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क्रिकेट:भारत प्रयोग के मामले में डरपोक है

स्पोर्टस            Nov 12, 2022


ओम प्रकाश।

इंग्लैंड ने भारत के खिलाफ सेमीफाइनल मैच में मोईन अली से गेंदबाजी नहीं करवाई. वह गेंदबाजी का सातवां विकल्प थे.

कप्तान जोस बटलर जानते थे कि मोईन आईपीएल में खेलते हैं और उनकी गेंदें खेलने में भारतीय खिलाड़ियों को दिक्कत नहीं होगी.

बटलर ने उनके बजाय लियाम लिविंग्स्टन और आदिल रशीद को तरजीह दी. इन दोनों स्पिनरों ने बेहतर बॉलिंग की. इंग्लैंड की प्लेइंग इलेवन में 9 खिलाड़ी जोस बटलर, एलेक्स हेल्स, बेन स्टोक्स लियाम लिविंग्स्टन, मोईन अली, सैम करन, क्रिस वोक्स, क्रिस जॉर्डन और आदिल रशीद को आईपीएल में खेलने का अनुभव है.

लिविंग्स्टन और आदिल रशीद ने आईपीएल में बहुत बॉलिंग नहीं की है. इंडियन प्रीमियर लीग में रशीद सिर्फ एक मैच खेले हैं. लिविंग्स्टन ने आईपीएल में 23 मैचों में 24 ओवर डाले हैं. दोनों स्पिनर भारत के खिलाफ चल निकले.

भारत ने जिन छह गेंदबाजों भुवनेश्वर कुमार, अर्शदीप सिंह, अक्षर पटेल, मोहम्मद शमी, रविचंद्रन अश्विन और हार्दिक पंड्या से गेंदबाजी करवाई, इन्हें इंग्लैंड के खिलाड़ियों ने आईपीएल में खूब खेला है. यह अनुभव इंग्लिश खिलाड़ियों के काम आया.

यही वजह रही भारतीय कप्तान और गेंदबाज इंग्लैंड के बल्लेबाजों की काट नहीं ढूंढ़ पाए. एडिलेड के विकेट का बर्ताव भारतीय उपमहाद्वीप जैसा था.

इस तरह के मैदान पर भारतीय गेंदबाजों का न चल पाना निराशाजनक रहा.

कल (गुरुवार को) मैंने एक पोस्ट लिखी जिसमें भारतीय खिलाड़ियों को विदेशी लीग में खेलने का जिक्र किया था.

मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कोच राहुल द्रविड़ से किसी पत्रकार ने वही सवाल दागा क्या भारतीय खिलाड़ियों को बिग बैश लीग में खेलने देना चाहिए?

द्रविड़ का जवाब था, भारतीय क्रिकेट के लिए यह मुश्किल है. क्योंकि बिग बैश लीग उन्हीं महीनों में खेला जाता है जब हमारा व्यस्त शेड्यूल होता है.

अगर भारतीय खिलाड़ियों को विदेशी लीग में खेलने दिया जाएगा तो हमारा घरेलू क्रिकेट खत्म हो जाएगा. रणजी ट्रॉफी में खिलाड़ी दिलचस्पी नहीं दिखाएंगे.

टेस्ट क्रिकेट समाप्त हो जाएगा. फिर उन्होंने वेस्टइंडीज का उदाहरण दिया और कहा मैं नहीं चाहता भारत का हाल विंडीज जैसा हो.

हालांकि, द्रविड़ ने यह भी कहा कि हमारे क्रिकेट इन लीग्स में खेलने से वंचित रह जाते हैं. लेकिन फैसला बीसीसीआई के हाथ में है.

भारत को इंग्लैंड से सीखना चाहिए,  जब इंग्लिश सत्र शुरू होता है तब वहां काउंटी चैंपियनशिप, विटैलिटी ब्लास्ट, द हंड्रेड और रॉयल लंदन कप जैसी प्रतियोगिताएं करीब-करीब एक साथ खेली जाती हैं.

