डॉ.प्रकाश हिंदुस्तानी।
युधा फ़िल्म देखी। समझ में नहीं आया कि
एनिमल और किल से भी ज्यादा हिंसा वाली इस फ़िल्म को फ़िल्म प्रमाणन बोर्ड ने 'A' सर्टिफिकेट क्यों नहीं दिया?
फ़िल्म में ईमानदार पुलिसवाला अक्सर राजपूत ही क्यों होता है?
तस्करों के नाम मुस्लिम ही क्यों रखे जाते हैं?
हीरोइन को अच्छी पढ़ाई के लिए विदेश में ऐसी जगह ही स्कालरशिप कैसे मिल जाती है, जहां सुंदर समुद्र तट होते हैं। बेचारे आम विद्यार्थी तो यूक्रेन, रूस, चीन और यहां तक कि बांग्लादेश जाकर पढ़ाई करते हैं। इस फ़िल्म से पता चला कि डॉक्टरी की पढ़ाई करनेवाली को पुर्तगाल में भी स्कॉलरशिप मिल जाती है जिसके बूते पर हीरोइन सुंदर सुंदर बीच पर नहाती है।
हीरो को विदेश जाने के लिए इतनी जल्दी वीसा कैसे मिल जाता है? क्या वह बिना वीसा के जाता है? उसे कभी विदेशी मुद्रा की दिक्कत नहीं होती? वह महंगे कपड़े पहनता है, महंगे शौक पालता है। उसे कभी कानूनी पचड़ों में नहीं पड़ना पड़ता!
यहां तो मामूली ज़ख्म भरने में हफ्तों लग जाते हैं, हीरो का ज़ख्म यूं, चुटकी बजाते ही भर जाता है। क्या जादू है भाई? कुछ भी हो, हीरो को कुछ नहीं होता। हीरो अमृत पीकर आता है क्या?
हर फिल्म में नेता गद्दार, लालची, दुष्ट, जल्लाद टाइप क्यों होता है?
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