मल्हार मीडिया ब्यूरो।
तमिलनाडु विधानसभा के स्पीकर पी धनपाल और नेता प्रतिपक्ष एम के स्टालिन की फटी हुई कमीजें, गिरी-पड़ी कुर्सियां, कागज के फटे हुए टुकड़े और उखाड़ दी गई माइकें आज इस बात की गवाह थीं कि सदन में एक तरह से जंग जैसे हालात बन गए थे। अन्नाद्रमुक सरकार ने 122-11 के अंतर से विश्वात मत भले ही जीत लिया, लेकिन पूरी कवायद विधायकों की अभद्र हरकतों और हंगामों से अछूती नहीं रही। विश्वास मत प्रस्ताव के नतीजों के ऐलान के वक्त स्पीकर ने हंगामे की ओर इशारा करते हुए कहा, 'मैं दुखी और शर्मिंदा हूं।'
तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम ने कहा है कि प्रदेश की जनता यह फैसला करेगी कि शनिवार के विश्वासमत परीक्षण में पलानीस्वामी सरकार की जीत वैध थी या नहीं। पनीरसेल्वम ने यहां सचिवालय में संवाददाताओं को बताया, तमिलनाडु की जनता यह फैसला करेगी कि विधानसभा में शनिवार को पारित प्रस्ताव (इलापड्डी के पलानीस्वामी का चयन) वैध है या नहीं। पलानीस्वामी सरकार शनिवार को विधानसभा में ड्रामे और हल्ला हंगामे के बीच 11 के मुकाबले 122 मतों से आसानी से विश्वास मत जीत गई।
पनीरसेल्वम ने कहा कि प्रदेश में अन्नाद्रमुक प्रमुख जे जयललिता के शासन की स्थापना तक उनका संघर्ष जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि उनके समर्थकों ने अध्यक्ष पी धनपाल से दो अपील की थी जिन्हें उन्होंने ठुकरा दिया। पहली अपील यह थी कि रिजोर्ट में रह रहे अन्नाद्रमुक के विधायकों को उनके अपने निवार्चन क्षेत्रों में जाने की अनुमति दी जाए और उसके बाद विश्वास मत के लिए विधानसभा की बैठक हो।
विश्वास मत प्रस्ताव के नतीजों के ऐलान के वक्त स्पीकर ने हंगामे की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘मैं दुखी और शर्मिंदा हूं।’ इससे पहले, करीब एक घंटे तक सदन में जंग के मैदान जैसे हालात नजर आए। यह तब हुआ जब स्पीकर ने द्रमुक विधायकों को सदन से बाहर निकालने के आदेश दिए। मार्शल द्रमुक विधायकों को निकालने के लिए पूरा जोर लगा रहे थे, लेकिन विपक्षी सदस्यों ने पूरी ताकत से इसका विरोध किया।
द्रमुक विधायकों को बाहर निकालने के आदेश से आक्रोशित पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष स्टालिन ने मार्शलों से कहा कि यदि उन्हें बाहर निकाला गया तो विपक्षी सदस्य खुद को नुकसान पहुंचाएंगे।
स्पीकर की ओर से दोपहर एक बजकर 28 मिनट पर सदन की कार्यवाही स्थगित करने के बावजूद मार्शलों को मुश्किल स्थिति का सामना करना पड़ा और वे द्रमुक के सदस्यों को सदन से बाहर जाने के लिए कहते रहे।
स्टालिन ने सुरक्षाकर्मियों से कहा, ‘लोग इस छद्म शासन के खिलाफ हैं, हम लोगों के लिए लड़ रहे हैं। यदि आप हमें जबरन निकालेंगे तो हम खुद को नुकसान पहुंचाने के लिए मजबूर हो जाएंगे, हम खुदकुशी पर भी विचार कर सकते हैं।’ इसके तुरंत बाद चेन्नई के पुलिस आयुक्त एस जॉर्ज की अगुवाई में कई आला पुलिस अधिकारी विधानसभा परिसर में पहुंचे और काफी देर तक विचार-विमर्श किया।
जब स्टालिन को मार्शलों द्वारा ले जाया जा रहा था तो द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष ने अपने हाथों से अपने सिर पर चोट मारी और पांव हिला-हिलाकर विरोध किया। इससे पहले, 78 साल के द्रमुक नेता दुरईमुरूगन ने मार्शलों के साथ कुछ देर तक लुका-छिपी का खेल खेला। बाहर ले जाते वक्त वह मुख्य प्रवेश द्वारा के पास के गलियारे से वापस सदन में आ गए। जब मार्शलों ने सदन में आने से उन्हें रोका तो वह प्रेस गैलरी में घुसने में कामयाब हो गए और वहां से विपक्षी सदस्यों के बैठने की जगह पर पहुंच गए।
कुछ विधायकों ने पानी फेंक दिया और इस हंगामे में दो वीडियो कैमरे गिर गए।
द्रमुक के शेखर बाबू अपने कई सहकर्मियों के साथ सदन के मुख्य द्वार के सामने धरने पर बैठ गए। उन्होंने शीर्ष अधिकारियों के साथ बहस भी की और कहा कि उन्हें सदन परिसर से किसी विधायक को बाहर निकालने का कोई हक नहीं है।
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