मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश में पवन खेड़ा के बयान कि चेहरे पर नहीं मुद्दों पर होगा चुनाव ने कांग्रेस के नेताओं के सामने असमंजस की स्थिति खड़ी कर दी है।
2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद कमलनाथ के राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से संबंध ख़राब हो गये थे, इस कारण लगातार प्रयास के बाद भी कांग्रेस हाईकमान कमलनाथ को सीएम का चेहरा घोषित नहीं कर रहा है।
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश कांग्रेस में भावी और अवश्यंभावी सीएम के चेहरे पर कमलनाथ के होर्डिंग-पोस्टर भी मध्यप्रदेश में चस्पा कर दिए गए।
कमलनाथ समर्थक उन्हें भावी मुख्यमंत्री बताने का जहां कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं वहीं इसके विरोध में भी आवाजें आती रही हैं।
कांग्रेस आलाकमान की ओर से राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने भोपाल में पत्रकारों के सामने यह ऐलान करके कि राज्य में चुनाव चेहरे पर नहीं बल्कि मुद्दों पर लड़ा जाएगा, फिर एक बार इस विवाद को हवा दे दी है।
एमपी में कमलनाथ वरिष्ठता की नजर से आलाकमान से ऊपर की हैसियत रखते हैं। उनके समर्थक भावी सीएम का ऐलान बिना उनकी जानकारी के कर रहे होंगे ऐसा तो नहीं माना जा सकता।
मध्यप्रदेश के इतिहास में पहले कभी भी सीएम के चेहरे पर चुनाव नहीं लड़े गए थे।
चुनाव के बाद सीएम का चयन किया गया था। 2018 में भी सीएम चयन में कमलनाथ और सिंधिया खेमों के बीच विवाद के कारण ही कांग्रेस सरकार का पतन हुआ था।
हिमाचल प्रदेश में भी कांग्रेस ने सीएम का चेहरा घोषित नहीं किया था, हाल ही में कर्नाटक में भी पार्टी ने बिना किसी चेहरे के चुनाव जीता था। जीत मिलने के बाद मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री का चयन किया गया।
कांग्रेस का आलाकमान शायद मध्यप्रदेश में भी इसी रणनीति पर आगे बढ़ना चाहता है। एमपी में कांग्रेस कमलनाथ के नाम से ही जानी पहचानी जाती है।
उनका खेमा यह बात मानने को तैयार ही नहीं है कि भावी मुख्यमंत्री का चेहरा पहले से सुनिश्चित रूप से जनता के सामने ना रहे।
उनका खेमा 2018 की गलती दोहराना नहीं चाहता। चुनाव परिणाम पर भले ही कोई भविष्यवाणी करना अभी संभव नहीं हो लेकिन कांग्रेस में कमलनाथ खेमा भावी सीएम की भविष्यवाणी में किसी प्रकार की गलती नहीं करना चाहता।
गौरतलब है कि एमपी कांग्रेस में भावी सीएम का विवाद लंबे समय से चल रहा है। कई नेताओं की ओर से सीएम चयन के लिए संवैधानिक व्यवस्था का हवाला देते हुए ऐसे बयान दिए गए कि चुनाव के बाद फैसला किया जाएगा।
कमलनाथ खेमा किसी भी स्तर पर उन्हें ही भावी मुख्यमंत्री घोषित करने की रणनीति पर काम कर रहा है। जगह-जगह होर्डिंग लगाए गए तो ट्विटर पर भावी और अवश्यंभावी सीएम का उद्घोष किया गया।
कमलनाथ और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष के बीच चल रहे राजनीतिक विवाद में ऐसे मुद्दे सामने आ रहे हैं जो चेहरे के नजरिए से अपना प्रभाव डाल सकते हैं। 1984 के सिख दंगों को लेकर कमलनाथ पर गंभीर आरोप बीजेपी सरकार की ओर से लगाया गया है।
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