह घूमर नहीं, जो संजय लीला भंसाली की 'पद्मावत' में सोने की दुकान बनी दीपिका पादुकोण ने किया था, बल्कि क्रिकेट की दुनिया में स्पिन गेंदबाजी पर आधारित है। यह फिल्म बहुत प्रेरणा देने वाली है।
अगर ग़दर २ देखकर उसके शोर से आपके कानों की झनझनाहट ख़त्म हो गई हो तो 'घूमर' राहत देनेवाली है। देख आइए, मेरा यकीन है कि आपके पैसे बर्बाद नहीं होंगे। अफसोस नहीं होगा।
आपको पक्का भरोसा होगा कि अभिषेक बच्चन को भी अच्छी एक्टिंग आती है। आर. बालकृष्णन यानी बाल्की तो अच्छे डायरेक्टर हैं ही! आर. बाल्की विज्ञापनों की दुनिया से आये हैं और 'पा', 'चीनी कम' ,'चुप' और 'पैड मैन' जैसी फिल्मों के अलावा कई जानदार एड बना चुके हैं जैसे दाग अच्छे है, वाट एन आइडिया सरजी, जागो रे, हमारा बजाज वगैरह। 'इंग्लिश विंग्लिश' की डायरेक्टर गौरी शिंदे उनकी लुगाई है। घूमर में उन्होंने ट्रांसजेंडर इवांका दास को महत्वपूर्ण भूमिका दी है।
फिल्म देखकर समझ में आता है कि महिला खिलाड़ी और कोच का रिश्ता क्या होता है। वह रिश्ता पिता-पुत्री, भाई-बहन, प्रेमी-प्रेमिका, बीएफ-जीएफ से अलग ही एक रिश्ता होता है। इस रिश्ते को परिभाषित करने के लिए कोई शब्द अभी तक बना ही नहीं है।
फिल्म देखते वक्त कई दर्शक सोचते होंगे कि काश, मेरी दादी भी शबाना आज़मी जैसी होती, मेरा बाप भी डूंगरपुर राजा के भतीजे शिवेंद्र सिंह जैसा और बॉयफ्रेंड अंगद बेदी जैसा 20 मिलियन डॉलर लेकर लौटा एनआरआई होता! इसमें सुपरस्टार अमिताभ बच्चन सुशील दोषी जैसे कमेंटेटर हैं और क्रिकेटर बिशन सिंह बेदी ओरिजिनल स्पिन गेंदबाज़ के रोल में हैं। मुख्य रोल सैयामी खेर का है। निर्देशक ने कहानी नाटकीय बनाने के लिए पूरी आज़ादी ली है जो कहीं कहीं अखरती भी है।
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