इसके अलावा विदेशी टीमें भी उस समय इंग्लैंड का दौरा कर रही होती हैं. ईसीबी आसानी से सामांजस्य स्थापित करता है.

इंग्लैंड के खिलाड़ी अपनी घरेलू टूर्नामेंट के अलावा दुनियाभर की टी20 लीग में भी खेलते हैं. लेकिन जब उन्हें नेशनल ड्यूटी के लिए कॉल की जाती है तो तुरंत हाजिरी देते हैं.

इंग्लैंड में तो टेस्ट क्रिकेट बर्बाद नहीं हो रहा है.

टेस्ट क्रिकेट को कौन बर्बाद कर रहा यह सभी जानते हैं? बीते कुछ साल से चर्चा की जा रही है टेस्ट मैच को चार दिन का कर देना चाहिए.

एक दिन में 100 ओवर फेंकना अनिवार्य कर दिया जाए. टेस्ट मैच चार दिन भी नहीं चलते. एक तरफ टेस्ट क्रिकेट को सीमित करने का प्रयास किया जा रहा है और दूसरी तरफ उसके खत्म हो जाने का दुखड़ा रोया जाता है.

कोई चीज तभी खत्म होती है जब हम उसे समाप्त करना चाहते हैं.

भारत प्रयोग के मामले में डरपोक है. साल 2000 के बाद जब टी20 क्रिकेट चलन में आया तो भारत ने विरोध किया था.

ऐसे ही भारत डे/नाइट टेस्ट मैच के पक्ष में नहीं था. जब दुनिया के कई देश पिंक बॉल टेस्ट खेल रहे थे तब भारत गुलाबी गेंद की विजिबिलिटी (दृश्यता) पर सवाल उठा रहा था.

जब इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया की महिला टीमों ने भी डे/नाइट टेस्ट खेल लिया तब जाकर कहीं भारत की दिन/रात का टेस्ट खेलने की हिम्मत पड़ी.

अब बीसीसीआई विदेशी टी-20 लीग्स में अपने खिलाड़ियों को खेलने की इजाजत देने का साहस नहीं दिखा पा रहा है.

जबकि, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, वेस्टइंडीज, न्यूजीलैंड, साउथ अफ्रीका, श्रीलंका और पाकिस्तान के क्रिकेटर धड़ल्ले से विदेशी लीग्स में खेलते हैं.

भारत का प्रथम श्रेणी क्रिकेटर भी तब तक विदेशी लीग में नहीं खेल सकता जब तक वह भारतीय क्रिकेट से संन्यास नहीं ले लेता.

मेरा मानना है कि बीसीसीआई को भारतीय खिलाड़ियों को विदेशी लीग में खेलने की छूट देनी चाहिए. सभी क्रिकेटरों को देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलेगा यह मुमकिन नहीं है. हमें उन्हें आर्थिक तौर पर कमजोर नहीं करना चाहिए. विदेशी लीग्स में खेलना फायदेमंद साबित होगा.

वर्तमान में भले ही बोर्ड भारतीय खिलाड़ियों को विदेशी लीग्स में खेलने की इजाजत देने की ऊहापोह की स्थिति में हो, लेकिन भविष्य में इंडियन क्रिकेटर बाहर की लीग में खेलते नजर आएंगे.

इसके अलावा मैं तो यह भी कहूंगा कि बीसीसीआई को पाकिस्तान के खिलाड़ियों को आईपीएल में खेलने की इजाजत देनी चाहिए.

इससे हमारे बल्लेबाजों को क्वालिटी गेंदबाजों को खेलने का मौका मिलेगा. अगर हम ऐसा नहीं करते हैं तो जब कभी वैश्विक स्तर पर टी20 टूर्नामेंट का आयोजन होगा हमारे कंधे ज्यादातर झुके ही नजर आएंगे.

लेखक क्रिकेट के अच्छे जानकार हैं

 

 



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