मल्हार मीडिया ब्यूरो।
चारा घोटाले में लालू यादव के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के सोमवार के झटके के बाद हर कोई जानना चाहता है कि आखिर इसके क्या मायने है? और आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव का क्या होगा? फैसले के कुछ घंटे के बाद विधि विशेषज्ञ, राजनीतिक जानकर और इस मामले से जुड़े कुछ पक्षों के मानें तो भविष्य कोई नहीं जानता लेकिन कुछ बातें बिल्कुल स्पष्ट हैं।
चारा घोटाले में सीबीआई अभियुक्तों को साक्ष्य के आधार पर सजा दिलाने में जो उनकी सफलता का रिकॉर्ड है, उस आधार पर लालू यादव और अन्य अभियुक्तों को राहत या कहिये निर्दोष करार दिए जाने की संभावना न के बराबर है। ऐसे में उनका दोषी करार दिया जाने की प्रबल संभावना है।
अगर लालू यादव बाकी के चार मामलो में दोषी करार दिए गए तब चुनाव लड़ने की संभावना न के बराबर हैं। एक बार सजा होने पर 5 साल के लिए आपको अयोग्य करार दिया जाता है। ऐसे में पांच मामलो में पचीस साल तक उन्हें चुनावी राजनीती से दूर रहना पड़ेगा। जब तक कि झारखंड हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट उनके खिलाफ मामले को निरस्त न कर दे।
हर बार दोषी करार दिए जाने पर लालू यादव को सजा होने पर जेल जाना पड़ेगा और उनके पार्टी के लोग भी मानते हैं कि सोमवार के सर्वोच्च न्यायलय के झटके के बाद उन्हें चार बार जेल जाना पड़ सकता है।
चारा घोटाले के मामले में दोषी, सजा या जेल जाने पर नीतीश कुमार और कांग्रेस पार्टी से उनके संबंधों पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा क्योंकि दोनों ने दोस्ती और राजैनतिक गठबंधन चारा घोटाले में एक मामले में दोषी पाए जाने के बाबजूद किया था।
लालू यादव की असल मुश्किल चारा घोटाले से ज्यादा बीजेपी नेता सुशिल मोदी हैं जो हर दूसरे दिन उनके संपत्ति के नए नए खुलासे को लेकर हैं। क्योंकि लालू यादव भी जानते हैं कि जिस तरह संपत्तियों को अर्जित किया गया है, उसे सार्वजनिक रूप से या किसी जांच एजेंसी के सामने सही करार करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
लालू यादव को मालूम है कि संपत्ति के खेल में अगर उनके बेटे फंसे तब नीतीश से रहम की उम्मीद करना बेकार है क्योंकि बिहार के मुख्यमंत्री के पास एक मात्र जमा पूंजी उनकी अपनी छवि है और वो तेजप्रताप और तेजस्वी को बचने के चक्कर में उससे गंवाने की गलती नहीं करेंगे।
लालू यादव यह भी जानते हैं कि भले सुप्रीम कोर्ट की दी गई 9 महीने के समयावधि में सभी मामलों में सुनवाई पूरी न हो पाए लेकिन अब ये मामले ज्यादा दिन तक नहीं खींचेंगे और वर्तमान में सीबीआई के आलाधिकारियों का प्रयास होगा कि जल्द से जल्द सब मामले में फैसला आ जाये।
फ़िलहाल लालू यादव की जमानत भले ही रद्द न हो लेकिन अगली बार जेल जाने पर शायद सजा का 50 फीसदी समय वो जेल में न गुजारे पर जमानत की उम्मीद करना बेकार है।
लालू यादव का प्रयास होगा कि संपत्ति कि बारे में बीजेपी द्वारा हो रहे खुलासे पर केंद्र की जांच से पहले सब कुछ दुरुस्त कर लिया जाए। उन्हें मालूम है कि अधिकांश जानकारियों को तेजप्रताप और तेजस्वी यादव ने अपने शपथ पत्र में न देकर सरकार और खासकर नीतीश कुमार की मुश्किलें बढ़ाई हैं।
चारा घोटाले की जो जांच लालू यादव की राजनीति और निजी जीवन को पिछले 21 वर्षों से प्रभावित कर रही है और जिसके कारण उन्हें आधे दर्जन से अधिक बार जेल जाना पड़ा फ़िलहाल उससे उनका पीछा खत्म नहीं हुआ और आने वाले कई वर्षों तक इस चक्कर में उन्हें कोर्ट और जेल के चक्कर काटने होंगे।
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