ओम प्रकाश।
24 अक्टूबर को टी-20 विश्व कप में साउथ अफ्रीका बनाम जिम्बाब्वे मैच के चलते मुझे एक बार फिर डीन डुप्लेसी याद आए।
मन में यह जानने की इच्छा हुई कि वह इन दिनों कहां हैं और क्या कर रहे हैं? वह किस प्लैटफॉर्म के लिए क्रिकेट कॉमेंट्री कर रहे हैं?
पन्ने पलटने पर पता चला कि वह कॉमेंट्री से दूर हैं। गहराई में जाने से मालूम हुआ लगभग दो साल पहले उन्हें सुनाई देना कम पड़ गया था।
जिम्बाब्वे से ताल्लुक रखने वाले डीन डुप्लेसी दुनिया के पहले ब्लाइंड क्रिकेट कॉमेंटेटर हैं। उन्होंने करीब 20 साल तक कॉमेंट्री की।
डीन जन्मांध हैं, किसी भी नेत्रहीन व्यक्ति के लिए कॉमेंट्री करना आसान नहीं है।
अंतरराष्ट्रीय मैचों में यह चुनौती और बढ़ जाती है, लेकिन डीन डुप्लेसी ने अपने मेधाबल से इस मुश्किल काम को आसान बना दिया।
वह बड़ी विनम्रता से कहते हैं 'ध्वनि के जरिए कॉमेंट्री करना, इससे कुछ भी शानदार नहीं है। मेरे पास स्टंप माइक्रोफोन की फीड होती है, इसके अलावा कोई तकनीक नहीं।
मैं उसे उतनी ही सावधानी से सुनता हूं जितना देखने वाले ध्यान लगाकर सुनते हैं।'
क्रिकेट के प्रति उनके समर्पण और ज्ञान को देखकर कई पूर्व क्रिकेटर हैरान रह गए।
डीन मैच के दौरान मशहूर क्रिकेट कॉमेंटेटर के साथ अपने विचार साझा कर चुके हैं।
डीन डुप्लेसी के पिता क्रिकेट प्रेमी थे, उनके भाई गैरी बेहतरीन क्लब क्रिकेटर,
इसके बावजूद उनका खेल के प्रति कोई लगाव नहीं था।
साल 1991 में साउथ अफ्रीका ने भारत का दौरा किया, उस सीरीज के तीसरे मैच की कॉमेंट्री डीन ने रेडियो पर सुनी थी, तब वह साउथ अफ्रीका में अध्ययन कर रहे थे।
रेडियो पर कॉमेंट्री सुनने के बाद उनके अंदर कॉमेंटेटर बनने की इच्छा जागृत हुई, वह अपनी प्रतिभा की वजह से जल्दी मशहूर हो गए।
एंडी प्लावर, ग्रांट प्लावर, डेव हॉटन और इडो ब्रांडेस जैसे क्रिकेटर उन्हें मैच के लिए आमंत्रित करते थे।
साल 2001 में भारत, जिम्बाब्वे और वेस्टइंडीज के बीच खेली गई त्रिकोणीय सीरीज में उन्हें पत्रकार नील मैनथॉर्प और रवि शास्त्री के साथ क्रिकइंफो वेवसाइट के ऑनलाइन रेडियो प्रसारण पर 15 मिनट की चैट के लिए आमंत्रित किया गया था।
डीन डुप्लेसी ने साल 2003 से टीवी के लिए कॉमेंट्री शुरू की।
दृष्टि बाधित व्यक्ति के लिए विजुअलाइज करना काफी मुश्किल है, उनसे जब पूछा गया कि वह कैसे पता लगाते हैं कि मैदान पर क्या चल रहा है?
डीन कहते हैं 'मेरे पास कोई अतिरिक्त स्टंप माइक और तकनीक नहीं होती है, मुझे कोई यह भी नहीं बताता है कि मैदान पर क्या चल रहा है?
