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खरी-खरी

संजय जोशी 'सजग' हर साल कसमें  और वादों की रस्म निभाई जाती है नये साल का स्वागत तो हम कसमों  और वादों  से करते है और अक्सर ही कसमें   टूट जाती...
Jan 06, 2015

कृष्णदेव तुम तो बार-बार आते थे मेरे पास। मेरे आंगन पर रीझ गए थे। मंदिरों की घंटियों-घड़ियालों की मधुरिम ध्वनि, वेद ऋचाओं की गूंजती वाणी, सरयू की मचलती लहरे, तुम तो सब पर मोहित थे।...
Jan 06, 2015