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नियुक्ति आदेश लेकर भटक रहे छह एल्डरमैन

राज्य            Feb 05, 2017


सागर से रजनीश जैन।
मध्यप्रदेश के सागर नगर निगम में 6 एल्डरमैन नियुक्त करने के आदेश को शासन, प्रशासन और भाजपा संगठन ने बड़े ही सधे हुए ढंग से ठंडे बस्ते में डालने का उपक्रम कर लिया है। नवनियुक्त एल्डरमैनों में एक के पास तो निगम परिषद अध्यक्ष की ओर से बधाई संदेश भी पहुँचा लेकिन परिषद की पिछली दो बैठकों में उन्हें बैठकों की सूचना तक नहीं पहुँची। नेता प्रतिपक्ष अजय परमार के अनुसार यदि कोई एल्डर मैं लगातार तीन बैठकों में अनुपस्थित रहता है तो एक्ट के मुताबिक उसकी नियुक्ति निरस्त की जा सकती है। शायद जिम्मेवार लोग तीसरी बैठक के बीत जाने का इंतजार कर रहे हैं ताकि नियुक्ति को निरस्त माना जा सके।

यह आश्चर्य की बात है कि राजपत्र में नियुक्ति आदेश प्रकाशित होने के बाद प्रशासन से किसी ने नियुक्त एल्डरमैनों से संपर्क तक नहीं किया जबकि विगत परिषदों में ऐसा किया जाता रहा है। कुछ एल्डरमैनों ने स्वयं जाकर निगम में और पार्टीफोरम पर पूछताछ की तो सभी से एक ही जबाब मिला कि आप लोगों को बुलाकर शपथ दिलाई जाएगी उसके बाद ही आप एल्डरमैन कहलाएंगे और तभी बैठकों में हिस्सा लेने के पात्र होंगे लेकिन जानकार सूत्र बताते हैं कि इस तरह की औपचारिक शपथ का कोई विधान नहीं है शपथ की परंपरा अनौपचारिक रूप से बना ली गयी है।

एल्डरमैनों को स्वयं निगम आकर अपनी उपस्थिति देना चाहिऐ और बैठकों में आना शुरू कर देना चाहिए ताकि वे मानदेय आदि की सुविधा को भी क्लेम कर सकें। लेकिन लगता है कि कोई सुनियोजित रूप से अनुभवहीन नवनियुक्तों को गुमराह कर रहा है। दरअसल एल्डरमैन नियुक्त कराने के लिए नगर के भाजपा शिरोमणियों में जिस तरह से जूतों में दाल बटी है उसके चलते मामला हाइकोर्ट भी चला गया है।इसी प्रकार योग्यता के मुद्दे को लेकर पिछली नियुक्तियों को चेलैंज किया गया था। कोर्ट ने स्टे आदि कोई आदेश अब तक दिया नहीं है और 6 फरवरी को मामले की सुनवाई तारीख है। योग्यता के अलावा भी नियुक्तियों में तकनीकी त्रुटियों की सूचना है। एक के नाम के साथ सिंह शब्द लगा है जबकि उसके दस्तावेजों में यह नहीं है।

एक के परिजन निगम में ही कर्मचारी है इस कारण से एक्ट के विरूद्ध बताया जा रहा है। राजपत्र के नियुक्ति आदेश में नाम पता वल्दियत सहित पूरी जानकारी न होना अपने में एक त्रुटि है ही। हालांकि मूल मुद्दा भाजपा के भीतर गुटबाजी और पदों की बंदरबांट का रहा है, योग्यता का प्रमाणीकरण तो इसी तथ्य से हो गया कि जो एल्डरमैन अपने ही अधिकार को हासिल करने में नाकाम रहे हों वे षरिषद और शहर की समस्याओं को क्या दिशा दे पाऐंगे जो कि मूल उदेश्य है इन्हें नियुक्त किये जाने का। इंजीनियरों, डाक्टरों, वकीलों ,शिक्षकों और पत्रकारों से भरे इस शहर में शासन को छह ठौ ऐसे ज़हीन और तजुर्बेकार नहीं मिलते जो अपनी फील्ड के माहिर हों और शहर के विकास का मानस रखते हों।

फेसबुक वॉल से।



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