फिर भी मैं आपको अलग-अलग गेंदबाजों के बारे में बता सकता हूं जब वे क्रीज पर पहुंचते हैं।'
उनका कहना है 'स्टुअर्ट ब्रॉड जब क्रीज पर आते हैं तो थोड़ी घसीटने वाली आवाज आती है। जब वह गेंद डिलीवर करते हैं तो गुरगुराहट करते हैं।'
इसी तरह डीन अलग-अलग बल्लेबाजों को भी पहचान लेते हैं।
डीन डुप्लेसी ने एक बार कहा था कि स्टंप माइक्रफोन उनका जीविकोपार्जन है।
बीते कुछ वर्ष उनके लिए मुश्किल भरे रहे हैं, संघर्षशील इंसान की वक्त भी कड़ी परीक्षा लेता है।
साल 2006 में उनके बड़े भाई गैरी की कार दुर्घटना में मौत हो गई।
साल 2020 में उनके पिता क्रिस भी चल बसे। पिता की मौत ने उनकी दुनिया उजाड़ दी, आखिर डीन के पिता ही तो उनके सबसे बड़े समर्थक थे।
इस दौरान उन्हें बाएं कान से कम सुनाई देने लगा, जिसका परिणाम यह हुआ कि न चाहते हुए भी उन्हें क्रिकेट कॉमेंट्री से दूर होना पड़ा।
डीन ने क्रिकेट कॉमेंट्री के दौरान कई बड़े क्रिकेटरों का इंटरव्यू किया। क्रिस गेल और ब्रायन लारा को उनसे बात करके काफी खुशी हुई। पूर्व क्रिकेटर डेव हॉटन का वह विशेष सम्मान करते हैं।
जिम्बाब्वे की मॉडल माकोसी मुसामबासी ने डीन डुप्लेसी से मिलने के बाद कहा था 'वह दुनिया का आठवां अजूबा हैं।'
समय की मार झेल रहे डीन अब अपना क्रिकेट पॉडकास्ट करते हैं। इन दिनों उनके पॉडकास्ट में क्रेग इरवाइन और डेव हॉटन को सुना जा सकता है।
प्यार चाहे किसी खेल से हो यह व्यक्ति विशेष से, दीवाना बना देता है।
अब तक मैंने जितना पढ़ा है मुझे क्रिकेट से बेइंतहां प्यार करने वाले तीन फैन मिले। ये सूची लंबी हो सकती है।
क्रिकेट से स्नेह करने के मामले में स्टीफन हेरॉल्ड गैस्कोइन (यब्बा), कीथ वान एंडरसन और डीन डुप्लेसी का कोई सानी नहीं है। इन सबके लिए क्रिकेट ही ओढ़ना-बिछाना रहा।
स्टीफन हेरॉल्ड गैस्कोइन दुनिया के इकलौते फैन थे जिनके मरने के बाद उनकी मूर्ति मैदान के अंदर लगाई गई, उनकी प्रतिमा सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर आज भी मौजूद है।
ऐसे ही कीथ वान एंडरसन मरते दम तक क्रिकेट के प्रति समर्पित रहे।
वह 40 साल लगातार लॉर्ड्स पर टेस्ट मैच देखने आए। एक बार बीमार होने की वजह से वह सिर्फ तीन दिन मैच नहीं देख पाए थे।
क्रिकेट वर्ल्ड कप 2019 शुरू होने से कुछ दिन पहले उनकी मौत हो गई थी, तब मेरिलबोर्न क्रिकेट क्लब, लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड के अलावा क्रिकेट बोर्ड्स और कई खिलाड़ियों ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया था।
इसके बाद लॉर्ड्स पर जब इंग्लैंड और आयरलैंड के बीच टेस्ट मैच हुआ। उस दौरान कीथ वान एंडरसन की याद में मैदान के पास एक बेंच रखी गई।
जो लॉर्ड्स पर कीथ का प्रतिनिधित्व कर रही थी। इसी बेंच पर मैच के दौरान इंग्लैंड का 12वां खिलाड़ी बैठा था।
लेखक क्रिकेट के जानकार हैं
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