खरी-खरी

राजेश प्रियदर्शी भारत वो सभ्यता है जहाँ लोग शाम ढले पत्तियाँ नहीं तोड़ते और यहीं विधवा को ज़िंदा जलाने में भी नहीं हिचकते. भारतीय सभ्यता महान नहीं, विराट है, जो पुरानी और परतदार है, जिसमें...
Jan 13, 2015

अजित साही वरिष्ठ पत्रकार भारत का भूमि अधिग्रहण क़ानून क़रीब सवा सौ साल पुराना है, जिसके आधार पर विभिन्न विकास योजनाओं, उद्योगों के लिए ज़मीन का अधिग्रहण किया जाता रहा.सालों के विरोध के बाद यूपीए...
Jan 10, 2015

अयोध्या से कामिनी शाही आधुनिकता की चकाचौंध में खोए किशोरों में आपराधिक मनोवृत्ति बढ़ रही है। कम उम्र में अधिक पाने की चाहत में वे ऐसे कारनामों को अंजाम दे रहे हैं जिससे कोई भी...
Jan 08, 2015

चैतन्य नागर एक स्तर पर पीके बड़ी ही प्रतीकात्मक फिल्म है। सैमुएल टेलर कॉलरिज मानता था कि कपड़े झूठी सभ्यता का प्रतीक हैं। रूढ़ियों, परम्पराओं, अंधविश्वासों के रूप में हमने उन्हें धारण किया हुआ है।...
Jan 07, 2015

संजय जोशी 'सजग' हर साल कसमें  और वादों की रस्म निभाई जाती है नये साल का स्वागत तो हम कसमों  और वादों  से करते है और अक्सर ही कसमें   टूट जाती...
Jan 06, 2015

कृष्णदेव तुम तो बार-बार आते थे मेरे पास। मेरे आंगन पर रीझ गए थे। मंदिरों की घंटियों-घड़ियालों की मधुरिम ध्वनि, वेद ऋचाओं की गूंजती वाणी, सरयू की मचलती लहरे, तुम तो सब पर मोहित थे।...
Jan 06, 2015