मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्य प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने आज सुबह विधानसभा में कमलनाथ सरकार गिराने की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि अगर हमारे ऊपर वाले नंबर 1 और 2 का आदेश हुआ तो कांग्रेस सरकार 24 घंटे भी नहीं चलेगी। भाजपा नेता के बयान पर सदन में हंगामा हुआ।
हालांकि, इसके कुछ घंटे बाद ही सदन में सदन में दंड विधि विधेयक पर वोटिंग हुई। कमलनाथ ने कहा कि हमारे पक्ष में भाजपा के दो विधायकों ने वोटिंग की।
मध्यप्रदेश विधानसभा में बुधवार को दंड संशोधन विधेयक पर वोटिंग में इसमें कांग्रेस को बहुमत मिला। जबकि भाजपा को झटका लगा। कांग्रेस को 122 वोट मिले।
जानकारी के अनुसार इस दौरान भाजपा के दो विधायकों ने क्राॅस वोटिंग की। इसमें मैहर से विधायक नारायण त्रिपाठी और दूसरे शरद कोल हैं, जो ब्यौहारी से विधायक हैं।
वाेटिंग के बाद सदन की कार्रवाई अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। दोनों विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने की खबर है।
इससे मध्यप्रदेश की राजनीति में अचानक उबाल आ गया। जानिये कौन हैं नारायण त्रिपाठी और शरद कोल।
नारायण त्रिपाठी वर्ष 2003 में समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़कर पहली विधायक बने थे। इसके बाद सपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था और वर्ष 2013 के उपचुनाव में जीत हासिल की। इसी बीच वे दोबारा पार्टी बदलते हुए भाजपा में शामिल हो गए और वर्ष 2018 के उपचुनाव में जीत हासिल की।
इसके बाद मप्र विधानसभा चुनाव में भाजपा से चुनाव लड़कर नारायण त्रिपाठी दोबारा विधायक बने। मप्र में कमलनाथ की सरकार बनने के बाद लगातार चर्चा थी कि विधायक नारायण त्रिपाठी भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो सकते है और आखिरकार वे कांग्रेस में शामिल हो गए।
शरद कोल मध्यप्रदेश के सबसे कम उम्र के विधायक हैं। ये टिकट की मांग को लेकर कांग्रेस से बगाबत कर भाजपा में शामिल हुए थे। इनके पिता जुगलाल कोल कांग्रेस के कद्दावर आदिवासी नेता हैं। ब्यौहारी सीट से शरद कोल ने टिकट की दावेदारी की थी लेकिन कांग्रेस ने मौजूदा विधायक रामपाल सिंह को ही फिर से मैदान में उतारा।
भाजपा की सदस्यता लेते ही भाजपा ने शरद को मैदान में उतार दिया और शरद ने रिकार्ड मतों से चुनाव जीत लिया। शरद कोल चुनाव जीतने के बाद से लगातार अपने दल को लेकर सुर्खियों में रहे हैं। भाजपा से पहले कांग्रेस और कांग्रेस से पहले शरद कोल बीएसपी के भी नेता रहे हैं। कोल समाज के कद्दावर नेता और पिता जुगलाल लगातार इस प्रयास में रहे कि बेटा घर वापसी कर ले। शरद कोल इसके पहले जिला पंचायत सदस्य भी रह चुके हैं।
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