राकेश दुबे।
2019 की सुबह हो गई है। 2018 बीते हुये साल की संज्ञा पाकर इतिहास हो गया। हर इतिहास से सबक मिलता है। 2018 ने भी बहुत से सबक दिए। प्रदेश देश और विश्व को। प्रदेश में मतदाताओं ने चौंकाते हुए १५ साल पुरानी सरकार बदल दी।
देश में सरकार ने जगहों के नाम से लेकर बहुत कुछ बदला। बदलाव के नतीजे हमेशा देर से दिखते हैं, पर इस बार जल्दी दिखेंगे, ज्यादा दिन नहीं है।
2018 में रुपये और तेल की कीमतों ने जहां हमारी आर्थिकी को हलकान रखा, वहीं हमारी अर्थव्यवस्था पटरी पर भी बनी रही। इस साल पहली बार विदेशी निवेश के मोर्चे पर हम चीन से आगे निकले।
भारत में प्रत्यक्ष निवेश करीब 40 बिलियन डॉलर आया, जबकि चीन के हिस्से यह 33 बिलियन डॉलर के आसपास ही रहा, लेकिन इस साल विदेशी निवेशकों ने पूंजी बाजार से लगभग एक लाख करोड़ रुपये भी निकाल लिए।
खेती-किसानी का संकट और बेरोजगारी का स्याह साया पूरे साल देश पर रहा और इसके जल्दी दूर होने की सम्भावना नहीं दिख रही है। इन मुश्किलों का कोई आसान हल 2019 में भी शायद ही मिले|
अंतरराष्ट्रीय राजनीति और आर्थिकी के स्तर पर उथल-पुथल ने भारतीय बाजार पर भी असर डाला है, किंतु आर्थिक सुधारों और वृद्धि दर संतुलित रहने के कारण उभरती वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में भारत मजबूती से खड़ा है।
इस साल देश के खाते में और कई चमकदार उपलब्धियां रहीं| जैसे साल के शुरू में इसरो ने एक ही उड़ान में 31 उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित कर दुनिया को चौंकाना। तो साल के आखिर में अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने की महत्वाकांक्षी योजना की भी घोषणा।
क्रिकेट के अलावा अन्य कई खेलों में सितारे चमके। कॉमनवेल्थ खेलों में पदक तालिका में 66 मेडल जुड़े। इन कामयाबियों में महिला खिलाड़ियों की अग्रणी भूमिका रही। समलैंगिकता, आधार परियोजना, लाइलाज बीमारियों से जूझते लोगों की इच्छा मृत्यु से संबंधित अदालती फैसलों ने देश को नयी उम्मीदें दीं। तो आयुष्मान भारत जैसी बीमा योजनाओं ने गरीब परिवारों को जिंदगी की नयी राह दिखायी यह बात अलग है अभी यह धीमी गति से चल रही है।
एक ओर विभिन्न चुनावों ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाया तो इन सब के बीच नफरत से अंधी भीड़ के निर्दोषों को निशाना बनाने और सोशल मीडिया के जरिये जानलेवा अफवाह फैलाने की खबरें बेहद अफसोस का सबब बनी रहीं।
देशभर में हवा और पानी का बढ़ता प्रदूषण तथा धरती का तापमान बढ़ने के कारण आती आपदाओं ने देश को बेचैन बनाये रखा| जंगलों और जंगली जीवों का लगातार नुकसान भी चिंताजनक बात बनी रही।
इस साल सरकार के साथ आम लोगों को भी स्वच्छ ऊर्जा पर जोर तथा पर्यावरण बचाने की कोशिशों को तेज करने की जरूरत समझ में आयी। राष्ट्रीय जीवन पर सरकारी नीतियों और पहलों का असर निश्चित रूप से होता है तथा उनकी समीक्षा और आलोचना भी होती रहनी चाहिए, लेकिन देश के विकास और समृद्धि में समाज के विभिन्न घटकों-नागरिक,नागरिक संगठन, पार्टियां, उद्योग जगत, मीडिया आदि को भी अपना योगदान नहीं भूलना चाहिए।
2019 में संकल्प की दिशा स्वच्छता, शुचिता और सद्भाव बनाने का लेना चाहिए। सबके अपने सपने और संकल्प होते है।
इस साल मतलब 2019 को देश हित साधने का संकल्प लें तो देश का सपना दिखने लगेगा।
जिस देश के नागरिकों को देश का सपना नहीं दिखता, उनका इतिहास में सुनहरा मुकाम नहीं होता। देश हित का सपना देखें, इसी अपेक्षा के साथ 2019 मुबारक।
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