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इस देश में क्या-क्या नहीं है देशद्रोह?

खरी-खरी            Mar 07, 2016


महेश दीक्षित। कन्हैया देशद्रोही है या नहीं...यह तो अदालत तय करेगी... लेकिन कन्हैया ने देश के लोगों, बुद्धिजीवियों, तथाकथित देशभक्तों, मीडिया चैनलस को ज्ञान बघारने और वाट्स एप व फेसबुक वॉल पर देशभक्ति हाकने का खासा मसाला उपलब्ध करा दिया है...। देश के विरोध में नारे लगाना निश्चित रूप से देशद्रोह है...लेकिन हरियाणा में जाटों ने आरक्षण की मांग के नाम पर जो नंगा नाच किया... महिलाओं की अस्मत लूटी, करोड़ों की सरकारी और निजी सम्पत्ति का नुकसान किया....क्या यह राष्ट्रद्रोह नहीं है...? गुजरात में हार्दिक पटेल ने जो किया वह राष्ट्रद्रोह नहीं, तो क्या था...? चारा घोटाला, थ्रीजी और व्यापमं घोटाले को क्या कहेंगे...? क्या इनके आरोपी देशद्रोही नहीं हैं...? नेता, सरकारी अफसर और कर्मचारी मिलकर हर साल स्कूल, सड़क, अस्पताल, बिजली और पानी का करोड़ों रूपया खा जाते हैं... सरकारी दफ्तरों में कर्मचारी-अधिकारी ईमानदारी से काम नहीं करते...हर काम के बदले रिश्वत मांगते हैं... सरकारी स्कूल समय पर नहीं खुलते, शिक्षक कर्तव्य का सही निर्वहन नहीं करते...थाने में अपराधी के खिलाफ एफआईआर लिखने और अपराध दबाने के लिए और अदालतों में न्याय के बदले रिश्वत मांगना...सरकारी अस्पतालों में दवाइयां नहीं मिलने और डाक्टर की लापरवाही से आए दिन सैकड़ों मरीजों का असमय मर जाना...क्या इस अव्यवस्था के दोषी देशद्रदोही नहीं हैं...क्या हक के लिए खून खौलना और कर्तव्य निर्वहन में बेईमानी करना देश के साथ धोखेबाजी नहीं... क्या ऐसे लोग देश भक्त हैं...क्या धर्म के नाम पर पाखंड बेचने वाले तथाकथित बाबा, मुल्ला-मौलवी और पादरी देश के दुश्मन नहीं...जो जाति, धर्म के नाम पर समाज को बांटते हैं... साम्प्रदायिक वैमनस्यता फैलाते हैं...। महेश दीक्षित के फेसबुक वॉल से


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