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समीक्षा के पांच साल पूरे क्या खोया क्या

वामा            Jan 09, 2015


ग्वालियर,अनिल अरोरा । आज से पांच पहले महिलाओं के आत्मबल को बढ़ाने,महिलाओं के अंदर एक कुछ करने की आग पैदा करने वाली युवा वीरांगना लक्ष्मीबाई के सामने मैदान पर लगाए गए तम्बू में समीक्षा गुप्ता को शहर की सबसे युवा महिला के रूप में प्रथम नागरिक की शपथ लेते देखकर शहरवासियों के दिल में शहर की तस्वीर बदलने ख्वाब जागे थे। कयास यह लगाए जा रहे थे कि नगर सरकार की कमान युवा हाथों में होने से बूढ़े हो चले शहर को नई ऊर्जा मिलेगी। 10 जनवरी 2010 को समीक्षा गुप्ता के महापौर बनने के बाद भाजपा के पार्षद कम होने के कारण परिषद में जोड़ तोड़ कर नगर सरकार की कमान भाजपा के हाथों में आ गई। जोड़-तोड़ कर बनाई गई शहर की सरकार के मंत्री मण्डल में छ: महीने बाद ही विरोध की चिंगारी उठने लगी थी। महापौर समीक्षा गुप्ता की एमआईसी के सदस्य महापौर एवं उनके परिवार पर मनमानी करने का आरोप लगाने लगे। शुरूआत में इसे आपसी तालमेल का अभाव माना गया। चर्चाए होती रही। और शहर के विकास के लिए काम होते रहे। शुरूआती दिनों में महापौर समीक्षा गुप्ता को शहर नई सांसद एवं विधायक के रूप में भी देखा जाने लगा था। राजनैतिक गालियारों में चर्चा तो यह भी होने लगी थी कि विधायक बनने के बाद समीक्षा गुप्ता को आगामी सरकार में मंत्री भी बनाया जा सकता है। महापौर समीक्षा गुप्ता ने अपने कार्यकाल के दौरान कटोरा ताल रोड़ को थीम रोड़ में बदल कर इस सड़क की तस्वीर में नए रंग भर दिए थे। वाकई शहर को बहुत ही नायाब सोच के साथ नई सौगात मिली। लेकिन इस खूबसूरत सौगात पर महापौर पर अपने रिश्तेदारों को ठेका देने का ग्रहण भी लगा। अगर यू कहा जाए कि पूरे पांच साल के महापौर समीक्षा गुप्ता के कार्यकाल के दौरान विकास कार्यों और विवाद का उनके साथ चोली दामन का साथ रहा हैं तो गलत नहीं होगा। हर विकास कार्य के साथ एक नया विवाद भी समीक्षा गुप्ता के खाते में जुड़ता गया। जैसे -जैसे महापौर समीक्षा गुप्ता का कार्यकाल आगे बढ़ता जा रहा था। उसी तेजी के साथ महापौर समीक्षा गुप्ता के पति एवं परिवार वालों की निगम कार्यों में दखलदांजी भी बढ़ती जा रही थी। अपनी एमआईसी सदस्यों एवं सत्ता पक्ष के साथ आए दिन होने वाले विवाद कई बार अखबारों की सुर्खियां बने। कई बार तो विवाद इतने गहरे हो गए कि भाजपा के कई बड़े नेताओं को मोर्चा संभालना पड़ा था। यहां तक कि भाजपा दो मंत्रियों ने तो महापौर समीक्षा गुप्ता के खिलाफ सार्वजनिक रूप से बयानबाजी कर सनसनी फैला दी थी। समीक्षा गुप्ता के परिवार के हस्ताक्षेप के कारण परिषद में विवाद इस कदर गहराया कि सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ने परिषद के इतिहास में काले दिन की नई इबारत लिख दी। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं एवं संगठन के पदाधिकारियों ने अपनी सूझबूझ से परिषद पर आई बला को टाल दिया पर महापौर समीक्षा गुप्ता इस प्रकरण के बाद अपनी छवि को धूमिल होने से नहीं बचा पाई। शहर के विकास की बात करें तो महापौर समीक्षा गुप्ता ने पिछली परिषद के कई निर्णयों को तेजी से आगे बढ़ाया। शहर के चौराहों की सूरत बदली। तंग गलिया चौड़ी सड़कों में बदली। शहर प्रवेश के मार्गों को नया रूप दिया गया। पानी के लिए तरस रही शहर की आधी आबादी को भरपूर तिघरा का पानी मिलने लगा हैं। लेकिन जहां एक ओर समीक्षा गुप्ता के माथे पर लगे महापौर के मुकुट में शहर में हो रहे तेजी से विकास के नगीने जड़ रहे थे तो वही भ्रष्ट्राचार एवं अपनी मनमानी करने के दाग भी विपक्ष के साथ-साथ सत्ता पक्षों के पार्षदों ने भरी परिषद में उनके दामन पर लगाए। कई बार परिषद में हालात ऐसे बने कि समीक्षा गुप्ता विपक्ष के आरोपों से अकेली लड़ती हुई नजर आई। कई मर्तबा तो वह विपक्ष के तीखे वारों से बचने के लिए परिषद से गायब ही रही। चार साल पूर्ण होते हालात ऐसे बने कि महापौर समीक्षा गुप्ता हर मोर्च पर अकेली ही खड़ी नजर आती थी। विधानसभा चुनाव के दौरान समीक्षा गुप्ता ने विधायक का टिकट पाने के लिए भोपाल से लेकर दिल्ली तक भाजपा के सभी आला पदाधिकारियों की देहरी पर मत्था टेका। लेकिन राजनैतिक गलियारों में अपनी धूमिल छवि के कारण वह विधायक बनने का सपना पूरा नहीं कर पाई। इतना ही नहीं अभी हाल में संपन्न हुए निकाय चुनाव में उनके लाख प्रयायों के बाद उनके परिवार के किसी भी सदस्य को पार्षदी का टिकट नहीं मिलने की खबरों ने महापौर के राजनैतिक वजूद पर सवालिया निशान भी लगा दिया है। महापौर समीक्षा गुप्ता के पूरे पांच साल के कार्य काल में देखा जाए तो उनकेे खाते में आज उपलब्धियां कम और विवाद ज्यादा नजर आते हैं। अपने कार्य काल के दौरान वह ऐसा कोई भी कार्य नहीं जिसे मिले का पत्थर कहा जा सकें। वर्तमान परिषद का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। आज भी पूरे पांच साल से शहर का ऐतहासिक कटोरा ताल सहित कई रमणीक स्थान अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे है। वहीं १० जनवरी २०१० को शहरवासियों को हवाई झूले का आंनद देने के लिए रोपवे के निर्माण के लिए भूमिपूजन किया गया था। लेकिन पांच साल बीत जाने के बाद महापौर समीक्षा गुप्ता इस योजना को अमलीजामा नहीं पहना पाई।


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