उमरिया से सुरेंद्र त्रिपाठी।
मध्यप्रदेश में अब एक नये घोटाले की तैयारी है, जिसका आगाज उमरिया जिले से होहो चुका है और ये है महुआ घोटाला। जी हां! उमरिया जिले में महुआ खरीदी में घोटला किया जा रहा है। मध्य प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह ने घोषणा की थी कि ने कि किसानों, मजदूरों का महुआ सरकार खरीदेगी, लेकिन उमरिया जिले की वन समितियों ने महुआ खरीदी में जम कर दिया है और अब अधिकारी उसकी लीपापोती में लग गये हैं।
मध्यप्रदेश के उमरिया जिले में 18 अप्रैल को उमरिया उत्सव में आये मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने किसानों, मजदूरों, आदिवासियों का महुआ फूल 30 रुपये किलो खरीदने की घोषणा मंच की थी। उन्होंने कहा था हम किसी के साथ अन्याय नहीं होने देंगे, अगर व्यापारी इस रेट पर नहीं लेते तो सरकार खरीदेगी और वन समितियों के माध्यम से जिले में जम कर महुआ खरीदी भी हुई।
बताया जा रहा है कि इस खरीदी में दलाल और समितियों के प्रबंधक एवं नोडल अधिकारियों ने जमकर पैसा कमाया है। व्यापारियों का महुआ भी खरीदा गया, इतना ही नहीं जितना महुआ खरीदे उससे कहीं ज्यादा की जानकारी विभाग को दी गई। खरीदी तक तो वन समितियों के प्रबंधक और नोडल अधिकारियों ने खेल किया और महुआ की बोरियों में रेत भर कर वजन बढ़ाया गया।
ऐसा ही मामला आज चपड़ा गोदाम में भंडारण के समय सामने आया। जिसको आनन–फानन में छानने लगे, जब वहां जाकर देखा गया तो घोघरी समिति के प्रबंधक रेत अलग करवाने में लगे थे और नोडल अधिकारी डिप्टी रेंजर वर्मा मीडिया को देखते ही गायब हो गए। प्रबंधक भी कुछ बोलने को तैयार नहीं था। वहीं घोघरी समिति के प्रबंधक गणेश प्रसाद महार स्वीकार किया कि महुआ में रेत मिला है लेकिन यह भी कहा कि लेबर ने मिलाई होगी या फिर फड़ मुंशी को जानकारी होगी।
इस मामले में चपड़ा गोदाम में भंडारण करवाने वाले वनकर्मियों से बात करने की कोशिश की गई तो वे दायें—बायें हो गये लेकिन वन रक्षक मुकेश सिंह ने बताया कि अभी तक 77 गाड़ियों से आया या 8196 बोरी में 2500 क्विंटल महुआ भंडारित हो हुआ है। जिसमें अमहा, रहठा, करकेली, जरहा, मझौली, चंदवार, घुलघुली धमोखर आदि समितियों का माल भंडारित हुआ है। वनरक्षक ने कहा कि रेत मिले माल को वापस कर दिया जाता है। गोदाम प्रभारी के बारे में जानकारी ली गई तो वहां मौजूद वन र्मी ने बताया कि कभी–कभी रेंजर साहब आ जाते हैं।
जब एस डी ओ वन विभाग वर्मा से इस सम्बन्ध में बात की गई उन्होंने कहा कि तो साफ तौर कि मैं कुछ भी कहने को अधिकृत नहीं हूँ आप सी एफ साहब के पास बात कीजिये। नए आये सी एफ कार्यालय में ही नहीं मिले, जबकि वनोपज खरीदी के नोडल अधिकारी एस डी ओ ही हैं और पूरे जिले के खरीदी प्रभारी एस डी ओ भी हैं।
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