Breaking News

मुख्यमंत्री ऐसे पतितों के आगे इतना बौना भी हो सकता है

राज्य            Oct 04, 2019


प्रकाश भटनागर।
आजकल आप भी साधू-संतों की संगत में हैं तो इतना तो पता होगा ही कि कड़वे दिन पांच रोज पहले ही खत्म हो चुके हैं। अब नवरात्रि का वह समय चल रहा है। इसमें नयी वस्तुओं की खरीदारी शुभ मानी जाती है।

दिग्विजय सिंह के खास दोस्त होने के कारण सनातन धर्म की मान्यताओं में आपकी आस्था मजबूत हुई ही होगी। इसलिए सुझाव है कि इन शुभ दिनों में एक अच्छा सा नया आईना खरीद लीजिए।

नवरात्रि के शुभ दिनों के अलावा तो कुछ और शुभ है नहीं, इसलिए समय आ गया है कि आईने के साथ ही काजल की डिब्बी और बड़ी तादाद में एनर्जी बूस्टर ड्रिंक भी अब आपको खरीद ही लेने चाहिए।

आपकी विराट छवि को समा सकने वाले आईने को खरीदने की अपनी तो औकात नहीं है, इसलिए आप ही इस प्रदेश की खातिर यह काम कर दीजिए। यह दर्पण बहुत आवश्यक हो गया है, आपके लिए।

समय आ गया है कि अब आप इसमें झांककर देख लें कि आपने किस तेजी से मसखरी और सरकार चलाने के बीच का अंतर खत्म कर दिया है। हनी ट्रैप की जांच कर रही एसआईटी तो कोठे की फिरदौस से भी गयी-गुजरी हालत में पहुंचा दी गयी है। वह कभी इस तो कभी उस अफसर के आगे मुजरा करने पर मजबूर हो चुकी है।

सच कहूं तो किसी बेहद संवेदनशील मामले की जांच के नाम पर जो कोठाई साज आपके निजाम में बजाये जा रहे हैं। उनसे वह घटिया स्तर किसी मामले में भी इससे पहले कहीं न देखा और न सुना है।

हनी ट्रैप की जांच का तीसरा पति आपने तय कर दिया। एसआईटी चीफ को यूं हटाए जाने की वजह किसी से नहीं छिपी है। उनकी सख्त मिजाजी तथा तेजी से जांच की वजह से राज्य में कई उन रसूखदारों की पतलून गीली हो रही थी, जिनकी यह पतलूनें बीते लम्बे समय से कभी इस तो कभी उस हनी के लिए कमर का साथ छोड़ती चली आ रही थीं।

हद है कि किसी राज्य का मुख्यमंत्री ऐसे पतितों के आगे इतना बौना भी हो सकता है। प्रदेश का सशक्त विपक्ष भी आपके साथ कदमताल करता नजर आ रहा है। सरकार, नौकरशाही और पक्ष-विपक्ष के राजनेताओं का हनी ट्रेप मामले में सर्वधर्म समभाव का आचरण आश्चर्यजनक नहीं है।

वो इसलिए भी कि अब हमाम में नंगों का मामला नहीं रह गया है बल्कि यहां हमाम ही नंगा हो गया। निश्चित ही आप इस मामले की जांच ईमानदारी से करवाना चाह रहे होंगे, लेकिन जरा यह तो बता दीजिए कि ऐसा करने से आपको रोक कौन रहा है?

आप कमजोर नहीं होते, डरपोक नहीं होते, तो किसी की हिम्मत नहीं थी कि इस कांड में ऐसे-ऐसे पेंच डालकर आपकी बदनामी का पुख्ता बंदोबस्त कर देता। शायद आपको समझाया गया होगा कि अब जो हो गया सो हो गया, बिखरा रायता समेटने में ही सबकी खेर है।

हालांकि इस मामले में तो रायता बिखरना प्रदेश के हित में जरूरी था। आपकी सरकार रायता समेट रही है तो जाहिर है, भविष्य में ताजा घटना से चोट खाए लोगों के लिए सावधानी से शहद की आपूर्ति वल्लभ भवन के गलियारों में निर्बाध होती रहेगी। राज्य के बाहर के अखबार पढ़िये। सोशल मीडिया देखिये। हर जगह आप किसी विदूषक की तरह प्रस्तुत किये जा रहे हैं।

यही कहा-लिखा जा रहा है कि दोषियों को बचाने के लिए आपकी सरकार इस घटनाक्रम की जांच की धार भोथरी करने पर आमादा है।

मुख्यमंत्री जी, वल्लभ भवन में हनी-मनी के शौकिन नौकरशाहों की बुद्धि से परे हट कर एक राजनेता के दिमाग को जागृत करिए। विरुदावली वाले मंत्रियों, विधायकों तथा पार्टीजनों के रचित यशोगान से कान दूर कीजिए।

आप पाएंगे कि इस सब मिथ्या तारीफों से सर्वथा परे आप हंसी का पात्र बनकर रह गये हैं। आप बतौर मुख्यमंत्री आईसीयू में भर्ती उस मरीज की तरह दिखने लगे हैं, जिसके लिए डॉक्टर कहता है कि इन्हें अब दवा नहीं, बल्कि दुआ की जरूरत है।

इस सबके बावजूद यदि आपका रुख ऐसा ही रहना है तो फिर ऊपर बतायी गयी काजल की डिब्बी से नजर का टीका उन तमाम महानुभावों को लगवा दें, जिन्हें हनी ट्रैप कांड में बचाने की कोशिश आपको औजार बनाकर की जा रही है।

एनर्जी बूस्टर ड्रिंक अपनी उस नौकरशाही को दे दीजिए जो इस प्रकरण पर लीपापोती करने के लिए दिन-रात मेहनत करके थक गयी है और जिसकी थकान उतारने का मधुमक्खीमयी बंदोबस्त बीते कुछ दिनों से थम गया है।

और यदि नहीं तो फिर यह सब हमें दे दीजिए। हम आईने में सरकार का मुरझाया चेहरा देखकर उसके लिए दो आंसू बहा लेंगे। काजल का टीका इस क्षेत्र के गिने-चुने शेष आदर्शों पर लगाकर उनकी दीघार्यु की कामना कर लेंगे।

और एनर्जी बूस्टर ड्रिंक वो हमारे लिए बहुत जरूरी हो गया है। आखिर इतना अनाचार और धांधली देखने तथा सहने के लिए भी तो ताकत की जरूरत होती है ना!

 



इस खबर को शेयर करें


Comments