UGC को बुंदेलखंड की 130 साल पुरानी विरासत की जमीनी हकीकत बता पायेगा छत्रसाल विवि

राज्य            May 22, 2022


छतरपुर से धीरज चतुर्वेदी।

मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के 130 साल पुराने महाराजा कालेज की सम्पत्ति को हड़प कर छत्रसाल विश्वविद्यालय की असली बुनियाद का परीक्षण करने यूजीसी का निरीक्षण दल सोमवार और मंगलवार यानि 23—24 मई को छतरपुर में रहेगा।

जिस विश्व विद्यालय के पास आज भी ख़ुद का भवन नहीं, वेतन बाटने के लिये बजट नहीं और यूटीडी का अनुसरण नहीं उस विश्व विद्यालय के मुखियाओ ने निरीक्षण दल को खुश करने की पूरी तैयारी कर ली है।

खजुराहो के आलीशान होटल में रुकने की व्यवस्था है और सुनने में आता है कि खुश करने के सभी सत्कारो का इंतज़ाम है।

हालांकि यूजीसी के नियम अनुसार छात्रसाल विश्व विद्यालय मापदंडो पर खरा नहीं उतरता पर फिर भी निरिक्षण दल ख़ुद की ख़ुशी में कोई फर्जी प्रतिवेदन तैयार कर देता है तो भ्र्ष्ट आचरण के आरोपों में फंस पूरा मामला अदालत की चौखट तक पहुंच सकता है जिसमे निरिक्षण दल के सदस्यों की व्यक्तिगत जिम्मेदारी होंगी।

ज्ञात हो कि सरकार के एक फरमान ने बुंदेलखंड की पहचान ऐतिहासिक धरोहर 130 वर्ष पुराने महाराजा महाविद्यालय का संविलियन छत्रसाल विश्व विद्यालय में कर दिया था।

इस विश्व विद्यालय के पास आज भी स्वयं का भवन नही है, स्टाफ नहीं है और यहां तक कि प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत स्टाफ की वेतन भी मध्यप्रदेश सरकार के जरिये आहरित होती है।

 

जो विश्व विद्यालय के लिये भूमि आंबटित की गई थी वह लावारिस हालात में है जिस पर अवैधानिक कब्जे हो गये है।

जब किसी विश्व विद्यालय के पास खुद की संपत्ति नही, वेतन देने के लिये बजट नही और यूडीटी के नियम का अनुसरण नही है तो कैसे यह विश्व विद्यालय वैधानिक रूप से विश्व विद्यालय अनुदान आयोग से अनुदान प्राप्त करने के दायरे में है, यह बड़ा सवाल है।

इन मूल-वैधानिक और नियमबद्ध निरीक्षण करने के लिये ही तीन सदस्यो का निरीक्षण दल बनाया गया है।

कई सवाल हैं जैसे विश्व विद्यालय अनुदान आयोग देश के सभी शासकीय विश्व विद्यालयो में एक निरीक्षण समिति बनाकर यूजीसी अनुदान के लिये निरीक्षण कराती है।

अन्य दस्तावेज इस पीडीएफ लिंक में देखें

निरीक्षण दल भी विश्व विद्यालय अनुदान आयेाग में नियमबद्ध है। यूजीसी के नियम अनुसार किसी भी विश्व विद्यालय के पास खुद का भवन, जमीन, अधोसरंचना के साथ यूटीडी की तीन वर्ष के क्रियाकलाप और उपलब्धियां का आंकलन आवश्यक है।

इन पूरी नियमबद्ध पूर्तियों को करने में छत्रसाल विश्व विद्यालय नाकाम है।

निरीक्षण दल को देखना होगा कि जो वर्तमान में छत्रसाल विश्व विद्यालय का भवन है वह 27 सितंबर 21 को मप्र शासन के आदेशानुसार स्वशासी महाराजा महाविद्यालय को विश्व विद्यालय में विलय का है, लेकिन 130 साल पुराने महाराजा महाविद्यालय के विश्व विद्यालय में विलय के बाद भी संपत्ति पर मालिकाना हक मध्यप्रदेष शासन का है।

जब शासन का संपत्ति पर हक है तो कैसे विश्व विद्यालय यह दलील देगा कि उसके भवन में विश्व विद्यालय संचालित है?

सरकार ने विश्व विद्यालय के लिये 418 एकड भूमि सटई रोड पर आवंटित की थी। इस भूमि पर आज तक कोई निर्माण नहीं हुआ और इस भूमि पर अवैधानिक कब्जे हो गये हैं। जो मीडिया की खबरो में प्रकाशित होते हैं पर जिम्मेदारों की नींद नहीं खुल रही।

छत्रसाल युनिवर्सिटी में यूटीडी विभागों को बने छह माह हुये हैं। यूटीडी के नियमानुसार पूरा पाठ्यक्रम तीन वर्ष का पूरा नही है।

यहां तक कि यूटीडी के विभागाध्यक्ष और डीन तक प्रतिनियुक्ति पर है यानि कोई स्थाई नही है। तो नियमानुसार विश्व विद्यालय की वैधता ही नियम विरूद्ध है।

सबसे महत्वपूर्ण है कि नियम 12 बी के अनुसार यूटीडी विभाग के प्राध्यापकों और कर्मचारियों को वेतन विश्व विद्यालय को देना चाहिये।

लेकिन छत्रसाल विश्वविद्यालय में खुद का स्टाफ नहीं है और प्रतिनियुक्ति पर जो पूरा स्टाफ है उनका वेतन शासकीस कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य द्धारा आंबटित की जा रही है।

यानि मप्र सरकार द्वारा वेतन दिया जा रहा है और विश्व विद्यालय के पास कोई बजट नही ताकि अपने स्टाफ को वेतन दे सके।

सनद रहे कि 16 मार्च 2022 को छतरपुर छत्रसाल विश्व विद्यालय ने अपना प्रथम दीक्षांत समारोह आयोजित किया था जिसमे महामहिम राज्यपाल की उपस्थिति रही।

इस समारोह में सागर संभाग के सभी कालेज के मेरिट में आने वाले छात्रो को गोल्ड मेडल और डिग्री प्रदान की गई, पर स्वशासी महाराजा महाविद्यालय कालेज के मेरिट बच्चो को इस समारोह में शामिल नही किया गया। आखिर क्यों?

चूँकि निरिक्षण दल भी नियमों में बंधा है तो दल सदस्यों को निष्पक्ष निरिक्षण करना होगा।

अगर बाहरी रूप से उपकृत और प्रेरित होकर यूजीसी के नियमों की अनदेखी कर फर्जी प्रतिवेदन पेश किये जाते है तो दल सदस्यों की ईमानदारी और निष्पक्षता संदेह के घेरे में होंगी।

ऐसे में यह मामला अदालत की चौखट तक पहुंच सकता है।

 



इस खबर को शेयर करें


Comments