रजनीश जैन।
अब बंगलों और बगीचों से नहीं चलेगी काँग्रेस, कहा रूसिया ने...खट खट" - यह डायलाग रूसिया जी उस दौर में बोला करते थे जब टाइपराइटर वाले टेलीप्रिंटर चलन में थे, खट खट शब्द डायलाग में जोड़ने से उनका मतलब था कि हमारी खबरें डायरेक्ट वार्ता और भाषा जैसी एजेंसिंयों से जारी होंगी...। वास्तव में काँग्रेस के संगठन को ब्रज भाई बीड़ी सेठों की हवेलियों से निकालकर निम्न मध्यम वर्ग तबके में ले गए।
आइडियोलजी के स्तर पर कौमी एकता संगठन, साझा चूल्हा जैसे आयोजन जिले में रूसिया की पहचान थे। दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में रूसिया का जिले के प्रशासन पर दबदबा देखने समझने लायक था...। इस सबकी उन्हें बाद में कीमत भी चुकानी पड़ी। विपक्षी कद्दावरों ने साजिशी तरीके से उनपर काबू किया तो सरमायेदारों ने उनको संगठन के स्तर पर आगे बढ़ने से रोका...। खोटे सिक्कों को चलन में देख कर इस वैल एजूकेटैड और खुर्राट काँग्रेसी ने आखिरी कुछ वर्षों में स्वयं को सार्वजनिक जीवन से खुद ही उपेक्षित कर लिया था...। यहाँ का रिवाज ही है रनिंग पदाधिकारी पूर्व पदाधिकारियों की मयसमर्थकों के बाल्टी माँज देते हैं ताकि सिर्फ अपनी चला सकें। वे भूल जाते हैं कि समय का पहिया उनका भी इंतजार कर रहा है...।
कल श्मशानघाट पर होने वाली चर्चाओं में रूसिया जी के गुणों पर शायद आखिरी मर्सिया पढ़ा जाऐगा और सारे लोग लौट कर फिर काँग्रेस की बाल्टी माँजने में लग जाऐंगे। यानि काँग्रेस को जो अभी जेबी संगठन बना लिया गया है,उसे जनता और समाज में बिखरे उसके आस्थावानों की नजरों से ओझल कर अपनी फर्म की तिजोरी में कैद करने के महान कार्य में पूर्व की तरह लग जाएंगे...। लेकिन याद रखिए कांग्रेस रूसिया जैसे आम काँग्रेसियों से जिंदा रहेगी...वरना आपस के ही वर्ग संघर्ष में घिसटती रहेगी।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।
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