मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश विधानसभा में मीडिया के खिलाफ कथित टिप्पणी के मामले में कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी कार्रवाई के घेरे में आ गए। आज सोमवार को सदन में इस मामले पर खूब हंगामा हुआ। भाजपा के यशपाल सिंह सिसोदिया सहित दस विधायकों ने पटवारी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव रखा। करीब दो घंटे जमकर बहस हुई।
तीन बार सदन की कार्यवाही को स्थगित भी करना पड़ा। इस बीच कई बार सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्य तैश में आ गए। सभी पक्षों को सुनने के बाद विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा ने मामला विशेषाधिकार समिति को सौंप दिया। बहस के दौरान पटवारी चुपचाप सदन में बैठे रहे।
कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने गत शुक्रवार मीडिया को लेकर सदन में टिप्पणी कर दी थी। इसको लेकर सोमवार को सदन में जमकर बवाल हुआ। अध्यक्ष की अनुमति से भाजपा विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने विशेषाधिकार हनन का मुद्दा उठाया।
उन्होंने कहा कि लगातार देखा जा रहा है कि निम्न स्तरीय टिप्पणियां हो रही हैं। सदन की मर्यादा को ताक पर रखा जा रहा है। सोशल मीडिया पर पटवारी की बातों की आलोचना हो रही है। वहीं, कांग्रेस से रामनिवास रावत ने कहा कि कार्यवाही से विलोपित हिस्से पर विशेषाधिकार हनन का मुद्दा नहीं बन सकता है।
हम मीडिया का पूरा सम्मान करते हैं। यदि ऐसा कुछ कहा गया है तो हम खेद व्यक्त करते हैं और माफी चाहते हैं। इस पर उनकी संसदीय कार्यमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा से तीखी बहस भी हुई।
कार्यवाही शुरू होते ही वन मंत्री ने कहा कि आप कांग्रेस और पटवारी के कृत्यों पर पर्दा नहीं डाल सकते हैं। इसको लेकर डॉ. शेजवार और नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह की बहस हो गई। हंगामा बढ़ने पर अध्यक्ष ने दस मिनट के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी। सुंदरलाल तिवारी ने कहा कि कार्यवाही विलोपित करने का अधिकार अध्यक्ष को है। जैसे ही यह बात तिवारी ने रखी सत्तापक्ष हंगामा करने लगा और उन्हें बोलने नहीं दिया। इसी बीच डॉ. शेजवार ने टिप्पणी कर दी, जिस पर तिवारी ने उन्हें हाथ का इशारा करते हुए बैठने के लिए जोर से कहा।
इस पर संसदीय कार्यमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा आवेश में आ गए और उन्होंने आपत्ति जताते हुए कहा कि बदतमीजी बर्दाश्त नहीं करेंगे। हंगामा बढ़ा और एक बार फिर सदन की कार्यवाही दस मिनट के लिए स्थगित हो गई। सभी पक्षों को सुनने और हंगामा बढ़ने पर विधानसभा अध्यक्ष ने एक लाइन में व्यवस्था दी कि मामला विशेषाधिकार समिति को सौंपा जाता है।
ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कि कम समय में ज्यादा हासिल करना चाहते हैं पर राजनीति में कोई शार्टकट नहीं होता है। उधर, गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि उस दिन के प्रश्नकाल को संसदीय लोकतंत्र का काला दिवस बना दिया। चोरों की मंडली है, चोरों को विज्ञापन देते हैं। मीडिया सदन का सदस्य नहीं है इसलिए वो अपनी बात यहां नहीं रख सकता है पर इस घटना से पूरे देश का पत्रकार आहत हुआ है। सदन के भीतर औेर बाहर पटवारी ने मीडिया का अपमान किया है।
वनमंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार बोले कि पटवारी ने सदन की अवमानना की है। विधायक के पद का निजी उपयोग करते हुए मीडिया को दबाने की कोशिश हुई है। व्यक्तिगत प्रश्न नहीं पूछे जा सकते हैं पर उन्होंने पत्रकारों के नाम पूछे।
जनसंपर्क मंत्री डॉ.नरोत्तम मिश्रा पूरी बहस के दौरान कई मर्तबा खड़े हुए और विरोध दर्ज कराया। उन्होंने कहा कि मीडिया पर जिस तरह से छींटा-कशी की गई है, वो शर्मनाक है। पटवारी ने एक बार भी अपने किए के लिए खेद नहीं जताया। आसंदी से प्रश्न पूछा गया। शुक्रवार को भोजनावकाश के बाद पटवारी मेरे पास आए और अहंकार देखिए कि कहते हैं संसदीय कार्यमंत्री माफी मांगेगा। यह बात रिकार्ड पर भी है। एक लंबे समय से सदन की गरिमा को गिराने की कोशिश हो रही है। यदि ये सदन को कमजोर करेंगे तो हम न्याय के लिए कहां जाएंगे। व्यवस्था नहीं आएगी तो अवमानना की आदत बढ़ती जाएगी। डॉ. मिश्रा की कई बार विपक्ष के सदस्यों से तीखी नोंक-झोंक हुई।
मीडिया से चर्चा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने जो चीज कार्यवाही से विलोपित कर दी, उस पर विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव साजिश है। अगर टिप्पणी से कोई आहत हुआ है तो हम माफी चाहते हैं। हमारी मंशा यह नहीं थी। दबाव में कार्रवाई हो रही है। सत्तापक्ष मीडिया का हितैषी नहीं है।
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