खण्डवा से संजय चौबे ।
मध्यप्रदेश की खण्डवा लोकसभा सीट पर चुनाव का रंग अभी नही चढ़ पाया है। चिर परिचित प्रतिद्वंदी भाजपा व कांग्रेस अपनों से ही निपटने में उलझी हुई दिखाई दे रही है।
नंदकुमारसिंह चौहान और अरुण यादव की उम्मीदवारी का विरोध खुलकर सामने आ चुका है। इससे चौकन्ना हो कर दोनों उम्मीदवारों ने विरोध को दरकिनार करने की रणनीति बना कर उस पर अमल शुरू कर दिया।
हालांकि दोनों दलों ने डैमेज कंट्रोल के प्रारंभिक प्रयास किए थे लेकिन वे सौ फीसदी सफल नही माने जा रहे हैं। इसकी वजह यह बताई जा रही है कि विरोधियों ने भी अपनी रणनीति बदल ली है।
भाजपा में भी नंदकुमारसिंह चौहान का विरोध थमा नहीं है। सांसद होने के बावजूद मतदाताओ से लगातार दूरी ने श्री चौहान की मुश्किलें बढाई है। प्रदेश अध्यक्ष रहते वे संसदीय क्षेत्र पर ज्यादा ध्यान नही दे पाए कि उनकी सफाई भी काम नही आ रही है।
संसदीय क्षेत्र के मतदाता श्री चौहान की सफाई से संतुष्ट नही दिखाई दे रहे है। लोगों का कहना है कि चौहान के पास मौका था कि वे मतदाताओ से सतत संपर्क रख ज्यादातर समस्यायों का निदान करते मगर चौहान ने महत्वपूर्ण समय जाया कर दिया।
लोगों का कहना है कि वे मोदी और शिवराज सिंह चौहान की लहर के भरोसे अपने नैया पार लगते रहे हैं लेकिन इस बार ऐसी कोई लहर नही दिखाई दे रही है। समूचे लोकसभा क्षेत्र में श्री चौहान अकेले ही जनता के बीच पहुच रहे हैं फिलहाल उनके साथ कोई दिग्गज नजर नहीं आ रहा है।
समूचे क्षेत्र में कार्यकर्ता सम्मेलनों के जरिए भाजपा उनमें जोश भरने की कवायदों में जुटी हुई है। खण्डवा जिले की तीन विधान सभा सीटों में से 2 भाजपा के पास है। जिले में खण्डवा नगर निगम, ओंकारेश्वर , मूंदी , पंधाना नगर परिषद में भाजपा की परिष दे है यहाँ इंटरइनकंबेंसी भी बड़ा फेक्टर बनकर सामने आ रही है।
उधर कांग्रेस सत्ता का लंबा वनवास काटकर विधानसभा चुनाव में वापसी कर सकी है । क्षेत्र में अरुण यादव भी मतदाताओ से सतत संपर्क नहीं रख सके हैं। पराजय के बाद वे लंबे समय तक क्षेत्र में वापस नही लौटे।
अरसे तक यही स्थिति बने रहने से जहाँ एक ओर मतदाताओ की उनकी प्रति नाराजगी बड़ी तो वही दूसरी ओर आम कांग्रेसजनों में गहरी निराशा घर कर गई। विधानसभा चुनाव में भी वे ज्यादा समय क्षेत्र को नही दे सके।
हालांकि वे इस दौरान बुधनी में शिवराजसिंह चौहान के सामने चुनावी महासंग्राम में व्यस्त रहे थे। अब वे खुद खण्डवा संसदीय क्षेत्र में नंदकुमारसिंह चौहान के सामने तीसरी बार चुनावी मैदान में हैं।
अरुण यादव को चुनाव जीताने के लिए बड़ी संख्या में उनके समर्थक चुनावी कामकाज संभालने के लिए खण्डवा में डेरा डाल चुके हैं। अंदरखाने से छन कर आ रही जानकारी के मुताबिक अहम जिम्मेदारी श्री यादव के समर्थकों ने संभाल ली है। इसको लेकर जिन नेताओ को काम नही मिला है वे अपने को उपेक्षित मान रहे हैं।
गांधी भवन में आ-जा रहे नेताओ का कहना है कि उन्हें भी पता नही है कि उनकी पार्टी के लिए क्या जवाबदारी है। वही कुछ लोगो का कहना है कि शहर के अलग अलग स्थानों से गतिविधियां संचालित किए जाने के कारण उन्हें खुद ही नही पता कि उन्हें क्या करना है । जिले प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट और कृषि मंत्री सचिन यादव को बड़ी जिम्मेदारी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने सौपी है। सचिन यादव अरुण यादव के छोटे भाई है अतः वे समूचे संसदीय क्षेत्र में घूम कर कांग्रेस के लिए माहौल बनाने में जुटे हुए हैं।
हालांकि अभी अरुण यादव के लिए भी संसदीय क्षेत्र में दिग्गज नेता नही आया है। संसदीय क्षेत्र में जैसे - जैसे मतदान की तारीख पास आती जाएगी वैसे -वैसे चुनावी महासंग्राम में भी तेजी आएगी।
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