मल्हार मीडिया ब्यूरो।
सॉफ्टवेयर दिग्गज इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि कंपनी में गैर कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में लौट आए हैं। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि उन्हें लगता है कि वह कंपनी में इसलिए वापस लौटे, क्योंकि 'यहां कोई दूसरा नहीं था'।
नीलेकणि ने यहां संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने शुक्रवार को पहली बार बोर्ड की बैठक की। उन्होंने कहा, "अब हमारी प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि बोर्ड और कर्मचारी मिल जुलकर काम करें। मैं बोर्ड सदस्यों से एक-एक कर मिला और कर्मचारियों से भी बात की।"
यह बताते हुए कि बोर्ड ने 'सर्वसम्मति' से उनको कंपनी के वापस लौटाने का फैसला किया, उन्होंने कहा कि वह कंपनी में 'केवल एक संस्थापक से अधिक' के रूप में लौटे हैं।
उन्होंने कहा, "मैं यहां हर किसी का प्रतिनिधि हूं, शेयरधारकों और कर्मचारियों दोनों का। मेरा लक्ष्य कंपनी को स्थिर करना और उसे आगे ले जाना है।"
उन्होंने कहा, "मेरा मानना है कि यहां इस बात की अत्यंत आवश्यकता है कि लोग (कंपनी के) विभिन्न तरह की खबरों से विचलित ना हों।"
पनाया अधिग्रहण के बारे में उन्होंने कहा, "मैं समूची जांच प्रक्रिया का अध्ययन करूंगा और उसके बाद ही जरूरी कदम उठाए जाएंगे।"
शुक्रवार की सुबह 600 से ज्यादा निवेशकों को संबोधित करते हुए नीलेकणि ने कहा, "मेरी योजना यहां (कंपनी में) तब तक रहने की है, जब तक जरूरत हो और जब मेरी जरूरत यहां नहीं होगी, मैं नहीं रहूंगा।"
उन्होंने कहा, "मेरे पास करने के लिए यहां कई काम हैं। सीईओ को ढूंढने की प्रक्रिया पूरी करनी है, बोर्ड का पुनर्गठन करना है और कारोबार में स्थिरता लानी है।"
उन्होंने कहा, "मैं यहां तब तक रहूंगा, जब तक जरूरत होगी और उतनी मेहनत करूंगा, जितनी इंफोसिस को उसकी पूरी क्षमता के साथ काम करने के लिए सही रास्ते पर लाने के लिए जरूरी होगा।"
नीलेकणि ने कहा कि कंपनी की रणनीति, बदलाव आदि के मुद्दों पर अक्टूबर में निवेशकों से साथ चर्चा की जाएगी।
नीलेकणि (62) इंफोसिस के 2002 मार्च से लेकर 2007 अप्रैल तक उपाध्यक्ष थे। उन्होंने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के प्रमुख का पद संभालने के लिए 2009 में इंफोसिस छोड़ दिया था। वे 2014 के मई तक प्राधिकरण के पहले अध्यक्ष रहे।
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