मल्हार मीडिया ब्यूरो।
पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार को 'भारत माता का एक महान सपूत' बताया। मुखर्जी ने हेडगेवार के जन्मस्थल का दौरा किया और आगंतुकों के लिए मौजूद किताब में लिखा, "मैं आज यहां भारत माता के महान सपूत को मेरी श्रद्धांजलि और सम्मान पेश करने आया हूं।"
आरएसएस की पहली बैठक हेडगेवार के घर में हुई थी, जिसकी स्थापना उन्होंने 1925 में की थी।
आरएसएस के मुख्यालय में गर्मजोशी से स्वागत के बाद, मुखर्जी को हेडगेवार स्मारक परिसर दिखाया गया, जहां एक छोटा मंदिर भी मौजूद है।
यहां पहुंचने पर प्रणब मुखर्जी का हवाईअड्डे पर आरएसएस पदाधिकारियों ने स्वागत किया। लेकिन, इस मौके पर कांग्रेस का कोई सदस्य मौजूद नहीं था।
राष्ट्रपति बनने से पहले दशकों तक कांग्रेस पार्टी में रहे मुखर्जी गुरुवार को नागपुर में आरएसएस के एक कार्यक्रम में शामिल होने आए हैं। वह यहां तीन वर्ष के प्रशिक्षण कार्यक्रम 'तृतीय वर्ष वर्ग' के समापन समारोह में आरएसएस कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे।
उनके इस दौरे की उनकी पार्टी के कई नेताओं समेत कई अन्य लोगों ने आलोचना की है।
महात्मा गांधी की हत्या के बाद 4 फरवरी 1948 को आरएसएस को प्रतिबंधित कर दिया गया था। इस प्रतिबंध को 11 जुलाई 1949 को तब हटाया गया था, जब तत्कालीन सरसंघचालक एम.एम. गोलवलकर ने वचन (अंडरटेकिंग) दिया था कि संगठन भारतीय संविधान का पालन करेगा।
आलोचनाओं के बीच, पूर्व राष्ट्रपति यहां बुधवार शाम को आए थे और आरएसएस के अधिकारियों ने यहां उनका हवाईअड्डे पर किया। हवाईअड्डे पर उनका स्वागत करने के लिए कांग्रेस से कोई मौजूद नहीं था।
शहर में बारिश की संभावना के बीच, समारोह के लिए एक अन्य वैकल्पिक सभागार की व्यवस्था की गई है।
मौजूदा जानकारी के अनुसार, मुखर्जी यहां 20 मिनट तक आरएसएस के कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे और उसके बाद वह गुरुवार देर रात यहां से जाने से पहले आरएसएस नेताओं के साथ रात्रिभोज करेंगे।
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