 वैष्णवी की प्रतिभा का एक पक्ष नैसर्गिक खूबी के रूप में उभर कर सामने आया। जिसे बड़े ही करीने से निखारा दक्ष शतरंज प्रशिक्षक संजय सिन्हा ने। श्री प्रकाश बताते हैं - वैष्णवी की उपलब्धियों का सिलसिला शुरू हुआ सन् 2012 से इलाहाबाद में आयोजित राज्य स्तरीय शतरंज चैम्पियनशिप से जिसमे उसने अपने आयुवर्ग में उपजेता का तमगा हासिल किया। दो साल बाद 2015 में ही नोएडा में आयोजित स्टेट चैंपियनशिप में उसने अपने आयुवर्ग के साथ ही अंडर नाइन वर्ग में जोरदार प्रदर्शन करते हुए दोहरा ख़िताब जीता और राष्ट्रीय उपाधि के लिए अपनी दमदार दावेदारी पेश कर दी।
 वैष्णवी के कोच बताते हैं कि अगस्त महीने में 17 से 22 के बीच चेन्नई में आयोजित नेशनल की तैयारियों में जुटी वैष्णवी पूरे फार्म में है और राष्ट्रीय प्रतियोगिता में उलटफेर के मूड में भी। अलबत्ता इस बेहद ही आत्मीय मुलाकात में हम एक बार भी यह नही पतिया पाए कि कभी मनपसंद नमकीन के लिए मचलती। कभी मम्मी-पापा को पेंचीदे सवालों में उलझाती तो कभी उचक कर अपने दादा की गोद में इतराती यह नन्ही सी गुड़िया मुकाबले की बिसात पर कैसे इतनी गंभीरता ओढ़ पाती होगी। कैसे अपने शातिराना इशारे से बड़ी-बड़ी बाजियों का रुख मोड़ पाती होगी। हमारी इस जिज्ञासा को खुद समाधान देती है शतरंज की 
शरारती मुद्रा को खूंटी पर टांग अचानक ही बड़ी-बूढ़ियों सी गंभीर हो गयी वैष्णवी बताती है कि उसे एक मिनट भी चुप रहना नहीं भाता। गंभीर तो बस वह दो ही मौकों पर होती है। या तो अपने प्रिय विषय गणित के सूत्र साधते हुए या फिर शतरंज की बिसात पर मोहरों का चक्रव्यूह भेदते हुए। उपलब्धियों की चमक से बेपरवाह वैष्णवी घर से लेकर अपने स्कूल सनबीम लहरतारा के परिसर तक सिर्फ और सिर्फ एक मासूम सी बिटिया है, सजग विद्यार्थी है, खुशमिजाज सहेली है। शायद उसकी यह सहजता और सरलता ही उसे बनाती है अनूठी और अलबेली है।
वैष्णवी की प्रतिभा का एक पक्ष नैसर्गिक खूबी के रूप में उभर कर सामने आया। जिसे बड़े ही करीने से निखारा दक्ष शतरंज प्रशिक्षक संजय सिन्हा ने। श्री प्रकाश बताते हैं - वैष्णवी की उपलब्धियों का सिलसिला शुरू हुआ सन् 2012 से इलाहाबाद में आयोजित राज्य स्तरीय शतरंज चैम्पियनशिप से जिसमे उसने अपने आयुवर्ग में उपजेता का तमगा हासिल किया। दो साल बाद 2015 में ही नोएडा में आयोजित स्टेट चैंपियनशिप में उसने अपने आयुवर्ग के साथ ही अंडर नाइन वर्ग में जोरदार प्रदर्शन करते हुए दोहरा ख़िताब जीता और राष्ट्रीय उपाधि के लिए अपनी दमदार दावेदारी पेश कर दी।
 वैष्णवी के कोच बताते हैं कि अगस्त महीने में 17 से 22 के बीच चेन्नई में आयोजित नेशनल की तैयारियों में जुटी वैष्णवी पूरे फार्म में है और राष्ट्रीय प्रतियोगिता में उलटफेर के मूड में भी। अलबत्ता इस बेहद ही आत्मीय मुलाकात में हम एक बार भी यह नही पतिया पाए कि कभी मनपसंद नमकीन के लिए मचलती। कभी मम्मी-पापा को पेंचीदे सवालों में उलझाती तो कभी उचक कर अपने दादा की गोद में इतराती यह नन्ही सी गुड़िया मुकाबले की बिसात पर कैसे इतनी गंभीरता ओढ़ पाती होगी। कैसे अपने शातिराना इशारे से बड़ी-बड़ी बाजियों का रुख मोड़ पाती होगी। हमारी इस जिज्ञासा को खुद समाधान देती है शतरंज की 
शरारती मुद्रा को खूंटी पर टांग अचानक ही बड़ी-बूढ़ियों सी गंभीर हो गयी वैष्णवी बताती है कि उसे एक मिनट भी चुप रहना नहीं भाता। गंभीर तो बस वह दो ही मौकों पर होती है। या तो अपने प्रिय विषय गणित के सूत्र साधते हुए या फिर शतरंज की बिसात पर मोहरों का चक्रव्यूह भेदते हुए। उपलब्धियों की चमक से बेपरवाह वैष्णवी घर से लेकर अपने स्कूल सनबीम लहरतारा के परिसर तक सिर्फ और सिर्फ एक मासूम सी बिटिया है, सजग विद्यार्थी है, खुशमिजाज सहेली है। शायद उसकी यह सहजता और सरलता ही उसे बनाती है अनूठी और अलबेली है।
 
 
                   
                   
	               
	               
	               
	               
	              
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