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व्यवस्था बदलाव के मौसम में नये मंत्रियों के असमंजस की बानगी!

राज्य            Dec 30, 2018


ब्रजेश राजपूत।

दृश्य एक। नये नवेले केबिनेट मंत्री पीसी शर्मा आये हैं भोपाल में शिवाजी नगर के दुष्यंत कुमार स्मृति संग्रहालय के सालाना समारोह में। जब वो भाषण देने आते हैं तो कुछ सकुचाते हुये कहते हैं आप मंत्री कहते हो तो लगता है मंत्री हैं अन्यथा अभी तक भरोसा ही नहीं हो रहा कि क्या हो गया।

रोज सड़क पर संघर्ष करते थे अब मंत्रियों वाली इस बड़ी गाड़ी में निकलते हैं तो जो भी हाथ देता है रूक जाते हैं इसलिये यहां आने में देर हो गयी। वो पुलिस के अफसर जो कल तक रोकने टोकने और विरोध प्रदर्शन करने पर जेल ले जाने को उतावले होते थे अब पूछते हैं कि आपसे सर कहें या पीसी भाईसाब तो अपन तो कहते हैं पीसी भाईसाब ही ठीक हैं।

दृश्य दो। प्रदेश के नवनियुक्त नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह अपने घर राघौगढ़ पहुंचे हैं। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने अपने युवा नेता के लिये छोटी सी सभा रखी है जिसमें रोशनी भी पर्याप्त नहीं है। जयवर्धन अपने हाथ से जनता की ओर से दी गयी पगड़ी बांधते हैं और कहते हैं आज के दिन सिर्फ जयवर्धन सिंह नहीं आप सब मेरे साथ कैबिनेट मंत्री बने हो। आज के बाद जब भी कहीं जाओ तो अपने को कैबिनेट मंत्री समझना। मगर कुछ चीजें हम कहीं बर्दाश्त नहीं करेगे वो है भ्रष्टाचार। आप भी भ्रष्टाचार अब कहीं नहीं होने देना क्योंकि अब आप कैबिनेट मंत्री है।

दृश्य तीन। प्रदेश के नये नवेले मंत्री कमलेश्वर पटेल मंत्रि पद की शपथ लेने के बाद मैहर पहुंचे थे देवी शारदा के दर्शन करने मगर मंत्री जी के आने की खबर अफसरों को नहीं लगी तो उनका गुस्सा कार्यकर्ताओं की सभा में कुछ इस प्रकार निकला। छोटे कद के कमलेश्वर ने मंच से कहा पंद्रह साल हम सत्ता से दूर रहे तो क्या हम जानते हैं प्रोटोकाल क्या होता है? हम किसी पार्टी के नेता नहीं अब प्रदेश की सरकार के मंत्री हैं। वो अफसर जो अब तक समझ नहीं पा रहे कि सत्ता परिवर्तन हो गया है अब नींद से जाग जायें। नयी सरकार आ गयी है नये मंत्री आ गये हैं। प्रोटोकाल ना भूलें बोल देना जिले के बडे अफसरों से ।

 

 

एक और नजारा देखिये नये बने मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर मंत्रालय के अपने कक्ष में बड़ी देर की पूजा पाठ के बाद अपना पदभार संभालते हैं और बाद में पत्रकारों के सवालों के जबाव में अपना एजेंडा गरीब को सस्ता राशन पहुंचाने की बात करते हैं। जब हम उनके विभाग की कमजोरी से जुडा सवाल पूछते हैं तो हंसकर विभाग को बचाते हुये उसका जबाव देकर उसे दूर करने का वायदा करते हैं और मजे की बात ये है कि उनके विभाग से जुड़ी वही कहानी कभी हमने उनकी बाइट के साथ ही चलायी थी। अब वो मंत्री बन गये हैं तो देखना है क्या करते हैं।

आप सोच रहें होगें कि क्या सुबह—सुबह मंत्रियों की चर्चा छेड़ दी। मगर जब आप इन तीन मंत्रियों के बयानों को गौर से पढ़ेंगे तो कुछ बारीक सी बातें सामने आयेंगी जो आपको मुस्कुराने पर मजबूर कर देंगी साथ ही हम जिस प्रजातंत्र में रह रहे हैं उसकी खुबसूरती का अहसास भी करायेंगी। प्रदेश में पंद्रह साल के बाद निजाम बदला है सत्ता और सरकार बदली है तो वो लोग जो पिछले पंद्रह साल कांग्रेस का झंडा लिये बीजेपी सरकार का विरोध करते रहे अब वो शासन चलाने वाले हो गये हैं।

ऐसे में नये नये बने मंत्री असमंजस में हैं वो समझ नहीं पा रहे कि उनको अब क्या करना है और कैसे करना। भूमिका बदलने से क्या असमंजस होता है वो इन दिनों हर जगह दिख रहा है। हमारे लोकतंत्र की यही खूबी है कि इतनी शांति से सत्ता परिवर्तन होता है कि पता ही नहीं चलता और विपक्ष वाले सत्ता में और सत्ता वाले विपक्ष में आ जाते हैं।

कल तक जो लोग सरकार और उसके अफसरों के खिलाफ विरो प्रदर्शन करते थे अब वही सरकार है और उन्हीं अफसरों के साथ मिलकर शासन चलाते हैं, कल तक जिनके विरोध में खडे होते थे।

खैर लोकतंत्र में इस व्यवस्था बदलाव का मौसम आया है तो आप हम सब इस नये मौसम की बयार का आनंद लीजिये। बाकी बदलाव तो वक्त की जरूरत है आज उनसे मन भरा है तो कल इनसे मन भरेगा।

लेखक एबीपी न्यूज के मध्यप्रदेश ब्यूरो हैं।


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