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अब इससे चोखा पेशा क्या:5 साल में 5 करोड़ से ज्यादा बढ़ जाते हैं बांदा के ये विधायक

राजनीति            Feb 03, 2017


मल्हार मीडिया।

उत्तरप्रदेश के बाँदा – बुंदेलखंड की गरीब जनता के माननीय कितने पेशेवर राजनीतिक हैं इसकी नजीर हैं सदर से कांग्रेस विधायक विवेक सिंह। चौथी बार चुनाव मैदान में उतर रहे विवेक सिंह की सम्पति हर पांच वर्ष में पांच करोड़ से अधिक बढती है ! इसको वे बाकायदा हलफनामे में घोषित करते हैं। अधिवक्ता की शिक्षा हासिल किये विवेक सिंह यूँ तो गुंडों और बालू माफिया को अपने प्रचार पत्र में गरियाते नजर आते है लेकिन उनकी माली हैसियत खुद इतनी मजबूत कैसे हो जाती है ये अनबूझ पहेली है। वर्ष 2003 से सियासी सफ़र शुरू करने वाले विवेक भाजपा,सपा,कांग्रेस दलों से राजनीती कर चुके है…इस बार उनकी सम्पति पिछले चुनाव में घोषित 6 करोड़ से बढ़कर 11 करोड़ से ऊपर पहुंची है अब इससे चोखा पेशा और क्या हो सकता है ? सबको गरियाते चलो और स्वयं धनकुबेर भी बनते जाओ। पिछली विधानसभा चुनाव में प्रदेश के शीर्ष दस अमीर विधायकों में विवेक तीसरे पायदान में थे शायद इस बार भी उनका ये तमगा बरक़रार रहेगा। गत एक फरवरी को बसंत पंचमी के दिन बाँदा सदर से अपना परचा दाखिल करते हुए उन्होंने अपनी चल-अचल सम्पति का ब्यौरा दिया है।


इसमें उतरोत्तर वृद्धि पिछले चुनाव में दाखिल किये गए शपथ पत्र के मुकाबले हुई है। लक्जरी वाहन के शौकीन विवेक फार्चुनर,इनोवा,स्कार्पियो गाड़ी भी रखते है और एक लाइसेंसी रिवाल्वर भी है। पत्नी के पास एक किलो सोना (करीब 29 लाख रूपये)पुत्रों के पास डेढ़ लाख के जेवर,खुद के पास एक लाख 25 हजार के जेवर और कृषि भूमि सहित बाँदा,लखनऊ,गाजियाबाद में रिहायसी आवास है जिनकी कीमत ग्यारह करोड़ 92 लाख के लगभग है। यानि औसतन उनकी सम्पति में पांच साल में 5 करोड़ से अधिक का इजाफा होता है। विधायकी के अतितिक्त उनके पास अन्य पेशा है ऐसी जानकारी संवाददाता को नहीं है वही उन्होंने अपने छोटे बेटे चीनी के इलाज में बेतहासा रुपया व्यय किया लेकिन वे अब भी अपनी मूत्राशय की बीमारी से पीड़ित हैं। सूत्र कहते हैं विवेक अपने छोटे बेटे से बहुत प्यार करते हैं। विधायक के पिता अधिवक्ता विचित्रवीर सिंह भी बाँदा के नामी वकील थे। विवेक ने अपनी राजनीती इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्रारभ की थी। मीडिया में चलने वाले मुद्दों की नब्ज विवेक बखूबी समझते हैं। इस पांच वर्षीय कार्यकाल में बाँदा से नदारद विवेक चुनाव के 6 माह पहले समाचार पत्रों में खबरें बनने लगे थे।


ये भी सत्य है कि विधायक ने सपा सरकार में उर्जा मंत्री रहते हुए बाँदा को बिजली सुविधा और सीसी सड़को का उपहार दिया था जिसकी खेती वो आज तक काट रहे है। जनता में अपने आक्रामक अंदाज को मशहूर विवेक सिंह का सीधा मुकाबला अबकी बार खनन व्यापारी और बाबूसिंह कुशवाहा के करीबी रहे बीजेपी प्रत्याशी प्रकाश दिवेदी से है। प्रकाश जहाँ साधन सम्पन्न – दबंग छवि और अपने पिता के अपराधिक इतिहास के लिए जाने जाते है वही विवेक को क्षत्रिय जाति अपना सर्वमान्य नेता मानती है।बाँदा से ब्राह्मण जाति के खेमे में अबकी प्रकाश तो सपा-कांग्रेस के संयुक्त प्रत्याशी विवेक को मुस्लिम वोट भी मिलने की आशंका है। बीएसपी ने कुशवाहा पर दांव लगाते हुए मधुसूदन पर टिकट खेला है। हर बार की तरह विवेक अबकी भी आय सम्पति में हुए विकास को लेकर चर्चा में है पर जनता इस बात से अधिक अपने माननीय पर भरोसा करती है देखना ये है क्या प्रकाश इस पर खरे उतरेंगे या विवेक / मधुसूदन कुशवाहा ?

प्रवासनामा से



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