निर्भया फंड पर सुप्रीम कोर्ट ने मांगा सरकारों से जवाब कहा, 2000 करोड़ सिर्फ खजाने में रखने के लिए नहीं

वामा            May 26, 2016


मल्हार मीडिया ब्यूरो। साल 2012 की 16 दिसंबर को देश की बेटी निर्भया से हुए गैंगरेप के बाद देशभर में प्रदर्शन हुए। इंसाफ की मांग के बीच सरकार ने निर्भया फंड बनाया, जिससे यौन अपराध और दुष्कर्म पीड़ितों की मदद हो सके। लेकिन दुखद बात यह है कि इस फंड का अभी तक सही से इस्तेमाल नहीं पा रहा है। हालात ऐसे हैं कि मामले में सुप्रीम कोर्ट को सरकार को फटकार लगानी पड़ी है। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र और राज्यों को नोटिस भी जारी किया है। निर्भया फंड की 2000 करोड़ रुपये की राशि केंद्र व राज्‍य सरकारों की ओर से खर्च की जानी है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टि‍स पीसी पंत और जस्टि‍स डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने निर्भया फंड का पैसा पीड़िताओं की मदद के लिए खर्च न किए जाने को लेकर केंद्र सरकार व राज्‍य सरकारों से जवाब मांगा है। कोर्ट ने सरकारों को 6 हफ्ते के अंदर अपना जवाब दायर करने को कहा है। इस ओर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्ट‍िस चंद्रचूड़ ने नाराजगी जताते हुए कहा, 'निर्भया फंड के 2000 करोड़ रुपये केवल सरकारी खजाने में रखने के लिए नहीं हैं। इस पैसे को पीड़ितों तक पहुंचाना भी सरकार का काम है। सिर्फ फंड बनाने से ही सरकार की डयूटी पूरी नहीं हो जाती। केंद्र सरकार और राज्‍य सरकार इस फंड का उपयोग जल्‍द से जल्‍द दुष्‍कर्म व यौन अपराध की पीड़ित महिलाओं की मदद और पुनर्वास वगैरह पर खर्च करें। इस पैसे के वितरण और सही समय पर पीड़ितों पर खर्च करने के लिए केंद्र सरकार एक नेशनल स्‍कीम बनाए।' कोर्ट ने मामले में मुआवजा प्रक्रिया पर सवाल उठाया। अदालत ने कहा, 'कहीं पर मुआवजा 50 हजार रुपये है तो कुछ जगहों पर मुआवजा 10 लाख रुपये तक दिया जा रहा है। ऐसी योजना बनाई जाए, जिसमें मुआवजा राशि एक समान हो।' कोर्ट ने केंद्र सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि 650 जिलों में निर्भया फंड की राशि दुष्‍कर्म व यौन अपराध पीड़ित महिलाओं को मुआवजा व पुनर्वास के तौर पर खर्च की जानी थी। लेकिन निर्भया फंड बनाए जाने से लेकर अब तक सिर्फ 14 जिलों में ही पीड़ित महिलाओं को मुआवजा दिया गया है। गौरतलब है की सुप्रीम कोर्ट में यौन शोषण, टू-फिंगर टेस्‍ट, दुष्‍कर्म पीड़ितों को मुआवजा, पुनर्वास पॉलिसी और निर्भया फंड की 2 हजार करोड़ की राशि खर्च न किए जाने संबंधी पांच अलग-अलग याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई चल रही है। इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट इन याचिकाओं पर कई महत्‍वपूर्ण आदेश जारी कर चुकी है।


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