मल्हार मीडिया ब्यूरो।
पिछले एक महीने से सपा में चले आ रहे विवाद पर अाज चुनाव आयोग के सामने सुनवाई के दौरान मुलायम सिंह यादव झुक गए। सूत्रों से हवाले से खबर है कि आयोग के सामने मुलायम ने माना कि वह पार्टी के मार्गदर्शक हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि इसके बाद अब पार्टी में कोई विवाद नहीं है और यह पूरी तरह से आंतरिक मामला है। मुलायम के अचानक इस यू-टर्न के बाद अखिलेश का दावा आयोग के सामने मजबूत हो गए हैं और उन्होंने चुनाव चिन्ह पर दावा ठोकने की तैयारी कर ली है। फिलहाल चुनाव आयोग ने इस मामले में सुनवाई पूरी कर ली है और फैसला सुरक्षित रख लिया है।
टीवी रिपोर्ट्स के अनुसार, चुनाव आयोग ने इस मामले में सुनवाई पूरी कर ली है। आयोग में यह सुनवाई दोपहर साढ़े बारह बजे शुरू हुई थी। इस दौरान मुलायम-अखिलेश खेमों के लोग मामले की सुनवाई के लिए मौजूद रहे।
चुनाव आयोग के दफ्तर में मुलायम खेमे से शिवपाल और वे खुद मौजूद रहे तो वहीं अखिलेश गुट से रामगोपाल यादव मौजूद रहे। इसके अलावा रामगोपाल के साथ किरणमय नंदा और नरेश अग्रवाल भी चुनाव अयोग में थे। चुनाव आयोग दोनों के दावों पर साढ़े बारह बजे से सुनवाई कर रहा था।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कांग्रेस नेता और पेशे से वकील कपिल सिब्बल अखिलेश खेमे की पैरवी कर रहे थे। सपा में जारी संकट के बीच सबसे पहले मुलायम सिंह यादव और फिर अखिलेश खेमा ने चुनाव आयोग में चुनाव चिह्न पर दावा ठोका था। मुलायाम ने कहा है कि पार्टी उन्होंने बनाई है इसलिए पहला हक उनका है।
अखिलेश खेमे के रामगोपाल यादव ने 6 जनवरी को सीएम अखिलेश के समर्थक नेताओं की सूची सौंपी थी। उन्होंने बताया था कि 229 में से 212 विधायकों, 68 में से 56 विधान परिषद सदस्यों और 24 में से 15 सांसदों ने अखिलेश को समर्थन देने वाले शपथ पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।
रामगोपाल ने कहा था कि अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली पार्टी ही असली समाजवादी पार्टी है। चुनाव चिह्न साइकिल इसी खेमे को मिलनी चाहिए।
गौरतबलब है कि चुनाव चिह्न साइकिल पर दावेदारी के लिए मुलायम और अखिलेश खेमा चुनाव आयोग के कार्यालय गया था, जिस पर आयोग ने दोनों खेमों को 9 जनवरी तक समर्थक विधायकों की सूची शपथ पत्र के माध्यम के जरिए जमा कराने को कहा था। इसके बाद फैसले के लिए आज की दिन तय किया गया।
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