राजनीतिक दल में असंतोष बहुमत साबित करने को कहने का पर्याप्त आधार नहीं हो सकतां:सुप्रीम कोर्ट

राजनीति            Mar 15, 2023


मल्हार मीडिया ब्यूरो।

महाराष्ट्र में सत्ता संघर्ष को लेकर उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट के बीच चल रही कानूनी लड़ाई में सुनवाई के दौरान बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के उद्धव ठाकरे से बहुमत साबित करने के लिए कहने का आधार पूछा। कोर्ट कहा कि ऐसा क्या राज्यपाल के सामने था जिससे उन्हें लगा की सरकार बहुमत खो चुकी है?

पीठ ने सवालों के दौरान टिप्पणी में यह भी कहा कि राजनीतिक दल में असंतोष बहुमत साबित करने को कहने का पर्याप्त आधार नहीं हो सकता। हालांकि, राज्यपाल की ओर से पक्ष रखते हुए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मौजूद परिस्थितियों और 41 विधायकों के राज्यपाल को लिखे गए पत्र को देखते हुए राज्यपाल के मुख्यमंत्री से बहुमत साबित करने को कहने का पर्याप्त आधार और सामग्री थी।

मामले की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ कर रही है। गुरुवार को सुनवाई पूरी होने और कोर्ट के फैसला सुरक्षित रख लेने की उम्मीद है। बुधवार को राज्यपाल की ओर से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कानूनी मुद्दों को लेकर पक्ष रखा। कोर्ट ने भी मेहता से कई सवाल किये।

कोर्ट ने घुमा फिरा कर कई बार पूछा कि राज्यपाल को किस आधार पर लगा कि सरकार ने बहुमत खो दिया है और राज्यपाल ने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से बहुमत साबित करने के लिए कहा।

पीठ ने उद्धव ठाकरे गुट के वकीलों की ओर से पूर्व में दी गई दलीलों के मद्देनजर सालिसिटर जनरल से सवाल करते हुए कहा कि शिवसेना के बागी गुट के 34 विधायकों की ओर से राज्यपाल को भेजे गए पत्र को देखा जाए, तो उसमें सरकार से सपोर्ट वापस लेने की बात नहीं कही गई है। उसमें शिंदे को नेता चुनने की बात है। उनका तो कहना है कि वे शिवसेना ही हैं।

यही बात उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट में भी कही गई है ऐसे में राज्यपाल को उन्हें शिवसेना का ही मानना चाहिए था। अगर वे शिवसेना के हैं, तो पत्र पार्टी के अंदर असंतोष के समान ही था उससे राज्यपाल को यह कैसे लगा कि सरकार ने बहुमत खो दिया है। राज्यपाल ने किस आधार पर बहुमत साबित करने के लिए कहा।

पीठ ने कहा कि सत्ताधारी दल के विधायकों के बीच मतभेद के आधार पर विश्वास मत साबित करने के लिए कहना निर्वाचित सरकार को गिरा सकता है। राज्य का राज्यपाल किसी विशेष परिणाम को संभावित करने के लिए अपने दफ्तर का उपयोग नहीं करने दे सकता ये लोकतंत्र के लिए दुखद नजारा होगा।

सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ की जिज्ञासाओं का जवाब देते हुए कोर्ट का ध्यान शिवसेना के बागी विधायकों और निर्दलीयों समेत कुल 41 विधायकों द्वारा राज्यपाल को भेजे गए पत्र की ओर दिलाया। उन्होंने कहा कि उस पत्र में लिखा है कि वे लोग सरकार का हिस्सा नहीं रहना चाहते और उन पर समर्थन करने के लिए दबाव डाला जा रहा है।

 



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