मल्हार मीडिया ब्यूरो।
चालू वित्त वर्ष की सितंबर में खत्म हुई तीसरी तिमाही में सरकारी बैंकों का फंसा हुआ कर्ज (बैंकिंग भाषा में एनपीए या गैर निष्पादित परिसंपत्तियां) 7.34 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। इनमें से ज्यादातर कर्ज कॉरपोरेट कंपनियां ने लिया हुआ है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और सरकार के आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
इस हफ्ते की शुरुआत में आरबीआई ने कहा कि जुलाई-सितंबर तिमाही में निजी बैंकों का फंसा हुआ कर्ज कुल 1.03 लाख करोड़ रुपये था।
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, "सरकारी और निजी बैकों का 30 सितंबर 2017 तक कुल फंसा हुआ कर्ज क्रमश: 7,33,974 करोड़ रुपये तथा 1,02,808 करोड़ रुपये था।"
बयान में कहा गया कि प्रमुख कॉरपोरेट संगठनों और कंपनियों के पास कुल फंसे हुए कर्ज का 77 फीसदी बकाया है।
प्रमुख सरकारी बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक का सबसे अधिक कर्ज फंसा हुआ है, जोकि 1.86 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। उसके बाद पंजाब नेशनल बैंक का 57,630 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ इंडिया का 49,307 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ बड़ौदा का 46,403 करोड़ रुपये, केनरा बैंक का 39,164 करोड़ रुपये और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का 38,286 करोड़ रुपये फंसा हुआ है।
सितंबर के अंत तक निजी बैंकों में आईसीआईसीआई बैंक का सबसे अधिक 44,237 करोड़ रुपये का फंसा हुआ कर्ज था, उसके बाद एक्सिस बैंक का 22,136 करोड़ रुपये, एचडीएफसी बैंक का 7,633 करोड़ रुपये और जम्मू और कश्मीर बैंक का 5,983 करोड़ रुपये का कर्ज फंसा हुआ था।
मंत्रालय ने यह भी कहा कि 2016-17 में 33 की तुलना में कर्ज वसूली प्राधिकरण (डीआरटी) का नेटवर्क बढ़ाकर 39 कर दिया गया है, जिससे मामलों के निपटारे में लगनेवाले समय में कमी आएगी और कर्ज वसूली का समय पर निपटारा सुनिश्चित हो सकेगा।
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