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रूद्राक्ष वितरण कार्यक्रम की अव्यवस्था का जिम्मेदार गृहमंत्रालय या स्थानीय प्रशासन?

राज्य            Feb 28, 2022


शैलेष तिवारी।
मध्यप्रदेश के सीहोर से महज सात किलोमीटर की दूरी पर निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव धाम पर पंडित प्रदीप मिश्रा ने 28 फरवरी से 6 मार्च तक शिवपुराण कथा, रुद्राभिषेक और अभिमंत्रित ग्यारह लाख रुद्राक्ष वितरण का आयोजन रखा।

पंडित प्रदीप मिश्रा ने 28 फरवरी से 6 मार्च तक शिवपुराण कथा, रुद्राभिषेक और अभिमंत्रित ग्यारह लाख रुद्राक्ष वितरण का आयोजन रखा।

जिसके बारे में कहा जा रहा है कि शासन के दबाव के बाद पंडित श्री मिश्रा ने कथा स्थगित कर दी। जिससे उपस्थित जनसमुदाय में आक्रोश फैल गया।

कल से आज तक का पूरा हाल सीहोर वरिष्ठ पत्रकार के नजरिये से।

मामला जब धार्मिक आस्था का हो और भीड़ इकट्ठा होने का अंदेशा ही नहीं जानकारी भी पहले से हो तो सरकार और सिस्टम दोनों की जिम्मेदारी बन जाती है कि सजग रहते हुए व्यवस्थाओं पर फोकस हो।

ज्यादा बड़ी जिम्मेदारी स्थानीय शासन—प्रशासन की हो जाती है। न कि ऐसी चूक की जाए कि जनता का सरकार पर से भरोसा ही डगमगाने लगे।

अगर राजधानी से कोई आधा सैकड़ा किलोमीटर दूर ही ऐसी अव्यवस्था हो जाए तो सवाल राज्य सरकार के गृहमंत्रालय और स्थानीय प्रशासन पर ही खड़े होते हैं।

अजब एमपी में गजब करिश्मे होना अब प्रदेश वासियों के लिए नया नहीं रह गया। भूल से जानबूझ कर कोई गड़बड़ हो जाए और निशाने पर सत्ता आ जाए तो जिम्मेदार को आगे आना ही पड़ता है।

इस तरह की कार्यवाही को खालिश देशी अंदाज में कहा जाए तो रायता फैल जाने के बाद समेटना माना जाना जा सकता है।

ताज़ा मामला है मुख्यमंत्री के गृह जिले मुख्यालय के समीप आयोजित हो रहे उस कार्यक्रम का। जिसकी घोषणा प्रचार के सभी माध्यमों से की गई।

दरअसल जिला मुख्यालय सीहोर से महज सात किलोमीटर की दूरी पर निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव धाम पर पंडित प्रदीप मिश्रा ने 28 फरवरी से 6 मार्च तक शिवपुराण कथा, रुद्राभिषेक और अभिमंत्रित ग्यारह लाख रुद्राक्ष वितरण का आयोजन रखा।

ज्ञात हो कि बीते साल भी इसी स्थान से ढाई लाख रुद्राक्ष वितरण का कार्यक्रम सफलता पूर्वक किया जा चुका है। इस कार्यक्रम में भी लगभग ढाई से तीन लाख श्रद्धालुओं के शामिल होने का अनुमान लगाया गया था।

चूंकि इस वर्ष रुद्राक्ष की संख्या ज्यादा रखी गई है तो यह भी तय था कि श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने की संभावना आमजन की चर्चा में शामिल हो चुकी थी।

28 फरवरी के दो दिन पहले से ही श्रद्धालुओं के आने का तांता शुरू हुआ तो कार्यक्रम के पहले दिन ही चारों दिशाओं से भक्तों के वाहनों का लक्ष्य ग्राम हेमा चितावलिया बन गया।

स्थिति यह बन गई कि भोपाल इंदौर राज्य मार्ग पर जाम लग गया। इसके बाद तमाम गुप्तचर संस्थाओं के धनी प्रशासन के कान खड़े होते हैं। वह भी तब जब जाम में बहुत से वीआईपी भी फंस जाते हैं।

आनन—फानन में कथावचक पंडित श्री मिश्रा पर दबाव बनाया जाता है कार्यक्रम को स्थगित करने का। जिसके बाद आस्था चैनल पर लाइव चल रही कथा में बोझिल आवाज और आंखों से बहती अश्रुधारा के बीच पंडित जी कथा विराम की घोषणा के साथ उपस्थित भक्तों से जाने का और आ रहे भक्तों से रास्ते से लौट जाने का अनुरोध करते हैं।

उनकी अपील का असर होता है श्रद्धालुओं के लौटने के साथ स्थानीय भक्तों पर और उनके निशाने पर पहले प्रशासन का नकारापन आता है और सोशल मीडिया पर काफी आलोचना होती है।

फिर आती है निशाने पर सत्ता और उसका मुखिया जो इसी जिले की बुधनी विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं।

गुस्साए लोगों की प्रतिक्रिया पर खुलती है गुप्तचर संस्थाओं की नींद और खबर पहुंचती है सूबे के होम मिनिस्टर तक। वह सक्रिय होते हैं और पंडित प्रदीप मिश्रा से वीडियो कॉल पर उनसे कोई दिक्कत नहीं होने देने की बात कहते हैं।

कार्यक्रम न केवल अपनी गति पकड़ता है बल्कि प्रशासनिक व्यवस्थाएं भी चुस्त दुरुस्त होने लगती हैं। ट्राफिक को भी कंट्रोल जार लिया जाता है। है न अजब एमपी का गज़ब कारनामा।

इस वाकये से एक सवाल उठता है कि जब यह आयोजन पूर्व नियोजित था तो राज्य का गृहमंत्रालय और उसकी एजेंसियां क्या कर रही थीं?

गृहमंत्री ने जो आज किया यह तो कार्यक्रम के पहले ही किया जा सकता था। पंडित प्रदीप मिश्रा से संपर्क। प्रशासन से तालमेल बिठाकर व्यवस्थाओं को सुचारू किया जा सकता था।

सवाल तो जनता के बीच से भी यह भी आ रहा है कि जब राजनीतिक रैलियों, आयोजनों में अफरा—तफरी नहीं मचती। सबकुछ सुचारू और आसान तरीके से निपट जाता है तो इस आयोजन को लेकर स्थानिय प्रशासन क्यों और कैसे नजरअंदाज करता रहा?

कुलमिलाकर एक लाईन की कहानी अब ये कि महाशिवरात्रि के ठीक एक दिन पहले व्यवस्थाएं बिगड़ना स्थानीय जनता की नजर में अच्छा नहीं है। इसे तुरंत सम्हाल लिया जाना चाहिए और सबक लिया जाना चाहिए कि आगे से ऐसे आयोजनों में यह चूक न हो।

 


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