मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश के बालाघाट में पटाखा फैक्टरी में हुए विस्फोट के बाद अब सरकार ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाएगी। इसके लिए गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने मंगलवार को विधानसभा में अपर मुख्य सचिव गृह की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी गठित करने की घोषणा की। ये समिति नक्सल प्रभावित क्षेत्र में विस्फोटक के लाइसेंस दिए जाएं या नहीं, इस पर भी विचार करेगी। साथ ही फैक्टरियों की जांच के लिए पुलिस में अब अलग से सेल भी होगी। उन्होंने कहा कि घटना की मजिस्ट्रियल जांच कराई जा रही है। इसमें घटना के लिए जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
ध्यानाकर्षण के जरिए डॉ. गोविंद सिंह ने बालाघाट हादसे का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि पेटलावद की घटना के बाद भी सरकार नहीं चेती। कागजों पर फैक्टरी का निरीक्षण किया गया और घटना के बाद रिपोर्ट दे दी। जब मंदसौर की घटना के बाद दोषी कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को हटा दिया गया तो फिर बालाघाट में ऐसा क्यों नहीं किया गया। अभी तक जांच रिपोर्ट भी नहीं आई है।
इन आरोपों का जवाब देते हुए गृहमंत्री ने बताया कि मजिस्ट्रियल जांच कराई जा रही है। जल्द ही रिपोर्ट आ जाएगी। प्रथम दृष्टया लाइसेंस से जुड़ी शर्तों का पालन हुआ है। शहर से तीन किलोमीटर दूर फैक्टरी थी। मुख्य आरोपी वाहिद अहमद को गिरफ्तार किया जा चुका है। जिस व्यक्ति के घर पटाखे रखे गए थे, उस रामसहाय ठाकुर के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। एसडीएम और सीएसपी ने फैक्टरी का निरीक्षण किया था। इसमें सब कुछ ठीक पाया गया था। दुकान में पटाखे रखने की सूचना नहीं दी गई।
हिना कांवरे ने कहा कि बालाघाट में ये दूसरी घटना है। अधिकारियों की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। वहीं, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि इस बात पर भी विचार होना चाहिए कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र में विस्फोटक संबंधी लाइसेंस ही न दिए जाएं, क्योंकि ये गलत हाथों में पड़ सकते हैं।
गृहमंत्री ने भरोसा दिलाया कि अपर मुख्य सचिव गृह की अध्यक्षता वाली कमेटी इन सुझावों पर विचार करेगी। कमेटी तीन माह में रिपोर्ट देगी। इसमें दो कलेक्टर, दो पुलिस अधीक्षक और एक अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक रहेंगे। वहीं, पुलिस मुख्यालय में विस्फोटक से जुड़ी फैक्टरियों के निरीक्षण के लिए अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक की अगुवाई में एक सेल बनाई जाएगी, जो ये तय करेगी कि समयसीमा में निरीक्षण होते रहें।
मुंबई की बजाज इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड ने मध्यप्रदेश में विद्युतीकरण के नाम पर राज्य सरकार को करोड़ों रुपए की चपत लगाई है। कम्पनी ने बिजली अफसरों की कम्प्लेन के बाद भी विद्युतीकरण के काम में की गई गड़बड़ी को सुधारने का काम नहीं किया है। इस कारण चंबल इलाके में बिजली की सप्लाई सेवा पर असर पड़ा है।
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