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राष्ट्रपति चुनाव - सोनिया, येचुरी को साधने की कोशिश करेंगे नायडू, राजनाथ

राजनीति            Jun 16, 2017


मल्हार मीडिया ब्यूरो।

अगले महीने होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को लेकर देश की राजनीति में सरगर्मी बढ़ गई है। इसके मद्देनज़र भारतीय जनता पार्टी की ओर से बनाई गई कमेटी के सदस्य वेंकैया नायडू और राजनाथ सिंह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से शुक्रवार को मुलाकात करेंगे। आपको बता दें कि केंद्र सरकार चाहती है कि नए राष्ट्रपति का चुनाव आम सहमति से हो। बीजेपी नेता सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी से भी मिलेंगे।

इसके मद्देनजर सोनिया गांधी ने गुरुवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की थी। सोनिया से मिलने वाले नेताओं में मल्लिकार्जुन खड़गे, ग़ुलाम नबी आजाद, अहमद पटेल शामिल थे। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक शुक्रवार को बीजेपी नेताओं से मुलाकात कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के घर 10 जनपथ पर शुक्रवार को सुबह 11:00 बजे होगी।

सूत्रों के मुताबिक, बैठक में तय हुआ कि जब एनडीए के नेता आएंगे तो सोनिया गांधी क्या प्रतिक्रिया देंगी। कांग्रेस को उम्मीद है कि दो तरह की रणनीति के साथ एनडीए के नेता आ सकते हैं। पहला ये कि, वो कुछ नाम सुझा सकते हैं और सोनिया की राय मांग सकते हैं और दूसरा, वो कह सकते हैं कि जनमत हमारे साथ है, इसलिए हम जो भी उम्मीदवार तय करें विपक्ष को उसका समर्थन करना चाहिए। इस मुलाकात पर कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि एनडीए के नेता क्या बात करते हैं कि इसके आधार पर ही सोनिया जवाब देंगी। मुलाकात से पहले क्या कहा जा सकता है?

इसके पहले बीजेपी की टीम ने बीएसपी सांसद सतीश चंद्र मिश्रा, एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल, और सीताराम येचुरी से फोन पर बात किया है। राष्ट्रपति उम्मीदवार पर विपक्षी सब कमेटी की बुधवार को हुई बैठक में किसी नाम पर फैसला नहीं हो पाया था।

सूत्रों के मुताबिक, सोनिया ने तय किया है कि वह कोई सीधा जवाब एनडीए के नेताओं को नहीं देंगी, बल्कि वे कहेंगी कि विपक्ष की 17 पार्टियों से बात करके ही कोई फैसला करेंगी। सोनिया गांधी का मानना है कि कांग्रेस पहले से इस मुद्दे पर 17 विपक्षी पार्टियों से चर्चा कर रहीं है, इसलिए सबसे बात करके ही वो फैसला करेंगी और फैसला विपक्ष का सामूहिक होगा।

सूत्रों का ये भी मानना है कि एनडीए के नेताओं से मुलाकात करने के बाद सोनिया 20 या 21 जून को एक बार 17 विपक्षी पार्टियों की बैठक बुलाएंगी, जिसमें सोनिया समेत सभी नेता अपनी अपनी राय रखेंगे, क्योंकि एनडीए के नेता सोनिया के अलावा और भी विपक्षी नेताओं से इस बीच मुलाकात कर लेंगे।

दरअसल, कांग्रेस और तमाम विपक्षी दलों को लगता है कि सरकार विपक्ष से बात करने की महज औपचारिकता निभाती दिख रही है। वह अपनी विचारधारा का ही उम्मीदवार थोपना चाहती है, जिस पर शायद ही विपक्ष की सहमति मिले। इसलिए बिना नाम जाने तो एनडीए के उम्मीदवार का विपक्ष समर्थन करने से रहा। इसलिए एनडीए के उम्मीदवार के सामने आते ही विपक्ष भी अपना उम्मीदवार तय कर देगा।

हालांकि, इतिहास बताता है कि वाजपेयी सरकार के दौरान कलाम साहब का नाम समाजवादी पार्टी ने उछाला, जिस पर कांग्रेस और बीजेपी साथ आ गए थे, हालांकि तब नंबर गेम बीजेपी के हक़ में नहीं था। लेकिन बाद में जब यूपीए की सरकार बनी तो उसने अपना ही राष्ट्रपति बनाया और बीजेपी के उम्मीदवार से उसका मुकाबला हुआ और नम्बर के आधार पर राष्ट्रपति यूपीए का उम्मीदवार बना, फिर चाहे वो प्रतिभा पाटिल, भैरों सिंह शेखावत को हराकर बनी हों या प्रणब मुखर्जी, पी ए संगमा को हराकर बने।

कुल मिलाकर आज ठीक उसके उलट हालात हैं। यूपीए विपक्ष में है, नम्बर एनडीए के पास है। एनडीए अपना उम्मीदवार उतारने को तैयार है और विपक्ष हार की संभावना के बावजूद अपना उम्मीदवार उतारने को, यानी एक बार फिर राष्ट्रपति चुनाव में सत्ता पक्ष और विपक्ष टकराने की तरफ बढ़ रहे हैं।



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